Nutritious and medicinal properties of mushrooms

मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोगरोधक सुपाच्य खाध पदार्थ है। चीन के लोग इसे महौषधि एवं रसायन सदृश्य मानते हैं जो जीवन में अदभुत शकित का संचार करती है। रोम निवासी मशरूम को र्इश्वर का आहार मानते हैं ।

यह पोषक गुणों से भरपूर शाकाहारी जनसंख्या के लिये महत्वपूर्ण विकल्प है तथा पौष्टिकता की दृष्टि से शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन के बीच का स्थान रखता है। मशरूम का 21वीं सदी में उत्तम स्वास्थ्य के लिये भोजन में प्रमुख स्थान होगा।

सब्जियों को उगाने से लेकर आकर्षक रंग-रूप तक लाने में रासायनिक खाद, कीटनाशी, फफूँदनाशी या जल्दी बढ़ाने वाले हार्मोन आदि का असन्तुलित मात्रा में प्रयोग किया जाता है जोकि मानव स्वस्थ्य के लिये हानिकारक होती हैं । इन सब्जियों के साथ रासायनिक तत्व हमारे शरीर में पहुँचकर धीरे-धीरे रोगरोधी तन्त्र को कमजोर बनाते हैं। अत: इस सन्दर्भ में मशरूम की उपयोगिता बढ़ती जा रही है।

मशरूम का पोषकीय महत्व :

पोषक तत्वों की प्रचुरता के दृष्टिकोण से मशरूम में पोषक तत्व अधिकांश सब्जियों की तुलना में अधिक पाये जाते है। इसकी खेती पोषकीय एवं औषधीय लाभ के लिये की जाती हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं  जो मानव शरीर के निर्माण, पुन: निर्माण एवं वृद्धि के लिये आवश्यक होते हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है :-  

  1. मशरूम में लगभग 22-35 प्रतिशत उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है जिसकी पाचन शकित 60-70 प्रतिशत तक होती है। जो पौधों से प्राप्त प्रोटीन से कही अधिक होती है तथा यह शाकभाजी व जन्तु प्रोटीन के मध्यस्थ का दर्जा रखती है।
  2. मशरूम की प्रोटीन में शरीर के लिये आवश्यक सभी अमीनो अम्ल, मेथियोनिन, ल्यूसिन, आइसोल्यूसिन, लाइसिन, थ्रीमिन, टि्रप्टोफेन, वैलीन, हिस्टीडिन और आर्जीनिन आदि की प्राप्ति हो जाती है जो दालों (शाकाहार) आदि में प्रचुर मात्रा में नहीं पाये जाते हैं ।
  3. मशरूम प्रोटीन में लाइसिन नामक अमीनों अम्ल अधिक मात्रा में होता है जबकि गेहूँ, चावल आदि अनाजों में इसकी मात्रा बहुत कम होती है यह अमीनों अम्ल मानव के सन्तुलित भोजन के लिये आवश्यक होता है।
  4. इसमें कालवासिन, क्यूनाइड, लेंटीनिन, क्षारीय एवं अम्लीय प्रोटीन की उपस्थिति मानव शरीर में टयूमर बनने से रोकती है।
  5. मशरूम में 4-5 प्रतिशत कार्बोहाइडे्टस पाये जाते हैं जिसमें मैनीटाल 0.9, हेमीसेलुलोज 0.91, ग्लाइकोजन 0.5 प्रतिशत विशेष रूप से पाया जाता है।
  6. ताजे मशरूम में पर्याप्त मात्रा में रेशे (लगभग 1 प्रतिशत) व कार्बोहाइड्रेट तन्तु होते हैं, यह कब्ज, अपचन, अति अम्लीयता सहित पेट के विभिन्न विकारों को दूर करता है साथ ही शरीर में कोलेस्ट्राल एवं शर्करा के अवशोषण को कम करता है।
  7. मशरूम में वसा न्यून मात्रा में 0.3-0.4 प्रतिशत पाया जाता है तथा आवश्यक वसा अम्ल प्लिनोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। प्रति 100 ग्राम मशरूम से लगभग 35 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  8. इसमें सोडियम साल्ट नहीं पाया जाता है जिसके कारण मोटापे, गुर्दा तथा हदय घात रोगियों के लिये आदर्श आहार है। उल्लेखनीय है कि हदय रोगियों के लिये कोलेस्ट्राल, वसा एवं सोडियम साल्ट सबसे अधिक हानिकारक पदार्थ होते हैं।
  9. मशरूम में शर्करा (0.5 प्रतिशत) और स्टार्च की मात्रा बहुत कम होने के कारण मधुमेह रोगियों के लिये एक आदर्श आहार माना गया है।
  10. मशरूम में प्यूरीन, पायरीमिडीन, क्यूनान, टरपेनाइड इत्यादि तत्व होते है जो जीवाणुरोधी क्षमता प्रदान करते है।
  11. मशरूम में यधपि विटामिन ए, डी तथा के नहीं पाया जता है परन्तु एर्गोस्टेराल पाया जाता है, जो मानव शरीर के अन्दर विटामिन डी में परिवर्तित हो जाता है।
  12. इसमें आवश्यक विटामिन जैसे थायमिन, राइबोफ्लेविन, नायसिन, बायोटिन, एस्कार्बिक एसिड, पेन्टोथिनिक एसिड पाये जाते हैं।
  13. मशरूम में उत्तम स्वास्थ्य के लिये सभी प्रमुख खनिज लवण जैसे -पोटैशियम, फास्फोरस, सल्फर, कैलिशयम, लोहा, ताँबा, आयोडीन और जिंक आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह खनिज अस्थियों, मांसपेशियों, नाड़ी संस्थान की कोशाओं तथा शरीर की क्रियाओं में सक्रिय योगदान करते हैं।
  14. मशरूम में लौह तत्व यधपि कम मात्रा में पाया जाता है लेकिन उपलब्ध अवस्था में होने के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाये रखता है साथ ही इसमें बहुमूल्य फोलिक एसिड की उपलब्धता होती है जो केवल मांसाहारी खाध पदार्थो से प्राप्त होता है। अत: लौह तत्व एवं फोलिक एसिड के कारण यह रक्त की कमी की शिकार अधिकांश ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों के लिये सर्वोत्तम आहार है।

औषधीय महत्व

  1. मांसाहार का प्रयोग हृदय, गुर्दे एवं मधुमेह में वर्जित है, अत: इसके स्थान पर उपयुक्त मसालों के प्रयोग से मशरूम का स्वाद मांस, मछली के जैसा बनाकर प्रयोग किया जा सकता है।
  2. हृदय रोगियों की आहार योजना में मशरूम को सम्मिलित करना उपयोगी पाया गया हैं क्योंकि मशरूम शर्करा एवं कोलेस्ट्राल को नियंत्रित कर रक्त संचार को बढ़ाता है।
  3. मशरूम गर्भवती महिलाओं, बाल्यावस्था, युवावस्था तथा वृद्धावस्था तक सभी चरणों में अति उपयोगी पाया गया है। इसमें विधमान प्रोटीन, विटामिन, खनिज, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट उपलब्धता के कारण बाल्यावस्था से युवावस्था तक कुपोषण से बचाते हैं।
  4. शर्करा व कोलेस्ट्राल की कम मात्रा, सुपाच्य रेशों की बहुलता, पौष्टिक होने के कारण वृद्धावस्था के लिये एक आदर्श आहार है साथ ही पाचन तन्त्र को स्वस्थ रखने में उपयोगी सिद्ध हुआ है।
  5. मशरूम से पकौड़ा, सब्जी, सूप, पीज्ज़ा, बिस्किट, पापड़, सलाद, अचार, चटनी के साथ-साथ कर्इ दक्षिण भारतीय व्यंजन भी बनाये जा सकते हैं।
  6. इसमें फफूँद, जीवाणु एवं विषाणु अवरोधी गुण पाये जाते हैं, इसका लगातार प्रयोग टयूमर, मलेरिया, मिर्गी, कैंसर, मधुमेह, रक्तस्राव आदि रोगों से लड़नें की क्षमता प्रदान करता है।
  7. होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों का प्रयोग बहुलता से हो रहा है तथा असाध्य रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध हो रहीं हैं। कुछ मशरूम प्रजातियों का औषधीय महत्व निम्न प्रकार है।

1. बटन मशरूम के औषधीय महत्व:-

यह विश्व में सर्वाधिक उगाया जाने वाला खाध मशरूम है लेकिन औषधीय गुणों की उपलब्धता के कारण इसका औषधीय महत्व भी है। इसमें हृदय सम्बन्धी रोगों के निदान हेतु रक्त के जमाव को रोकने के लिये लैक्टिन, कैंसर रोधी भरेटिन तथा जीवाणु रोधी हिर्सटिक अम्ल, फिनोलिक व क्यूनाँन पाया जाता है।इस में भरेटिनी नामक कैंसर रोधी तथा हिर्सटिक अम्ल नामक जीवाणुरोधी पदार्थ पाया जाता है। इसका सेवन पाचन तंत्र को दक्ष बनाता है, बीमारियों के प्रति रोग रोधी क्षमता बढ़ाता है तथा रक्त में उपसिथत कोलेस्ट्राल को कम करके हृदय रोगों को दूर करता है।

2. शिटाके मशरूम के औषधीय महत्व:-

विश्व मशरूम उत्पादन में शिटाके मशरूम का स्थान दूसरा है, इसको मशरूम का राजा भी कहा जाता है जिसका उपयोग भोजन एवं औषधि दोनों के रूप में किया जाता है। प्रमुखत: एशियार्इ देशों में इसका उपयोग शारीरिक क्षमता एवं ओज बढ़ानें हेतु टानिक के रूप में किया जाता है। इसमें पाया जाने वाला इरीटाडेनिन नामक तत्व कोलेस्ट्राल, ट्राइग्लिसरीन एवं फास्फोलिपिड की मात्रा और रक्तचाप को कम करता है। इसके कवकजाल एवं फलनकाय में कैंसर, फफूँद एवं विषाणु अवरोधी पालीसैकराइडस (के0एस0-2 एवं लेन्टीनिन) पाये जाते हैं जो कि रक्त परिवहन, रक्तस्राव, आँख, गला एवं मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों तथा शरीर में बनने वाली गिल्टियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  

3. ढिंगरी मशरूम के औषधीय महत्व:-

यह विश्व में उगाये जाने वाले मशरूमों में तीसरा प्रमुख मशरूम है तथा भारत में इसका दूसरा स्थान है। इस मशरूम को खाने से शरीर में ग्लूकोज सहन करने की क्षमता बढती है जिससे मधुमेह रोगियों के उपचार में अत्यन्त लाभकारी पाया गया है। जल में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति के कारण इसमें कैंसर रोधी गुण पाये जाते है साथ ही उत्सर्जन तन्त्र सम्बन्धी रोगों एवं कोलेस्ट्राल को कम करने में भी सहायक है।   

4. धान के पुआल का मशरूम के औषधीय महत्व :-

उष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाया जाने वाला यह प्रमुख मशरूम है। हृदय रोगियों की आहार योजना में इस मशरूम को समिमलित करना उपयोगी पाया गया है। इसमें उपसिथत वोल्वाटाक्सिन कैंसर कोशिकाओं की श्वसन प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करता है। इसका हृदय, रक्तचाप, कोलेस्ट्राल की अधिकता एवं कैंसर सम्बन्धी रोगों में उत्तम प्रभाव पाया गया है।  

5. कठकर्ण मशरूम के औषधीय महत्व:-

इसका आकार मनुष्य के कान जैसा होता है एवं विश्व के कुल उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7.9 प्रतिषत है। चीन तथा दक्षिण पूर्वी एशियार्इ देशों में यह बहुत ही लोकप्रिय मशरूम है। इस मशरूम में बवासीर, पेट की व्याधियों, गले का फोड़ा एवं रक्ताल्पता रोधी गुण पाया जाता है। यह रक्त के कोलेस्ट्राल को कम करता है एवं इसका नित्य उपयोग ही दक्षिण-पूर्वी एशियार्इ देशों में एथेरोस्क्लेरोसिस (मांस संडन) रोग के नगण्य होने का प्रमुख कारण हैं।   

6. ऋषि मशरूम के औषधीय महत्व:-

ऋषि मशरूम (गैनोडर्मा ल्यूसिडम) का उपयोग चीन एवं अन्य एशियार्इ देशों में अमर मशरूम के रूप में किया जाता है। यह औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है, इसके विभिन्न टानिक तथा टेबलेट बाजार में उपलब्ध हैं। इस मशरूम में पालीसैकराइडस एवं ट्राइटरपीनायडस दो प्रमुख रासायनिक तत्व होते है जो रक्तचाप, रक्त शर्करा, टयूमर, कैंसर सहित अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते है। इससे तैयार दवा का उपयोग मानसिक तनाव कम करने, मोटापा कम करने, हिपैटाइटिस, ब्रान्काइटिस, बवासीर, मधुमेह, कैंसर एवं एडस के उपचार में किया जाता है।

7. मैटाके मशरूम (ग्राइफोला फ्रन्डोसा) के औषधीय महत्व:-

मैटाके मशरूम (ग्राइफोला फ्रन्डोसा)  मशरूम की खेती जापान में व्यावहारिक स्तर पर हो रही है। इस मशरूम से 'ग्रीफोन नामक दवा बनार्इ जाती है। इसमें प्रचुर मात्रा में उपसिथत बीटा-1, 6-डी0 ग्लूकान शरीर की कैंसर एवं अन्य रोगरोधी क्षमता को बढ़ाता है।  

8. कीड़ा घास या यार्सा गम्बू के औषधीय महत्व:-

कीड़ा घास (कोर्डीसेप्स साइनेन्सिस) मशरूम हिमालय की पहाडि़यों पर गर्मी के मौसम में एक कीट हेपिएलस आरमोरिकेन्स के लार्वा पर अत्यन्त कम समय के लिये पाया जाता है। इस मशरूम को दवाइयों का घर कहते हैं । विश्व बाजार में औषधीय मशरूम के रूप में इसकी अत्यधिक मांग है। इसके सेवन से जनन क्षमता में आशातीत वृद्धि होती है, यह पुरूषत्व एवं ओज को बढ़ाता है तथा जीवन प्रत्याशा व सम्पूर्ण स्वास्थ्य (रोगरोधी क्षमता) में सुधार लाता है।

9. रजतकर्ण मशरूम (ट्रिमेला फ्यूषिफार्मिस)के  औषधीय महत्व :-

चीन में इसका उपयोग विलासी एवं बहुमूल्य व्यंजन के रूप में होता है। यह क्षय रोग, मानसिक तनाव, जुकाम आदि बीमारियों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका सेवन स्वास्थ को बढ़ाता है। जापान में इसका उपयोग शकितवर्धक पेय पदार्थ के रूप में किया जाता है।

हमारे देश में मशरूम की अत्याधिक जैव विविधिता पायी जाती है परन्तु अज्ञानतावश हम इसके औषधीय लाभ से वंचित हैं अत: इसके लिए हम सब उत्पादकों, वैज्ञानिकों, प्रसार कार्यकर्ताओं, दवा निर्माताओं आदि का यह उत्तरदायित्व है कि मशरूम उत्पादन एवं इससे बनने वाली दवाओं के विकास एवं व्यापार को प्रोत्साहित करें जिससे कि मशरूम उत्पादन एक ''छाता क्रान्ति’ के रूप में स्थापित हो सके।  


Authors:

आशीष कुमार गुप्ता,

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र,

पूसा (बिहार)-848 125  

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