Consuming Spiny gourd for good health

कंटोला (मोमोर्डिका डायोइका) एक बारहमासी कुकुरबिटेसी कुल की लता है, जिसे आमतौर पर काकरोल, कंकोड़ा, ककोरा, पपोरा, खेक्सा, कांक्रों, चठैल, कारटोली, कंटोली, बन करौला, भात करोला, काक्सा, स्पाइनी लौकी एवं जंगली करेला आदि के नाम से जाना जाता है। यह पादप जगत में खाद्य पौधों के अनुवांशिक विविधता वाले समूहों में से एक है। इस परिवार का पौधा वन-संवेदनशील, सूखा सहिष्णु, नम एवं खराब जल निकासी वाली मिट्टी के प्रति असहिष्णु होता है।

समय के साथ-साथ उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग के कारण कंटोला के उत्पादन में वृद्धि हुई है। यह फाइटोकेमिकल (अल्कलॉइड) की उपस्थिति के कारण कड़वे स्वाद के लिए जाना जाता है, तथा इनमें औषधीय गुणों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। इसकी उत्पत्ति इंडो-मलयाई क्षेत्र में मानी जाती है, अब यह भारत, बंग्लादेश, श्रीलंका, म्यानमार, चीन, जापान, दक्षिण पूर्व एशिया, पोलिनेशिया, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।

असम और मेघालय की गारो पहाडियों पर 1500 मीटर की ऊंचाई तक इसकी खेती की जाती है। इसका उपयोग न केवल विभिन्न रोगों के लिए निवारक और उपचारात्मक एजेंट के रूप में किया जाता है, बल्कि हजारों वर्षों से महत्वपूर्ण पोषण मूल्य वाली सब्जी के रूप में भी किया जा रहा है। कंटोला की लम्बाई लगभग 5-7 मीटर होती है।

यह गर्मियों की एक लोकप्रिय सब्जी है जिसके फल, युवा तथा नई टहनियाँ एवं पत्ते सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कंटोला को एक कम उपयोग वाली सब्जी के रूप में माना जाता है, हालांकि इसमें कई बार सेवन की जाने वाली सब्जियों की तुलना में उच्च पोषण मूल्य वाले कुछ पोषक तत्वों की महत्वपूर्ण उपस्थिति होती है। इसके अतिरिक्त यह एक पारम्परिक औषधीय पौधे के रूप में, अभी भी अपने फाइटोकेमिकल घटकों के लिए पहचाना जाता है।

भारतवर्ष में कंटोला की बढ़ती मांग को देखते हुए रोग प्रतिरोधी कई उन्नत प्रजातियाँ जैसे कि इंदिरा कंकोड़-1, अम्बिका 12-1, अम्बिका 12-2, अम्बिका 12-3,अर्का भारथ आदि विकसित की गई हैं जिनकी गुणवत्ता एवं उत्पादन क्षमता पारम्परिक प्रजातियों की तुलना में कई गुना अधिक है।

 

(स्रोत: अरूनिमा.न्यूज15.07.2021)

चि़त्र1: कंटोला की खेती एवं बिक्री के लिए तैयार फल 

कंटोला का पाक कला उपयोग

कंटोला की पत्तियाँ, टहनियाँ, फल, फूल एवं जड़ को विभिन्न खाद्य रूपों में उपयोग में लाया जा सकता है। जिनका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है।

  • फलों को सब्जी के रूप में पका कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • तरुण, हरे, काँटेदार फलों को करी-सब्जी के रूप में बहुत महत्व दिया जाता है।
  • अर्ध-सूखे बीजों से तेल निकालकर उपयोग में लाया जाता है।
  • कोमल टहनियों और पत्तियों का उपयोग साग-भाजी के रूप में किया जाता है।
  • कंदमूल को सब्जी के रूप में पकाया जाता है।
  • कंटोला के ताजे फलों को बेसन के साथ पकौड़े बनाकर उपयोग में लाया जाता है।
  • कंटोला के ताजे फलों का अचार बनाकर उपयोग में लाया जा सकता है।

 

चित्र 2: कंटोला से बने उत्पाद

कंटोला में पोषक तत्वों की उपलब्धता

विगत कुछ दशकों से विकासशील देशों के बदलते परिवेश में शाकाहारी भोजन की तरफ लोगों का बढ़ता रुझान तथा खान-पान की आदतों में बड़े पैमाने पर बदलाव से मानव जाति ने स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के सेवन में बढ़ती रुचि को देखा जा रहा है।

कंटोला को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, आहार रेशा तथा पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत माना जाता है। इसमें एस्कॉर्बिक एसिड, कैरोटीन, थाईमिन, राइबोफ्लेविन एवं नियासिन जैसे आवश्यक विटामिन भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। कंटोला का सेवन पोषण सम्बन्धी विकारों को दूर करके मानव कोशिकाओं, रक्त, ऊतकों एवं अंगों को बन्द करने वाले अवशेषों को हटाकर अधिक से अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।

इसके कंद मूल, फल एवं पत्तियों में प्रोटीन, सक्रिय एंजाइम, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन एवं अन्य पोषक तत्वों की उच्च सांद्रता होती है। इसलिए इसका सेवन मानव शरीर को प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ मजबूती प्रदान करता है। कंटोला में उपलब्ध पोषक तत्वों की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित तालिका-1 में दी गई है।

तालिका 1: कंटोला के 100 ग्राम ताजा/ शुष्क फलों में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा

मूल पोषक तत्व सूक्ष्म पोषक तत्व (प्रति100 ग्राम) विटामिन्स (ग्राम/100 ग्राम)
कार्बोहाइड्रेट्स 7.7 ग्राम   लोहा 4.60 मिलीग्राम नियासिन 1.9
प्रोटीन 3.1 ग्राम पोटाशियम 8.25 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 3.5
वसा 3.1 ग्राम फॉस्फोरस 42 मिलीग्राम थाइमिन 1.8
आहाररेशा 3.0 ग्राम कैल्शियम 33 मिलीग्राम पेन्टोथेनिकअम्ल 18
जल 84.1 प्रतिशत सोडियम 1.51 मिलीग्राम विटामिनए 2.5
राख (एश) 6.7 प्रतिशत केरोटीन 162 मिलीग्राम विटामिनबी6 4.3
लिपिड्स 4.7 प्रतिशत प्रति100 ग्राम (ड्राई वेट) विटामिनबी12 4.0
ऊर्जा/100 ग्राम 302.6 किलो कैलोरी मैग्नीशियम 14000 मिलीग्राम विटामिनडी2,डी3 03
- - जस्ता (जिंक) 8.5 मिलीग्राम विटामिनके 15
- - ताम्बा (कॉपर) 1.7 मिलीग्राम विटामिनएच 6.5
- - - - फॉलिकअम्ल 3.6

(स्रोत: ज्योत्स्ना साल्वी एवं एस एस कटेवा 2015; अमित कुमार मौर्या एवं सहयोगी 2020)

कंटोला के सेवन से औषधीय लाभ

कंटोला एक बेहतरीन स्वास्थ्यवर्धक भोजन है। इसमें प्रोटीन, आयरन, फाईबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। इसलिए आसानी से पचने के लिए बहुत उपयोगी है।  यह मानसून के दौरान होने वाले संक्रमण को कम करके कब्ज को नियंत्रित करने में लाभकारी होता है। कंटोला सेवन के अनेकों स्वास्थ्य लाभों पता चला है जिनमें कुछ का विवरण निम्नलिखित है।

  • कंटोला का सेवन शरीर को कई सामान्य बीमारियों से प्राकृतिक प्रतिरक्षा विकसित करने में मदद करता है।
  • कंटोला की सब्जी प्रोटीन, फाईबर, आयरन एवं एंटीऑक्सीडेंट तत्वों का समृद्ध स्रोत है, इसलिए पेट के कब्ज एवं पाचन सम्बन्धी विकारों को दूर करती है।
  • कंटोला के ताजा फलों के जूस का सेवन उच्च रक्तचाप के नियन्त्रण में लाभकारी होता है।
  • कंटोला सब्जी को कम कैलोरी वाली सब्जी माना जाता है, इसलिए इसे अपने दैनिक भोजन में शामिल करने से अतिरिक्त फैट (वसा) को कम करके शारीरिक वजन को कम किया जा सकता है।
  • कंटोला की सब्जी में विटामिन ए अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण घटक है। इसे अपने भोजन में शामिल करके आंखों की रोशनी में सुधार किया जा जा सकता है।
  • कंटोला के ताजे फलों में विटामिन बी एवं विटामिन सी अच्छी मात्रा होते हैं, जो कोशिकाओं के विकास और प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के द्वारा कंटोला का नियमित सेवन किया जाता है तो इससे तंत्रिका दोष के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि 100 ग्राम कंटोला में 72 माइक्रोग्राम फोलेट मौजूद होता है। इसलिए कंटोला का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी होता है।
  • यह अपने एंटी-एलर्जिक और एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुणों के कारण बदलते मौसम में होने वाली खांसी, सर्दी, बुखार एवं अन्य एलर्जी को दूर रखने में सहायक है।
  • कंटोला के ताजे फलों में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में होते हैं जो हमारे शरीर में मौजूद हानिकारक फ्री-रेडीकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं तथा कैंसर की सम्भावनाओं को भी कम करते हैं।
  • कंटोला के पौधे की पत्तियाँ कृमिनाशक एवं कामोत्तेजक होती हैं। इसका उपयोग त्रिदोष, बुखार, पीलिया, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, बवासीर, यकृत क्षति, मानसिक पाचन विकार एवं मूत्र सम्बन्धी समस्या आदि को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
  • कंटोला में एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, दर्दनाशक एवं एंटी-इंफ्लामेटरी (सूजनरोधी) गुण पाए जाते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के सभी कार्यों को मजबूती प्रदान करते हैं।
  • कंटोला में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होने के कारण यह अग्नाशयी β-कोशिकाओं की रक्षा एवं उनका पुनर्जनन भी करता है। इसके अतिरिक्त यह इंसुलिन निस्सारण और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। इसमें जल और आहार रेशा की अधिक मात्रा होने के कारण मधुमेह प्रतिरोधी माना जाता है। इस प्रकार सभी स्तरों पर कंटोला का नियमित सेवन मधुमेह को नियन्त्रित करने में मदद करता है। मधुमेह को मात देने के लिए 50 मिलीलीटर जड़ के जूस को दिन में एक बार खाली पेट लेने की सलाह दी जाती है।
  • सांप के काटने और बिच्छू के डंक मारने में कंटोला के नर पौधे की जड़ का उपयोग बहुत लाभकारी माना जाता है।
  • कंटोला में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण शरीर की मांसपेशियों के विकास के लिए अत्यन्त लाभकारी माना जाता है। इसका सेवन किसी भी चोट से अतिशीघ्र उबरने की क्षमता प्रदान करने के साथ-साथ शरीर को अद्भुत ऊर्जा का आभास कराता है।
  • गुर्दे (किडनी) में स्टोन की समस्या से पीड़ित मरीजों को 10 ग्राम कंटोला फलों के पाउडर को एक गिलास दूध में मिलाकर नियमित सेवन करने से स्टोन की समस्या से निजात मिलती है।

कंटोला सेवन में सावधानियाँ

यह सत्य है कि कंटोला का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभकारी है, फिर भी कुछ लोगों को विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।

  • किसी विशेष दवा का सेवन पहले से करने वाले लोगों को कंटोला का सेवन चिकित्सक परामर्श के बाद ही करना चाहिए।
  • कंटोला का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को बहुत कम कर देता है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
  • इसके अत्यधिक सेवन से पेट दर्द, दस्त लगना एवं भोजन पाचन सम्बन्धी समस्या हो सकती हैं। इसलिए शुरूआत के दिनों में कंटोला का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।

निष्कर्ष

पोषण विश्लेषण के परिणाम बताते हैं कि मोमोर्डिका डायोइका फल फाईबर, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत हैं। यदि इसका पर्याप्त मात्रा में सेवन किया जाता है, तो मोमोर्डिका डायोइका फल सामान्य विकास के लिए मानव पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने और कुपोषण से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से पर्याप्त सुरक्षा के लिए बहुत योगदान दे सकता है।

कंटोला का सेवन पूणतः प्राकृतिक है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार की हानि नही होती है। कंटोला को नियमित आहार में शामिल करने से अनेक बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।


Authors

मंगल सिंह1, अनुज कुमार1, सत्यवीर सिंह1, अनिल कुमार खिप्पल1, लोकेन्द्र कुमारएवं मनोज कुमार सिंह2

1 भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा

2कृषि विज्ञान केन्द्र, राम कृष्ण मिशन आश्रम, मोराबादी, राँची, झारखण्ड

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