धान के मूल्य वर्धित उत्पाद मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) की उत्पादन तकनीक

धान के मूल्य वर्धित उत्पाद मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) की उत्पादन तकनीक

Production Technique of Paddy’s Value-Added Product Puffed Rice (Murmura / Murra)

धान (ओराइजा सताइवा एल) सबसे महत्वपूर्ण खाद्य  प्रधान फसलों में से एक है जो दुनिया के कई हिस्सों में पोषक तत्वों का एक प्रमुख स्रोत है धान दूसरी सबसे बड़ी अनाज की फसल है यह घास परिवार (ग्रैमिनेसी) का सदस्य है, जो स्टार्चयुक्त बीज का उत्पादन करता है।

चावल इन्सान की दैनिक भोजन में अपनी कुल कलोरी का ६०-७०% और प्रोटीन का एक तिहाई हिस्से की पूर्ति करने में योगदान करता है, चावल हमारे दैनिक भोजन में न केवल आहार के रूप में लिया जाया है बल्कि इसके अलवा चावल का प्रयोग नाश्ते के रूप में खाद्य पदार्थो में जैसे की मुर्रा, पोहा, चिवडा, लाइ इत्यादि के रूप में भी करते आ रहे है

मुख्य भोजन के रूप में यह भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए कृषि नीति बनाने में एक केंद्रीय स्थान रखता है तथा  धान कई तरह के औद्योगिक उत्पाद जैसे कि चावल, राइस ब्रान ऑयल, मुर्रा, पोहा, लाइ  इत्यादि जैसी खाद्य पदार्थों की पूर्ति के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है |

Murmura production technologyचावल के मूल्य वर्धित उत्पाद: पफ्ड राईस (मुरमुरा / मुर्रा)

पफ्ड राईस जिसे कुरमुरा, मुरमुरा, मुर्रा / मूरी के नाम से भी जाना जाता है, खाने में बहुत हल्का वजन और कुरकुरा होता है। खाने में कुरमुरा, मुरमुरा, मुर्रा/मूरी को और भी अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए आप कई अन्य सामग्रियों के साथ पफ्ड राईस को मिला सकते हैं । मुरमुरा / मुर्रा में कैलोरी की बहुत ही कम मात्र, वसा रहित और सोडियम मुक्त होता है। हालांकि, यह प्रोटीन या फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत नही है किन्तु इसके अलवा यह विटामिन या खनिज का महत्वपूर्ण स्रोत है।

मुरमुरा / मुर्रा के तिन-चौथाई कप  में ५४ कैलोरी, १२ ग्राम कार्बोहाइड्रेट और १ ग्राम प्रोटीन होता है। मुरमुरा / मुर्रा में कुछ बी-विटामिन के साथ बहुत कम मात्रा में थाइमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन और फोलेट पाए जाते हैं। मुरमुरा / मुर्रा में कुछ मात्र में खनिज जैसे की  में आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जिंक की भी मात्रा भी होती है ।

मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) तैयार करने की विधि

१.  धूप में सुखाना

यह एक पारंपरिक विधि है जिसमे खुले में अनाज को फैलाकर धान की नमी को कम करने के लिए धूप में सुखाया जाता है। इस विधि में, अनाज पतली परतों में फर्श पर ५ सेमी से कम (लगभग २ से ४ सेमी) में फैला होता है। आवश्यक नमी की मात्रा प्राप्त करने के लिए, थर्मामीटर और नमी मीटर का उपयोग करके अनाज के तापमान और नमी की मात्रा की निगरानी की जाती है।

जब भी तापमान ५० डिग्री सेल्सिअस (बीज के लिए ४२ डिग्री सेल्सिअस) से अधिक हो जाता है, उस अवस्था में छायादार स्थान में सुखाया जाता है  तथा मुरमुरा / मुर्रा तैयार करने के लिए सूखे हुए धान की अंतिम नमी कि मात्रा लगभग १४% होनी आवश्यक होती है।

२. धान की पैराबोइलिंग प्रक्रिया

धान की पैराबोइलिंग एक हाइड्रो-थर्मल प्रक्रिया है, जिसमें चावल के दाने के भीतर स्टार्च के दानों को भाप और गर्म पानी के उपयोग से जिलेटिन किया जाता है। जिसके लिए साफ किया हुआ, सूखा हुआ धान (१३-१४% नमी युक्त) लिया जाता है और इसे ८० डिग्री सेल्सिअस  के गर्म पानी के बराबर अनुपात में भिगो कर रात भर के लिए छोड़ दिया जाता है।  

तत्पश्चात, अगले दिन पानी के निकास के  उपरांत नमी युक्त धान में १२५-१३० डिग्री सेल्सिअस के भाप को लगभग १० मिनट के लिए गुजरा जाता है इसके बाद धान को प्राकृतिक स्थिति में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।

पैराबोइलिंग का प्रभाव

पैराबोइलिंग का प्रभाव चावल के पफिंग ऑपरेशन में स्पष्ट है, पैराबोइलिंग का सीधा असर पफिंग के बाद प्राप्त होने वाले पफ्ड राइस मुरमुरा / मुर्रा की गुणवत्ता पर पड़ता है। यह मुख्य रूप से सभी दिशाओं में गर्मी (हिट) का अपव्यय करने में मदद करता है ताकि समान रूप से पफिंग की गुणवत्ता मिल सके। पैराबोइलिंग की प्रक्रिया, राईस मिल मशीन द्वारा पूरा चावल प्राप्त करने में मदद करता है।

पैराबोइलिंग चावल में, अन्पोलिश चावल की तुलना में लगभग ८०% पोषण तत्वा की सुरक्षा होती है। यह मिलिंग में टूट-फूट को कम करता है, चावल के भण्डारण क्षमता को बेहतर बनाता है और चावल में प्रोटीन और विटामिन के संरक्षण में मदद करता है।

३. धान की मिलिंग

धान की मिलिंग की प्रक्रियाओं में धान से छोटे पत्थरों और अधूरे दाने जैसी सभी अशुद्धियों को हटाने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया होती है धान से भूसी हटाने की प्रक्रिया, भूसी से चावल को अलग करने की प्रक्रिया, और एक आवश्यक स्तर तक  ब्रान लेयर को हटाने के लिए चावल की पोलिश करने की प्रक्रिया शामिल होती है।

मिलिंग का प्रभाव

मिलिंग की प्रक्रिया को विभिन्न डिग्री में करने के तत्पश्चात प्राप्त हुए चावल के नमूनों से प्राप्त मुरमुरा / मुर्रा का विस्तार अनुपात एक निश्चित मूल्य तक बढ़ जाता है। यह देखा गया कि मुरमुरा / मुर्रा के अधिकतम विस्तार करने के लिए न्यूनतम ६ डिग्री मिलिंग की आवश्यकता होती है, इससे ज्यादा डिग्री में मिलिंग किये हुए चावल से अच्छी गुणवत्ता वाले मुरमुरा / मुर्रा प्राप्त नही होते है।

४. नमक से उपचार

पफिंग के प्रक्रिया में नमक से उपचार करना, चावल को पफ करने की पूर्व-उपचार पद्धति में से एक है। यह मुख्य रूप से अधिकतम विस्तार अनुपात प्राप्त करने और स्वादिष्ट पफ्ड राईस प्राप्त करने के लिए किया जाता है। नमक से उपचार करने की प्रक्रिया की तैयारी के लिए, खाना पकाने में प्रयोग किया जाने वाल सोडा और पानी का उपयोग किया जाता है।

पफिंग प्रक्रिया में नमक के घोल का प्रयोग २ बार किया जाता है, प्राथमिक उपचार के लिए, १०० किलो चावल के लिए १०० ग्राम खाने का सोडा, ४ किलो नमक को २५ लीटर पानी में मिला कर के घोल बनाया जाता है। यह विधि चावल की कंडीशनिंग से पहले अभ्यास किया जाता है।

दूसरे उपचार के लिए, खाने का सोडा १०० ग्राम, १.२५ किलो चीनी और १८ लीटर पानी में ५ किलो नमक का घोल तैयार कर के चावल में पफिंग करने से पहले मिलाया जाता  है।

 मुरमुरा/मुर्रा (पफ्ड राइस) तैयार करने की विधि का फ्लो डायग्राम

Flow chart for Murmura or Murra making

 नमक से उपचार का प्रभाव

नमक के घोल को उद्योगों में चावल के पफ होने से पहले, हल्के मात्रा में मिलाया जाता है। नमक से उपचार की प्रक्रिया, चावल के विस्तार अनुपात को सराहनीय रूप से बढ़ाता है। नमक से उपचार की प्रक्रिया में, पके हुए स्टार्च के ऊष्मा विस्तार में नमक ने गर्मी के प्रवाहकत्त्व को अंदर की ओर और नमी को बाहर की ओर निकल कर चावल के दाने में विस्तार करने में मदद करता है।

५. रोस्टिंग

रोस्टिंग, चावल के दाने को सुखाने की एक विधि है जो चावल के उपचार के उपरांत पफिंग ऑपरेशन के दौरान सर्वोत्तम नमी की मात्रा प्राप्त करने के लिए होती है। इस प्रक्रिया में नमक से उपचारित किये गये चावल को ८-१० मिनट तक चार अलग-अलग पात्र (जो नमकीन चावल भूनने के लिए होते हैं) में १८०-१९५ डिग्री सेल्सिअस के तापमान पर भुना जाता है।

रोस्टिंग की प्रक्रिया में, चावल के दाने को ४०-६० आरपीएम पर घूमने वाले मैकेनिकल स्टिरर द्वारा चावल को लगातार हिलाते हुए भुना जाता है। मैकेनिकल पफिंग विधि में, रोस्टिंग ऑपरेशन में प्रयोग किये गये सिलेंडर के परिधि के चारों ओर पंख (विंग) लगे होते हैं।

रोस्टिंग का प्रभाव

रोस्टिंग की प्रक्रिया में पूर्व-उपचारित चावल के अच्छे विस्तार के लिए, चावल को लगभग २४० से २५० डिग्री सेल्सियस पर भूनना आवश्यक होता है  तथा चावल के सभी दानो को उच्च तापमान के संपर्क में लगभग ६-१० सेकंड के लिए लाने पर चावल में नमी की मात्रा में १-२% तक की कमी हो जाती है।

६. पफिंग

पफिंग, कम समय के लिए भुने हुए चावल के दानो को उच्च तापमान के संपर्क में ला कर के चावल के दानो में विस्तार करने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, भुने हुए चावल को कम अवधि लगभग ५-१० सेकंड के लिए लगभग २४०-२५० डिग्री सेल्सिअस के उच्च तापमान के संपर्क में लाया जाता है ।

पफिंग की मैनुअल विधि में, यह अलग पात्र में किया जाता है, लगभग २०० ग्राम भुना हुआ चावल पफिंग के लिए उपयोग किया जाता है ।

पफिंग की प्रक्रिया में पूर्व उपचार का प्रभाव

दोनों ही परिस्थिति में चावल के दानो को हाइड्रो-थर्मल प्रक्रिया से उपचारित किया जाता है जिसमे उपचारित चावल के दानो को वास्तविक पफिंग ऑपरेशन के लिए २४०-२५० डिग्री सेल्सिअस के संपर्क में लाया जाता है। हाइड्रो-थर्मल प्रक्रिया में उपचारित करने का उद्देश्य चावल के दानो के अन्दर नमी बढ़ाना और चावल के दानो के सतह पर सूखी ठोस परत का निर्माण करना है।

दैनिक आहार में, मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) में पोषक तत्वा की मात्र

नीचे दिए गये पोषक तायवा की मात्र को १ कप (१०० ग्राम) मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) में बताया गया है :

१. कैलोरी –  ४०२ कैलोरी

२. कुल वसा  – ०.५ ग्राम

३. संतृप्त वसा – ०.१ ग्राम

४. कोलेस्ट्रॉल – ० मिली ग्राम                                              

५. कार्बोहाइड्रेट – ९० ग्राम

६. आहार फाइबर –  १.७ ग्राम

७. प्रोटीन –  ६ ग्राम

८. कैल्शियम – ६ मिली ग्राम

९. मैग्नीशियम –  २५ मिली ग्राम

१०. आयरन – ३१.७ मिली ग्राम

(नोट – प्रतिशत दैनिक मान २००० कैलोरी आहार पर आधारित हैं। आपकी दैनिक आवश्यकताएं आपकी कैलोरी आवश्यकताओं के आधार पर अधिक या कम हो सकती हैं।)

मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) खाने के ११ स्वास्थ्य लाभ 

  1. ऊर्जा  – मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो आपकी ऊर्जा को तुरंत सुधार करते हैं यह आपको ऊर्जावान बनाए रखने और आपकी दैनिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए ईंधन के रूप में कार्य करते है।
  2. पाचन में मदद करें – मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) में पाचन तंत्र का समर्थन करने के लिए आहार फाइबर होता है। इसलिए, यह मल त्याग को अनुकूलित करने और शरीर के चयापचय में सुधार करने में मदद करता है।
  3. कब्ज को रोकें– मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) एक बेहतर मल त्याग के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है। इसलिए, यह कब्ज और रक्तस्राव को रोकता है।
  4. हड्डियों की मजबूती – मुरमुरे / मुर्रा (पफ्ड राईस) विटामिन डी, राइबोफ्लेविन और थायमिन का एक समृद्ध स्रोत है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, आयरन और फाइबर भी होते हैं। इसलिए इसका सेवन करने से आप अपनी हड्डियां और दांत को मजबूत रखते हैं। यह हरी बीन्स के समान स्वास्थ्य लाभ हैं जो एक मजबूत हड्डी बनाए रखने में सहायक हैं। इसलिए, यह ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी से सम्बंधित रोग) से बचने में भी सहायक है।
  5. रक्तचाप में नियंत्रण – कम सोडियम युक्त वाली खाद्य पदार्थो का सेवन करने में मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) काफी सहायक है। यह रक्तचाप के स्तर को विनियमित करने में मदद करता है। इसलिए, उचित मात्रा में मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) का सेवन करने से उच्च रक्त रोग से बचा जा सकता है। यह दिल के दौरे जैसी संबंधित बीमारियों को भी रोकने में सहायक है।
  6. मस्तिष्क का विकास – मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) में न्यूरोट्रांसमीटर पोषक तत्व होते हैं, इसलिए मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मस्तिष्क तंत्रिका को उत्तेजित करना इत्यादि  शामिल है। मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) का सेवन मस्तिष्क के विकास और संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  7. प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास – मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने और संक्रमण के जोखिम को रोकने के लिए फायदेमंद होते हैं। यह बादाम की चाय के समान स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, जो शरीर पर मुक्त कण प्रभाव को रोकने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकते हैं जैसे कि उम्र बढ़ने के संकेत।
  8. आहार – मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) खाने का एक और स्वास्थ्य लाभ, अधिक संतुष्टि महसूस करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह पेट में परिपूर्णता की भावना लाता है। इसलिए, मुरमुरा / मुर्रा स्नैक्स के रूप में एक स्वस्थ आहार स्नैक्स का पसंदीदा विकल्प है। मुरमुरा / मुर्रा का सेवन करते समय मुरमुरा / मुर्रा के साथ कुछ अनाज डालने की कोशिश करें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा और आपके शरीर को अधिक वजन बढ़ाने से बचाएगा। इसलिए, यह आहार के लिए एक अच्छा विकल्प है।
  9. विटामिन और खनिज  – मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है। मुरमुरा / मुर्रा की मुख्य सामग्री के रूप में चावल में विटामिन बी और आयरन की एक बड़ी मात्रा होती है। इसके अलावा, यह अन्य खनिजों और विटामिनों से भी समृद्ध है। इसलिए, एक कप मुरमुरा / मुर्रा आयरन के लिए दैनिक जीवन का २५% और थायमिन का २४% मात्रा प्रदान करता है (यह २००० कैलोरी आहार के अनुसार है) इसलिए, यह शरीर के चयापचय को अनुकूलित करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह कुपोषण से बचाने में और एक स्वस्थ शरीर बनाने में सहायक है।
  10. त्वचा की देखभाल – मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) को पाउडर में बदला जा सकता है यह पाउडर त्वचा के लिए उतना ही अच्छा है जितना अरंडी के तेल है इसलिए, मुरमुरा / मुर्रा के पाउडर एक्जिमा या मुँहासे जैसे त्वचा रोगों के लिए एक प्रभावी दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता हैं। यह एक चिकनी और रेशमी त्वचा बनाने में मदद करता है। कुछ लोग मुरमुरा / मुर्रा के पाउडर का इस्तेमाल साबुन के रूप में भी करते हैं यह त्वचा को नमी देता है। इसके अलावा, यह त्वचा की जलन को शांत करता है। इसलिए, यह त्वचा की कई परेशानियों से राहत दिलाने में मदद करता है।
  11. वजन कम करने के लिए पुरस्कृत चावल – अन्य रेडी-टू-ईट अनाज की तुलना में, मुरमुरा / मुर्रा में कैलोरी बहुत कम होता है। लगभग ¾ चावल के कप में ९८ कैलोरी होता है, जिसे मुरमुरा / मुर्रा के साथ बदलाव करने से आप प्रति खुराक ४४ कैलोरी बचा सकते हैं। यदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अतिरिक्त ४४ कैलोरी एक दिन में बचाने से आपको हर २.५ महीने में १ पाउंड वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) क सेवन करने से दुष्प्रभाव 

मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) के सेवन रकने से दुष्प्रभाव पर कोई रिपोर्ट नहीं है। हालांकि, भले ही मुरमुरा / मुर्रा का सेवन करने के कुछ स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन मुरमुरा / मुर्रा का सेवन करते समय नीचे दी गई कुछ बातो का ध्यान रखे :

  1. बहुत अधिक मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) का सेवन करने से मधुमेह हो सकता है। चूंकि चावल में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है इसलिए, यह रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ता है। इसलिए, आवश्यक के रूप में उपभोग करना बेहतर है। इसके अलावा, मधुमेह व्यक्ति को चावल का सेवन कम करना चाहिए।
  2. मुरमुरा / मुर्रा (पफ्ड राईस) भी कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं। इसलिए, इस भोजन का बहुत अधिक सेवन करने से मोटापा हो सकता है इससे वजन बढ़ सकता है। इसके अलावा, इसे रोकने के लिए, दैनिक व्यंजनों के रूप में मुरमुरा / मुर्रा का सेवन करते समय अधिक व्यायाम करें।

 Authors

राहुल डाहारे  

कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग ,

स्वामी विवेकानन्द महावद्यालय, कृषि अभियान्त्रिकी और तकनीक एवं अनुसन्धान केंद्र  

इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़

ईमेल: rahul.dahare10@gmail.com

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