Impact of drones on farming: A new direction for modern agriculture

तकनीक का तेजी से विकास हमारे जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है, और कृषि भी इससे अछूती नहीं रही है। खासकर, ड्रोन (बिना पायलट के हवाई वाहन) ने खेती की दुनिया में एक नई क्रांति शुरू की है। ड्रोन तकनीक के आगमन ने कृषि के पारंपरिक तरीकों को बदलकर उन्हें अधिक सटीक, कुशल और प्रभावी बना दिया है।

आइए जानें कि कैसे ड्रोन आधुनिक खेती की दिशा को बदल रहे हैं। ड्रोन तकनीक ने कई क्षेत्रों में दक्षता और सटीकता में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इन बिना पायलट के हवाई वाहनों की उन्नत सेंसिंग और इमेजिंग क्षमताओं ने कार्यों को तेज़ और अधिक कुशलता से पूरा करने में मदद की है।

ड्रोन की वास्तविक समय में डेटा संग्रहण और उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग से उपयोगकर्ताओं को तुरंत और सटीक जानकारी प्राप्त होती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया को गति मिलती है।

इसके अलावा, ड्रोन की स्वचालित उड़ान क्षमताएँ और सटीक नेविगेशन प्रणाली उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों पर सटीकता से काम करने में सक्षम बनाती हैं। इस प्रकार, ड्रोन ने कृषि, उद्योग और आपातकालीन सेवाओं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संसाधनों के कुशल उपयोग और समय की बचत सुनिश्चित की है, जिससे समग्र कार्यप्रणाली में सुधार हुआ है।

ड्रोन: एक परिचय

ड्रोन छोटे, बिना पायलट के उड़ने वाले यंत्र हैं, जिन्हें रिमोट कंट्रोल या स्वचालित प्रणालियों द्वारा संचालित किया जा सकता है। ये ड्रोन अत्याधुनिक कैमरों और सेंसर से लैस होते हैं, जो उन्हें विभिन्न कृषि कार्यों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

ड्रोन के प्रकार

फिक्स्ड विंग ड्रोन

विवरण: इन ड्रोन का आकार एक छोटे विमान जैसा होता है और ये हवाई जहाज की तरह स्थिर पंखों के साथ उड़ते हैं।

उपयोग: लंबी दूरी की उड़ानों और बड़े क्षेत्रों के सर्वेक्षण के लिए उपयुक्त हैं।

क्वाडकॉप्टर

विवरण: ये ड्रोन चार रोटर के साथ होते हैं और वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL) की क्षमता रखते हैं।

उपयोग: फसल की निगरानी, वीडियो शूटिंग, और छोटी दूरी के कार्यों के लिए लोकप्रिय हैं।

हेक्साकॉप्टर और ओक्टाकॉप्टर

विवरण: इन ड्रोन में छह (हेक्साकॉप्टर) या आठ (ओक्टाकॉप्टर) रोटर होते हैं, जो उन्हें उच्च स्थिरता और वजन उठाने की क्षमता प्रदान करते हैं।

उपयोग: भारी उपकरण और लंबे समय तक उड़ान भरने की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त हैं।

ड्रोन की प्रमुख तकनीकें

सेंसिंग और कैमरा तकनीक

  • हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे: ड्रोन में उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे होते हैं जो विस्तृत और स्पष्ट चित्र और वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं।
  • थर्मल इमेजिंग: थर्मल कैमरे का उपयोग तापमान भिन्नता को देखने के लिए किया जाता है, जो बीमारियों या कीटों की पहचान में सहायक होता है।
  • लिडार (LIDAR): लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) तकनीक का उपयोग सतह की तीन-आयामी मैपिंग के लिए किया जाता है।

नेविगेशन और नियंत्रण प्रणाली

  • GPS (Global Positioning System): ड्रोन की सटीक नेविगेशन के लिए GPS का उपयोग किया जाता है, जिससे ड्रोन को सही स्थान पर ले जाया जा सकता है।
  • IMU (Inertial Measurement Unit): IMU ड्रोन की स्थिति और उन्मुखता को मापता है, जिससे उड़ान की स्थिरता और नियंत्रण में सुधार होता है।
  • ऑटोनॉमस फ्लाइट प्लानिंग: ड्रोन को पहले से निर्धारित मार्ग पर स्वायत्त रूप से उड़ाने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है।

बैटरी और शक्ति प्रबंधन

  • लिथियम पॉलीमर बैटरी: ड्रोन में उच्च ऊर्जा घनत्व वाली लिथियम पॉलीमर बैटरी का उपयोग होता है, जो लंबी उड़ान अवधि और उच्च शक्ति प्रदान करती है।
  • ऊर्जा दक्षता: आधुनिक ड्रोन में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए उन्नत शक्ति प्रबंधन प्रणालियाँ होती हैं।

ड्रोन का कृषि में प्रभाव

फसल की निगरानी और विश्लेषण

ड्रोन का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग फसल की निगरानी में होता है। ये ड्रोन हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों और इमेजिंग तकनीक के माध्यम से खेतों की सटीक तस्वीरें ले सकते हैं।

इस डेटा का विश्लेषण कर किसान फसल की सेहत, विकास और उत्पादन की गुणवत्ता के बारे में वास्तविक समय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे किसान समय पर आवश्यक सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं, जैसे कि पानी की आवश्यकता, पोषक तत्वों की कमी, या कीटों की पहचान।

पोषक तत्वों और कीटनाशकों का वितरण

ड्रोन का उपयोग खेतों में उर्वरक और कीटनाशकों के वितरण के लिए भी किया जा सकता है। ड्रोन की सटीकता के कारण, सही मात्रा में पोषक तत्वों को सही जगह पर पहुंचाया जा सकता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी कम होती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह विधि पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक समान और प्रभावी होती है

कीट और रोगों की पहचान

ड्रोन उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और थर्मल इमेजिंग का उपयोग करके फसलों में कीटों और रोगों की पहचान कर सकते हैं। यह जल्दी और सटीक पहचान की अनुमति देता है, जिससे किसान तुरंत उपाय कर सकते हैं और फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।

जलवायु और मिट्टी की निगरानी

ड्रोन से एकत्रित डेटा का उपयोग जलवायु और मिट्टी की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। यह जानकारी किसानों को मौसम की स्थितियों, मिट्टी की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद करती है, जिससे वे बेहतर खेती के निर्णय ले सकते हैं।

ड्रोन के उपयोग के लाभ

  • सटीकता और दक्षता: ड्रोन की मदद से खेती अधिक सटीक और कुशल तरीके से की जा सकती है, जिससे उत्पादन बढ़ता है और संसाधनों की बर्बादी कम होती है।
  • समय की बचत: ड्रोन के माध्यम से कृषि कार्य तेजी से और प्रभावी तरीके से किए जा सकते हैं, जिससे किसानों का समय और श्रम बचता है।
  • वास्तविक समय में डेटा: ड्रोन वास्तविक समय में जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे किसान तुरंत और सही निर्णय ले सकते हैं।

चुनौतियाँ और समाधान

  • लागत: ड्रोन और उनकी संबंधित तकनीक की लागत उच्च हो सकती है। हालांकि, तकनीक के विकास के साथ-साथ कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जिससे छोटे किसानों के लिए भी इसे अपनाना आसान हो जाएगा।
  • प्रशिक्षण की आवश्यकता: ड्रोन के उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए विशेष कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
  • नियामक मुद्दे: ड्रोन के उपयोग के लिए विभिन्न देशों में अलग-अलग नियामक नीतियाँ हैं। इसे समझना और पालन करना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

निष्कर्ष

ड्रोन ने खेती की दुनिया में एक नई दिशा दी है। फसल की निगरानी, पोषक तत्वों और कीटनाशकों का वितरण, कीट और रोगों की पहचान, और जलवायु एवं मिट्टी की निगरानी में ड्रोन की भूमिका महत्वपूर्ण है। इनकी सहायता से खेती अधिक सटीक, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बन रही है।

हालांकि, लागत और प्रशिक्षण जैसी चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन इनका समाधान निकालकर हम एक नई कृषि क्रांति की ओर बढ़ सकते हैं। ड्रोन तकनीक का अपनाना किसानों को न केवल बेहतर उत्पादन देने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य की खेती को भी स्मार्ट और टिकाऊ बनाएगा।


Authors:

मोनिका कुंडु, अनंता वशिष्ठ, प्रमीला कृष्णन

कृषि भौतिकी संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली

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