Importance of information technology in agriculture

भारत विश्व मंच पर तेजी से बढ़ता हुआ ‘‘अर्थव्यवस्था‘‘ है। अर्थव्यवस्था की गति को बरकरार रखना चुनौतीपुर्ण है, क्योंकि भारत की जनसंख्या 1.27 अरब को पार कर गई है जो भविष्य के लिए चिंताजनक है और ज्यादा दवाब खाद्यान उत्पादन पर बढ़ गया है। कृषि योग्य भुमि अब सीमित होती जा रही है, मौसम के प्रतिकुल प्रभाव एवं उन्नत तकनीक के अभाव से किसानों को कृषि क्षेत्र से लाभ कम होता जा रहा है।

इसका सबसे मुख्य कारण किसानों द्वारा परम्परागत खेती पर निर्भर रहना है। अतः किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती कर तथा सूचना प्रौधोगिकी का प्रयोग कर, अपने सीमित क्षेत्र से ज्यादा मात्रा में खाद्यान उत्पादन कर अधिक, लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा समय-समय पर किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती तथा सूचना प्रौधोगिकी का उपयोग कैसे किया जाए, इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण समय-समय पर दिए जाते है, जिनका मुल उद्धेशय किसानों को सूचना तकनिक का उपयोग कर अपने आप को आत्मनिर्भर बनाना तथा देश को खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।

सुचना प्रौधोगिकी का मुख्य उद्धेशय कृषि एवं उससे संबधित तकनीक को किसानो के तक पहुँचाना एवं उनके कृषि से संबधित सारे समस्याओं का निवारण । भारत सरकार के द्वारा ”डीजीटल इंडिया“ कार्यक्रम के तहत प्रत्येक गाँव को इन्टरनेट से जोड़ा जा रहा है इसका मुख्य लक्ष्य देश के हरेक वर्ग तक सूचना तकनीक का लाभ मिले एवं इसका उपयोग किसान, कृषि से सम्बधित समस्याओ का समाधान, जैसे- किसानो को मौसम के अनुसार कौन सी फसल एवं किस्म बोनी चाहिए जिससे अधिक उपज के साथ-साथ अधिक लाभ मिले।

सूचना प्रौधोगिकी और भौगोलिक सूचना के आधार पर मिट्टी, भुजल और मौसम से सम्बंधित जानकारी समय-समय पर किसानो को उपलब्ध कराया जाता है। सुचना तकनीक का उपयोग बुआई से पौध संरक्षण, रसायनिक उर्वरक का उपयोग, कीटनाशी दवाओं के प्रयोग, खरपतवार नाशी और बीज से जुड़ी जानकारी और सेवा प्रदान की जाती है।

सुचना प्रौधोगिकी के महत्व को देखते हुए कृषि क्षेत्र में इसकी सेवा निम्नलिखित माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।

किसान कॉल सेंन्टरः-

किसान कॉल सेन्टर की स्थापना का मुख्य लक्ष्य है कि वैसे किसान जो सूदूरवर्ती गाँव में रहते है और सुचना के जरीए अपनी खेती से संबंधित नवीनतम् जानकारी वैज्ञानिको से चाहते हैं। जैसे- कृषि उत्पादकता कैसे बढ़े, उन्न्त खेती के तरीके एवं उससे लाभ कैसे प्राप्त हो एवं अपनी जीवन स्तर सुधार इत्यादि।

भारत सरकार द्वारा किसान कॉल सेन्टर के माध्यम से निःशुल्क फोन सेवा (18001801551) एवं (SMS) द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। जैसे किसानों की समस्याएँ, मौसम से संबधित जानकारी स्थानीय भाषा में नियमित रूप से दी जाती है

इन सभी माध्यम से सूचना और संचार प्रौधोगिकी का उपयोग कर स-समय अपनी कृषि उत्पादकता उससे संबधित कठिनाईयो का निवारण कर अपने एवं जीवन-स्तर में सुधार कर सकते है।

0 चौपाल:-

ई0 चौपाल भारत में एक समुह है जो (ICT) के माध्यम से संचालित होता है। जो किसानों को दलालो और विचैलियों से बचाने के लिए उपयुक्त माध्यम है। कृषि संयत्र, मौसम, फसल जैसे- सोयाबिन, गेहूँ, धान, मक्का और दलहनी फसल जैसे कृषि उत्पादो की खरीद ब्रिकी इंटरनेंट के माध्यम से ग्रामीण किसानों को सीधे जोड़ा जाता एवं उससे संबधित सूचना दी जाती है।

ई0 चौपाल भारतीय कृषि से उत्पन्न चुनौतियों, कमजोर बुनियादी ढाचे और बिचैलियों की भागिदारी को कम करता है साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का उपयोग एवं प्रशिक्षण के साथ कंप्यूटर स्थापित करता है जिससे किसान नवीन जानकारी से अप-टू-डेट रहते है। ई0

चैपाल द्वारा किसान अपनी उपज ऑनलाइन मंडी के द्वारा उच्च लागत से बेचते है जिससे उनको शुद्ध मुनाफा मिलता है ICT द्वारा किसानों को उनके उत्पादों की गुणवता में सुधार करने में मदद करता है। ई0 चैपाल सेवा शुरू होने के बाद से किसानों के उत्पादन की गुणवता तथा पैदावार में वृद्धि सुधार की वजह से उनके आय के स्तर में वृद्धि, और लेन देन में गिरावट आयी है।

किसान चौपाल:-

कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK) के माध्यम से संचालित यह एक सफल मॉडल है। इस माध्यम द्वारा कृषि वैज्ञानिक किसानों की जरूरत को आंकलन के आधार पर किसान चैपाल गाँव में आयोजित की जाती है।

किसान चैपाल में किसानों के खेती, फसल उत्पादन, पशुपालन एवं इससे संबधित समस्याओं को सुना जाता है और सूचना प्रौधोगिकी के द्वारा इसे सुलझाया जाती है जो निम्न माध्यम है-

  • विडियो तकनीक (सिनेमा) के रूप में।
  • पावर पांइट प्रदर्शन (PPT) के रूप में ।
  • संवाद (Audio) तकनीक के रूप में।

संदेश पाठक आवेदन:-

संदेश पाठक का मुख्य उदेश्य वैसे किसान जो साक्षर या अनपढ़ है जो संदेश (SMS) पढ़ नहीं सकते और उन्हें खेती की समस्याओं को हल करने के लिए भारतीय भाषा में संदेश (SMS) रीडर आवेदक जो (C-DAC, IIT Madrash) द्वारा विकसीत किया गया पोर्टल है जो संदेश (SMS) को भारतीय भाषा के अनुसार बोल कर सुनाया जाता है।

तथा नवीनतम सूचना प्रौधोगिकी के माध्यम से खेती एवं उससे जुड़ी हुई हर समस्या को हल करने जैसे- कीट रोग, उवरर्क या खरपतवार प्रबंधन और मौसम से संबधित जानकारी दी जाती है।

ग्रामीण ज्ञान केन्द्र:-

ग्रामीण ज्ञान केन्द्र, त्वरित कृषि क्षेत्र मे उपलब्ध जानकारी/ज्ञान को किसान तक पहुँच प्रदान करने, फसल उत्पादन से विपणन के लिए शुरू कर सूचना के प्रसार केन्द्र के रूप में कार्य करता है।

जिसके माध्यम से कृषि / बागवानी, मत्स्य, पशुधन, जल संसाधन, टेली स्वास्थ, जागरूकता कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण, कंप्यूटर शिक्षा तथा आजीविका सहायता के लिए कौशल विकास / व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे नई पीढ़ी सूचना प्रौधोगिकी के माध्यम का उपयोग कर देश के विकास में भागीदार बने।

0 कृषि:-

सूचना प्रौधोगिकी के माध्यम से खेती में उभर रहा नवीनतम् तकनीक है। इसके द्वारा किसानों  को विभिन्न सोशल वेबसाइट जैसे- फेसबुक, वाहटस ऐप के जरिए किसानों को समुह में जोड़ा जाता है तथा उस समुह में विभिन्न क्षेत्रों के कृषि वैज्ञानिक एवं सलाहकार जुड़े रहते है,

जो किसानो की समस्याओं को सुनते है और उन समस्याओं की निदान की जाती है तथा भारत सरकार की विभिन्न कृषि पोर्टल के माध्यम से कृषि में अधिक उत्पादकता, उच्च उपज बीज का चयन, क्षेत्रों के अनुसार उच्च उपज देनेवाली बीज तथा मौसम के प्रतिकुल प्रभाव से फसल की बचाव  संबधित  जानकारी कृषि पोर्टल पर उपलब्ध रहती है। किसानों को ये जानकारी इन्टरनेट के माध्यम द्वारा मिल जाती है। 

किसान क्रेडिट कार्डः-

यह योजना भारत सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है, जो ICT माध्यम से संचारित होती है। इस योजना का मुख्य उद्धेशय किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराना है। वैसे किसान जिन्हें बार बार ऋण के लिए बैंको के पास जाना पड़ता था,

और बार- बार बैंकिग प्रक्रिया द्वारा गुजरना पड़ता था जिससे किसानो को जरूरत के समय ऋण नहीं मिल पाता था। अतः किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा ऋण किसानों को समय से मिल जाता है और खेती में नुकसान होने पर रकम अदायगी के लिए अवधि में असानी से परिवर्तन किया जा सकता है। जिससे  किसानों को अधिक परेशानी भी नहीं होती है एवं अतिरिक्त बोझ भी नही पड़ता है।

अतः आज के समय में किसान अपनी कृषि एवं उससे संबधित जानकारी सुचना प्रोधौगिकी के माध्यम से प्राप्त कर अच्छी उपज के साथ साथ लाभ युक्त होकर खुशहाल  है।


Authors:

आहुती कुमार गुप्ता, बिनोद कुमार एवं परमानंद परमहंस

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय क्रेन्द्र, पूसा बिहार

Corresponding author- This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.