महिलाओं की प्रतिभा उनके सशक्तिकरण के बिना अघुरी है। विकासशील देशों में  गरीबी को दूर करने के लिए महिला सशक्तिकरण का समाज की प्रगति में अहम योगदान है, जो कि किसी भी राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा अनेकों योजनाएं चलाई जा रही जो विभिन्न प्रशिक्षण और स्व-रोजगार सृजन क्रार्यक्रमों के माध्यम से संभव है जिससे ग्रामिण महिलाएं घरेलु स्तर पर अपना उधम स्थापित कर आर्थिक रूप  से स्वावलंम्बी  बन  सके  ।

महिलाओं को स्वावलंम्बन व आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि  विज्ञान केन्द्र की भी अहम भूमिका है, जो व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार देने में मददगार है।

इसी उद्देश्य से ग्रामीण महिला श्रीमति सुमित्रा देवी पत्नी श्री संजय कुमार गांव रामसरा तहसील अबोहर, जिला फाजिल्का,  पंजाब ने लिए कृषि  विज्ञान केन्द्र  से शिक्षण प्राप्त कर मिसाल कायम की जिनकी शिक्षा मात्र पांचवीं तक है व उनके पति राज-मिस्त्री का कार्य करते है और इनकी वार्षिक आमदनी बहुत कम थी।

साल 2022 में कृषि विज्ञान केन्द्र, सीफेट, फाजिल्का,की गृह विज्ञान विशेषज्ञ डा. रूपेन्द्र कौर द्वारा आयोजित पापड़ व बड़ी बनाने का प्रशिक्षण उनके लिए बना एक प्रेरणा स्त्रोत ।

कृषि विज्ञान केन्द, सीफेट, अबोहर में  प्रशिक्षण

महिलाओं को स्वावलंम्बन व आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि  विज्ञान केन्द्र की भी अहम भूमिका है, जो व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार देने में मददगार है। इसी उदेश्य पर आधारित व्यवसायिक प्रशिक्षण क्रार्यक्रमों का आयोजन  कृषि विज्ञान केन्द, सीफेट, अबोहर द्वारा किया गया। जैसे मसाले बनाना, पापड़/ बड़ी बनाना, कपड़ो की रंगाई/ छपाई, फल-सब्जियों के मूल्यसंवर्धन, दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का मूल्यसंर्वधन तकनीकी इत्यादि विषयों पर समय  समय पर  प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

इन क्रार्यक्रमों में लगभग 165 ग्रामीण महिलाओं ने हिस्सा लेकर विभिन्न विषयों  पर तकनीकी जानकारी प्राप्त की। श्रीमति सुमित्रा देवी ने अनाज और दालों के मूल्य संवर्धन पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।

कृषि विज्ञान केंद्र फाजिल्का द्वारा संचालित जहां वह पापड़ बड़ी बनाने सहित विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखा उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री, प्रक्रिया पैकेजिंग और स्थानीय बाजार में विकसित उत्पादों का विपणन। उसके बाद वह एक उद्यम के रूप में 2022 में घरेलू स्तर पर छोटे पैमाने पर पापड़ बड़ी बनाने की इकाई की स्थापना की और पापड़ बड़ी बनाने में लगातार वृद्धि का अनुभव किया।

उपलब्धि

पापड़ बड़ी बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर 2022 अपने घरेलु स्तर पर अपना काम शुरू किया और कृषि विज्ञानं केंद्र से तकनिकी जानकारी लेकर अपने काम को बढ़ावा दिया।  उन्होंने बाला जी उद्योग के नाम से अपना उद्योग शुरु किया जिससे उसके परिवार की आमदनी 10 हजार प्रति महीना होने लगी। 

वह अपने परिवार के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाले मूल्यवर्धित उत्पाद बनाना चाहती है और अपने ग्राहकों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता प्रदान करना चाहती है।

प्रशिक्षण से मिली सीख के कारण उनमें निखार आया मासिक आय में बढ़ोतरी ने उसका हौसला बढ़ा और  उसने थोक में कच्चा माल लेकर घरेलु स्तर पर ही उच्च गुणवत्ता उत्पाद पापड़ बड़ी बनाकर पैक कर गांव में एवं आस पास की मार्किट में और छोटे मॉल एवं स्टोर पर अपने उत्पाद  बेचकर आर्थिक लाभ कमाने लगी जिससे उसके परिवार में खुशहाली आयी।

सफलता में योगदान देने वाले कारक

कृषि विज्ञान केंद्र फाजिल्का के तकनीकी मार्गदर्शन और परिवार के समर्थन ने उन्हें हाथ से बने पापड़ बड़ी बनाने के लघु उद्यम स्थापित करने में मददगार रहा। 

अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए महत्व

प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं ने पापड़ बड़ी बनाना शुरू किया और अपने परिवार को एक आर्थिक खुशहाली का आशाजनक उपहार  दिया।  वह वास्तव में  फाजिल्का जिले में अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं।  

उन्होंने  न सिर्फ कृषि  विज्ञान केंद्र द्वारा दी गयी प्रौद्योगिकी को अपनाने की बात साबित कर दी है बल्कि कृषि आधारित उत्पादों के मूल्यवर्धन से लाभ को अधिकतम करने में कृषि प्रोधोगिकी के योगदान को भी ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास में मददगार साबित किया।


Authors:

डॉ  रूपेंद्र कौर, डॉ अरविन्द कुमार अहलावत, राजेश कुमार  एवं डॉ अमित नाथ

कृषि विज्ञान केंद्र फाजिल्का

क्षेत्रीय केंद्र सीफेट, अबोहर 

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