बकरी की खाद: जैविक खेती का प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प

बकरी की खाद: जैविक खेती का प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प

Goat manure: natural and sustainable alternative to organic farming

जब पूरा विश्व खतरनाक रासायनिक खादों से अनभिज्ञ था, तब भी किसान प्राकृतिक खाद से अच्छी उपज प्राप्त कर रहे । आज फिर से सभी लोगो का प्रम्परागात ज्ञान की ओर रुझान बढ़ रहा है और इसी मार्ग में बकरी की खाद एक अहम् भूमिका निभा रही है ।

 यह जानना बहुत जरुरी है की कैसे यह बकरी मल (मींगन) की छोटी-छोटी काली गोलियां किसानो के लिए कितना लाभकारी है। सह मिटटी की उर्वरक शक्ति बढ़ाकर कृषि क्रांति का नया अध्याय लिख रही हैं।

प्राचीन काल से ही किसानो द्वारा बकरी पालन किया जाता रहा है। बकरी को “गरीबो की गाय” भी कहा जाता है । यह भी जानना उतना ही आवश्यक है की बकरी की खाद में गाय की खाद से भी अधिक पोषक तत्व पाए जाते है जो इसकी उर्वरकता को बाढा देता है ।

एक टन बकरी की खाद में 22 किलोग्राम नाइट्रोजन पाई जाती है, जबकि गाय की खाद में यह मात्रा मात्र 10 किलोग्राम ही होती है। इसलिए बकरी के क्खाद को एक महतवपूर्ण स्थान प्राप्त है और इसकी उपयोगिता दिनों दिन और बढती जा रही है ।

आज के समय में जब रासायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बकरी की खाद एक प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प के रूप में सामने आई है।

पोषक तत्व

बकरी की खाद अन्य पशुओं के गोबर की खाद से बहुत अलग है । इसकी खाद छोटे गोलाकार दानो के रूप में होती है, जो सुखी और हलकी होती है । इसमें दुर्गंध भी बहुत कम होती है, जो इसे घरेलू बागवानी के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है। गाय की खाद की तुलना में यह जल्दी सड़ती है और इसमें नाइट्रोजन की मात्रा भी अधिक होती है।

ताज़ी बकरी की खाद नें  46.58% जैविक कार्बन होती है अथवा निम्न पोषक तत्व पाए जाते है :
– नाइट्रोजन : 1.34%
– फॉस्फोरस : 0.54%
– पोटैशियम : 1.56%

बकरी की खाद को कम्पोस्ट करने के बाद खाद के पोषक तत्वों की मात्रा बढ़कर निम्न हो जाती है:
– नाइट्रोजन: 2.23%
– फॉस्फोरस: 1.24%
– पोटैशियम: 3.69%

बकरी की खाद के अलावा इसका मूत्र भी एक उत्कृष्ट प्राकृतिक उर्वरक है, जिसमे 1.13% नाइट्रोजन, 0.05% फॉस्फोरस और  7.9% पोटैशियम की मात्रा होती है । ये तीनो तत्व पौधे के पूर्ण विकास के लिए बहुत ही सहायक है । नाइट्रोजन पौधों की हरी पत्तियों के विकास में सहायक होता है, फास्फोरस जड़ों के विकास और फूल-फल के लिए आवश्यक है, जबकि पोटैशियम पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, और सल्फर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

मिट्टी का जीवन-चक्र और बकरी की खाद

मिट्टी एक जीवित पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें अरबों सूक्ष्मजीव रहते हैं। बकरी की खाद इस पारिस्थितिकी तंत्र को पोषण प्रदान करती है। जब खाद मिट्टी में मिलाई जाती है, तो यह धीरे-धीरे विघटित होती है, जिससे पोषक तत्व लंबे समय तक मिट्टी में उपलब्ध रहते हैं। यह प्रक्रिया रासायनिक उर्वरकों से बिल्कुल अलग है, जो तुरंत घुल जाते हैं और जल्दी ही बह जाते हैं। मिट्टी की संरचना में सुधार करती है, जिससे वायु संचार और जल धारण क्षमता बढ़ती है। यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों को बढ़ावा देती है, जो पोषक तत्वों के चक्र को सुचारू बनाते हैं।

बकरी के खाद के प्रयोग  की विभिन्न विधियाँ

बकरी की खाद सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त है। सब्जियों, फूलों, फलों के पेड़, और घर के बगीचों  के लिए भी इसका प्रयोग लाभदायक है। यह धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ती है, जिससे पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता रहता है। अन्य खादों की तुलना में इसमें पौधों को जलाने का खतरा भी कम होता है।

बकरी की खाद का प्रयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। सबसे प्रभावी विधि है कम्पोस्टिंग, जिसमें खाद को 4-6 महीने तक सड़ने दिया जाता है। ताजी खाद का प्रयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इसे सावधानी से करना चाहिए। एक नवीन विधि है खाद का चाय (मैन्योर टी) बनाना, जिसमें एक भाग खाद को पांच भाग पानी में 5-7 दिनों तक भिगोया जाता है। इस घोल को पौधों की जड़ों में या पत्तियों पर छिड़का जा सकता है।

कम्पोस्टिंग की विधि

बकरी की खाद की कम्पोस्टिंग एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें बकरी के खाद के अलावा लकड़ी का बुरादा, भूसा, या पुआल जैसी सामग्री मिलाई जाती है। ढेर को 1.5-2 मीटर चौड़ा और 0.8-1.5 मीटर ऊंचा रखा जाता है। पहले सप्ताह में दिन में 2-4 बार, और बाद के सप्ताहों में दो दिन में एक बार ढेर को पलटना चाहिए। यह प्रक्रिया लगभग 4-6 महीने में पूरी होती है। कम्पोस्ट की गई बकरी की खाद का प्रयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। नई क्यारियों में प्रति 40 पाउंड खाद को लगभग 8 इंच की गहराई तक मिलाया जा सकता है। पुरानी क्यारियों में प्रति वर्ष 1-2 इंच की परत बिछाई जा सकती है।

बकरी की तरल खाद (मैन्योर टी) बनाने की विधि

तरल खाद आंशिक रूप से सूखे खाद को एक सप्ताह तक पानी में भिगोने के बाद बनने वाली चाय है। इनमें सभी प्रमुख पोषक तत्व कम मात्रा में होते हैं लेकिन ये ट्रेस तत्वों से भरपूर होते हैं और ट्रेस तत्वों की कमी के इलाज के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।

खाद का चाय  बनाने के लिए सर्वप्रथम  चाय की थैली बनाये, जो की सूखे खाद को प्लास्टिक की बोरी या जूट की बोरी में डालने से तैयार हो जायेगा । फिर इस चाय की थैली को 200 लीटर क्षमता वाले प्लास्टिक के ड्रम में रखें और थैले के ऊपर वजन डालें ताकि थैला ड्रम के नीचे रहे।

20 % हवा का अंतर रखते  हुए चाय की थैले पर पानी डालें और कपड़े या जाल से ढक दें। खाद से बनी थैली को एक सप्ताह तक भिगोएँ। एक सप्ताह के बाद पानी  का रंग गहरा भूरा हो जाएगा और खाद का चाय उपयोग के लिए तैयार हो जाएगी।

तरल खाद उपयोग

  • पत्तियों पर खाद के रूप में चाय की खाद का उपयोग करें: चाय की खाद को बराबर मात्रा में पानी के साथ मिलकर पतला करें और पौधे के विभिन्न विकास चरणों में साप्ताहिक रूप से छिड़काव करें
  • रोपण से पहले मिट्टी में चाय की खाद बिना पतला किए उपयोग करें
  • चाय की खाद को बराबर मात्रा में पानी के साथ पतला करें और फिर मिट्टी में सीधे डालें ताकि मिट्टी को सूक्ष्म पोषक तत्व और बढ़ी हुई सूक्ष्मजीव गतिविधि के लिए ऊर्जा मिल सके

तरल खाद के लाभ

यह पौधों को सभी प्रमुख पोषक की कम मात्रा तत्वों परन्तु  पूर्ण श्रेणी के ट्रेस तत्व प्रदान करता है। इसे पत्तियों पर छिडकाव करने  के लिए सबसे अच्छा उर्वरक माना जाता है क्योंकि पौधे पत्तियों के माध्यम से पोषक तत्वों को 20 गुना तेजी से अवशोषित कर सकते हैं।

यह पोषक तत्वों की अस्थायी कमी को दूर करने में मदद करता है। यह पोषक तत्वों की कमी वाले पौधों को तुरंत राहत प्रदान करता है तथा  विकास को बढ़ावा देता है।

इसे एक बार बनाकर  लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है। इसे जितना अधिक समय तक संग्रहीत किया जाता है, यह उतना ही अधिक शक्तिशाली हो जाता है क्योंकि ऐसा करने से इसमें लाभकारी सूक्ष्मजीवों की आबादी और बढ़ जाती है।

रोजगार की संभावनाएं

बकरी की खाद का व्यवसाय छोटे किसानों के लिए एक लाभदायक उद्यम बन सकता है। एक बकरी प्रतिदिन लगभग 1-1.5 किलोग्राम खाद उत्पन्न करती है। 50 बकरियों का एक छोटा फार्म मासिक 1500-2250 किलोग्राम खाद उत्पन्न कर सकता है।

छोटे किसान इसे स्वयं तैयार कर सकते हैं, जिससे लागत और भी कम हो जाती है। वर्तमान बाजार में प्राकृतिक खाद की बढ़ती मांग को देखते हुए यह एक आकर्षक व्यवसाय विकल्प है।

चुनौतियां और समाधान

खाद में पैथोजन की समस्या

समाधान:
– उचित कम्पोस्टिंग तापमान (60-70°C) बनाए रखें
– कम्पोस्टिंग अवधि कम से कम 4-6 महीने रखें
– नियमित पलटाई सुनिश्चित करें

खाद में खरपतवार के बीज

समाधान:

– बकरियों को नियंत्रित चारा प्रदान करें
– कम्पोस्टिंग में उच्च तापमान बनाए रखें जो बीजों को निष्क्रिय कर दे
– मल्चिंग का प्रयोग करें

खाद के भंडारण और परिवहन में दिक्कत

समाधान:

– खाद को पैलेट के रूप में संग्रहित करें
– वायु संचार वाले बैग का प्रयोग करें
– छाया में भंडारण करें

बकरी की खाद का भविष्य

बकरी की खाद का भविष्य उज्जवल है। विश्व स्तर पर जैविक खेती की ओर बढ़ता रुझान, रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों की बढ़ती जागरूकता, और टिकाऊ कृषि की आवश्यकता ने बकरी की खाद को एक महत्वपूर्ण विकल्प बना दिया है।

नई तकनीकों का विकास बकरी की खाद के प्रसंस्करण और प्रयोग को और भी प्रभावी बना रहा है। वर्मी-कम्पोस्टिंग, बायो-डाइजेस्टर, और पैलेटाइजेशन जैसी तकनीकें इस क्षेत्र में नए अवसर प्रदान कर रही हैं।

जैविक प्रमाणन और मानकीकरण की प्रक्रियाओं के विकास से बकरी की खाद का व्यावसायिक उत्पादन और भी व्यवस्थित हो रहा है। यह छोटे किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है।


लेखक

शिल्पी केरकेट्टा, मोनिका ऍम, अभय कुमार गिरी, नुजैबा पी. ऍम और एस. के.महंता

भा.कृ.अनु.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-झारखण्ड

drspkvet@gmail.com

डा. शिल्पी केरकेट्टा