Safety measures while using insecticides
पारंपरिक कृषि प्रणाली में उत्पादन कम होने के कारण किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था अतः उनका आकर्षण आधुनिक कृषि प्रणाली के तरफ बढ़ा जिसमें किसान उच्च पैदावार वाली किस्मों , सिंचाई सुविधा, रासायनिक उर्वरकाेें, तथा कीटनाशक का उपयोग करके फसल उत्पादन में कई गुना वृद्धी करने में सफल रहा ।
उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ ही कीट का प्रकोप बढ़ा जिसके परिणाम स्वरूप कीट द्वारा होने वाले आर्थिक नुकसान में काफी वृद्धि हुई | एक अनुमान के अनुसार हरित क्रांति के पहले वर्ष 1960 से पूर्व कीट द्वारा होने वाला औसतन नुकसान (सभी मुख्य फसलों को मिलाकर) 7.2 % था जबकि हरित क्रांति के बाद वर्ष 2000 के बाद यह बढ़कर 23.3 % हो गया (धालीवाल, 2007) |
इतनी बड़ी मात्रा में होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किसान रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करता है। रसायनिक कीटनाशक की लोकप्रियता का मुख्य कारण है कि यह कीट प्रबंधन के तरीके जैसे भौतिक प्रबंधन, जैविक प्रबंधन, सांस्कृतिक प्रबंधन के तुलना में शीघ्र कीट का नियंत्रण करता है |
अधिक प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशक केवल एकमात्र नियंत्रण का साधन संभव हो पाता है | अतः वर्तमान समय में रासायनिक कीटनाशक के बिना कृषि की कल्पना करना असंभव है | कीटनाशक जहर के अधिक प्रयोग से प्रदूषण, मित्र कीटों का नुकसान, शारीरिक स्वास्थ्य का जोखिम बना रहता है। इतना ही नहीं कभी कभी रसायनिक कीटनाशक के उपयोग के कीटो संख्या में वृद्धि हो जाती है |
अत्यधिक कीटनाशक के प्रयोग से कीट में कीटनाशक के लिए विरुद्ध प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है | अतः रसायनिक कीटनाशकों उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे हमें इस कीटनाशक का प्रयोग कर कीटनाशक का लाभ प्राप्त हो परंतु होने वाले हानी से बचा जा सके
कीटनाशक प्रयोग से पूर्व के सुरक्षा उपाय:
- कीट की पहचान और उसके द्वारा होने वाले आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाएं
- इसका प्रयोग सिर्फ तब ही करना चाहिए जब इसकी वास्तविक आवश्यकता हो (कीट का घनत्व ईटीएल के बराबर या इससे जायदा हो)
- विशेषज्ञों द्वारा सिफारिश किए गए कीटनाशक का प्रयोग करें यदि एक से अधिक कीटनाशक सिफारिश की गई हो तो उस परिस्थिति में सस्तन प्राणी के लिए सबसे कम विषैला तथाशीघ्र विघटित होने वाली कीटनाशक का चुनाव करें
- कीटनाशक के डब्बे पर दिए गए निर्देश को ध्यान से पढ़ें
- कीटनाशक का छिड़काव करने वाले व्यक्ति को इसके प्रयोग करने का पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए
- कीटनाशक का छिड़काव करने वाले व्यक्ति के लिए पूर्ण रक्षात्मक वस्त्र जैसे चश्मा, फुल बाजू बंद कमीज, फुल पजामा, जूता, दस्ताना, टोपी, मास्क इत्यादि उपलब्धता निश्चित करले
- उपयोग में आने वाले उपकरण के रिसाव के जांच पानी की सहायता से करें यदि जांच में लिक पाया जाए तो उपकरण का उपयोग सुधार के बाद ही करें
- पानी की पर्याप्त मात्रा, साबुन और तालियों की उपलब्धता सुनिश्चित करें
- कीटनाशकजोस्वास्थस्वासकेसाथ शरीर में प्रवेश कर जाता है उसके प्रयोग को वंचित करें
- कीटनाशक का संग्रह हमेशा घर से दूर ताला बंद कमरे में करें ताकि बच्चों जानवरों की पहुंच से दूर रहे
- छिड़काव से पहले पड़ोसी को सूचित कर दें खासतौर पर यदि उनके पास मधुमक्खी पालने का स्थान हो
- कीटनाशक संग्रह के स्थान से उपयोग के स्थान पर उतनी ही मात्रा में कीटनाशक लाये जितनी एक दिन मे आवश्यकता हो
- कीटनाशक को दूसरे बर्तन में संग्रह नहीं करें
- छिड़काव करने वाले व्यक्ति खाली पेट नहीं रहे
- विषहर एवं प्राथमिक उपचार की व्यवस्था रखें
कीटनाशक प्रयोग के समय के सुरक्षा उपाय
- स्वच्छ रक्षात्मक वस्त्र पहने
- यदि अधिक विषैला कीटनाशक का उपयोग कर रहे है तो कभी भी अकेले नहीं रहना चाहिए
- कीटनाशक का मिश्रण (पानी या किसी अन्य कीटनाशक उर्वरक आदि के साथ) बनाते समय बच्चे या दूसरे व्यक्ति जिनके पास इसकी जानकारी का अभाव हो उन्हें उस स्थान पर आने आने की अनुमति मत दे
- त्वचा मुख्यतः आंख और मुख को कीटनाशक के संपर्क में आने से बचाएं
- तरल कीटनाशक को हमेशा छिड़कने से बचाए
- छिड़काव करने वाले व्यक्ति हमेशा हवा की दिशा में ही खड़े हो
- निश्चित कर ले कीटनाशक का उचित में मात्रा उपयोग हो रहा
- छिड़काव खेत के निचले किनारे से शुरू करें और हवा आने की दिशा में ऐसा करने से छिड़काव करने वाला व्यक्ति हमेशा बिना छिड़काव किए हुए हिस्से में ही रहेगा
- कभी भी टोटी (नोजल) के जाम होने पर उसे मुंह से फुक मत मारे
- कभी भी बिना उपयोग किए कीटनाशक को खेत में नहीं छोड़े
- हवा की गति 5 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होने पर गर्दा सूत्रीकरण का उपयोग ना करें
- हवा की गति 8 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होने पर ऐरोसॉल (वायु विलय) सूत्रीकरण का उपयोग ना करें
- गर्दा सूत्रीकरण का प्रयोग सुबह के समय करे जब पौधा ओस से गीला रहता है
- तरल सूत्रीकरण का प्रयोग साँझ के समय करे
कीटनाशक प्रयोग के बाद के सुरक्षा उपाय
- कीटनाशक जिनका छीरकाव के समय उपयोग नहीं हुआ उसे पुण: संग्रह कर ले
- खाली डब्बा जिसमें पहले कीटनाशक रखा था उसको जला दें
- कभी भी कीटनाशक को उपकरण में ना छोड़े
- रक्षात्मक वस्त्र को बदल ले और उसे साफ कर ले
- कीटनाशक के उपयोग जैसे उपयोग का दिनांक, मात्रा इत्यादि का लेखा-जोखा रखें
- निश्चित समय के लिए कीटनाशक उपयोग किए गए क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति या जानवर का परिवेश निषेध करे
- कभी भी पीने के पानी के स्रोत के समीप उपकरण की सफाई ना करें
- उपकरण की सफाई पानी से करें
कीटनाशक के विष प्रभाव का उपचार
- यदि विष प्रारंभिक अवस्था (पेट) में हो
- मरीज को उल्टी कराएं
- खाली पेट में 1-2 चम्मच नमक आधे ग्लास पानी के साथ दे
- गले में उंगली डाल
- उल्टी जब तक साफ ना हो तो करवाते रहे
- यदि मरीज खुद से उल्टी कर रहा हो तो उसे बल पूर्वक उल्टी ना कराये
- पेट में उत्तोलक का प्रयोग करें
- यदि मरीज उल्टी नहीं कर पा रहा हो तो ऐसी परिस्थिति में रबड़ की नली को पेट में को डालें और पानी से धोए ताकि कीटनाशक बाहर जाए आ जाए
- सभी खिड़की दरवाजा को खोल दे वस्त्र भी ढीला कर दें
- मरीज को कंबल से ढक दें ताकि उसे ठंड ना लगे और आसपास का वातावरण शांत बनाएं रखें
- यदि सांस लेने में कठिनाई हो रही हो तो कृतिम तरीके से सांस दे
- यदि कीटनाशक का सीधा संपर्क त्वचा से हुआ हो तो शरीर एवं बाल को साबुन से धोए उसके बाद अल्कोहल से धोए फिर पुणे पुणे पानी से धोए
- नाखून उंगली और कान के पास के हिस्से को भी अच्छे से धोले
- यदि कीटनाशक का संपर्क आंख से हो तो उसे साफ पानी से धोएं किसी रसायनिक पदार्थ का उपयोग ना करें
- यदि विष का प्रभाव गंभीर अवस्था में हो (विष का बहाव खून के साथ पुरे शरीर मे हो)
- आवश्यकतानुसारकृतिम प्रणाली से श्वास की व्यवस्था करें
- पुनः कीटनाशक के संपर्क मे आने से रोके
- कीटनाशक का डब्बा खोज कर उसके बारे म जानकारी एकत्र करे
- मरीज़ को विषहर अशोध दे
- प्रमुख विषहर अशोध
- सार्वभौमिक विषहर अशोध: दो भाग सक्रिय चार्कल, एक भाग मैग्नीशियम ऑक्साइड एक भाग टैनिक एसिड आधा ग्लास गुनगुने पानी मे मिला कर दे। विषहर अशोध: का उपयोग अमलीय और भारी धातु के विष मेें ही किया जाता ।
कीटनाशक वर्ग | विषहर अशोध |
ओर्गनो फॉस्फेट | पी ए म एट्रोपिन |
करबामाते | एट्रोपिन |
ओर्गनो क्लोरीन | एपिनेफ्रीन |
निकोटीन | पोटैशियम परमैंगनेट |
थक्कारोधी | विटामिन के १ के २ |
Authors:
Sudeepa Kumari JHa
Ph. D. (Ag.) Entomology Scholar
BAU, Kanke, Ranchi
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