Agricultural Production will increase with the use of modern equipment
आधुनिक कृषि एवं मशीनों के द्वारा समय की बचत के अलावा श्रम, ईंधन एवं खर्च के साथ- साथ प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण भी होता हैं तथा बेहतर उपज भी प्राप्त की जा सकती हैं। इससे जहा एक और खाद्यान्न की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति की जा सकती हैं, वही दूसरी और किसानों को भी अपनी उपज का पर्याप्त लाभ मिलेगा। खेती में आधुनिक कृषि एवं मशीनों का इस्तेमाल समय की जरूरत हैं।
किसानों को अगर पैदावार एवं आय बढ़ानी हैं तो आधुनिक कृषि एवं मशीनों का उपयोग करना ही होगा। खेती और उससे जुड़े कार्यों में श्रमिकों की कमी एक बड़ी समस्या बन गयी हैं, कृषि मशीनों से इस कमी को पूरा किया जा सकता है। आधुनिक कृषि यंत्रो के उपयोग से दूसरा लाभ यह हैं कि इनसे कार्यों को करने में कम समय लगता हैं। समय कम लगने से समस्त कार्य समय अनुसार पुरे किये जा सकते हैं। कृषि कार्यों का समय पर होना बहुत महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय कृषि ने आजादी के बाद खादन्न उत्पादन के क्षेत्र में पांच गुना से अधिक बढ़ोतरी का सफर तय किया हैं। इससे देश कि निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण पोषण किया जा सका हैं। इस सफलता में हरित क्रांति का विशेष योगदान हैं इसके बाद फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में कई गुना वृद्धि हुई।
भारत सरकार का वर्ष 2022 तक देश के किसानों कि आय दोगुनी करने का लक्ष्य हैं। यह सपना तभी साकार हों सकता हैं, जब अन्य उपायों के साथ-साथ उत्पादन लगात को भी वैजानिक तरीके से कम किया जाये। जैसे कि उन्नत बीज, रासायसनिक खाद, कीटनाशक दवा और सिचाई की समुचित व्यवस्था, खेतों में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए जुताई, बुआई, सिंचाई, कटाई और भंडारन के लिए आधुनिक कृषि यंत्र का प्रयोग जरूरी है।
रोटावेटर
बीजाई के लिए खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने और खेत में लगे अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर जमीन में दबाने के लिए रोटावेटर उपयुक्त यंत्र है। यह मिट्टी को भी 5-6 इंच तक मुलायम करने में सक्षम है। इसमें लोहे का फ्रेम, थ्री पॉइंट हीच सिस्टम, एक रोटरी शॉफ्ट जिस पर ब्लेड लगे होते हैं।
रोटावेटर पावर टिलर
पावर टिलर
छोटी जोत वाले किसानों के लिए उपयोगी यह पावर टिलर यंत्र बैलचालित हल का अच्छा विकल्प है। इससे खेत की जुताई कार्य से लेकर बुआई, कटाई व फसल ढुलाई तक का कार्य लिया जा सकता है। इसमें एक श्रृंखला और स्पोर्केट प्रकार के रोटरी संचरण, एक रोटरी शॉफ्ट, कवर और रक्षा ढाल होते हैं। इसके साथ बीज बुआई यंत्र, दवा छिडक़ाव यंत्र, पंपसेट आदि आसानी से जोडक़र काम में लिया जा सकता है।
ट्रैक्टर से चलने वाला मोल्ड बोर्ड
फसल बुआई से पहले मिट्टी को उलट पुलट करने के लिए यह मोल्ड बोर्ड (मिट्टी पलट हल) काफी उपयोगी है। इसमें शेयर पॉइंट, शेयर, मोल्ड बोर्ड, लैंड स्लाइड्स, फ्रॉग, शेंक, फ्रेम और थ्री पॉइंट हीच सिस्टम होते हैं। इससे मिट्टी की सख्त सतह को तोड़ा जा सकता है और फसल के अवशेषों और हरी फसल को काटकर मिट्टी में दबाने के लिए उपयोगी है।
मोल्ड बोर्ड हैपी सीडर
हैपी सीडर
यह धान कटने के बाद गेहूं की बुवाई में काम आता है। इस मशीन में जीरोटिल सीड कम फर्टिलाइजर मशीन के सभी गुण हैं। इस मशीन का विशेष गुण यह है कि यह फसल के बचे डंठल आदि को दबाने के लिए इसमें चॉपर लगा होता है। यह डंठल को काटकर मिट्टी में दबा देता है जिससे डंठल में उपलब्ध कार्बन तत्व भी मिट़टी में मिल जाते हैं। इस प्रकार यह गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयोगी यंत्र है।
पावर वीडर
यह एक शक्ति चालिक खरपतवारनाशी यंत्र है। विभिन्न फसलों यथा सब्जियों, गन्ने, पहाड़ी इलाके में लगे अन्य फसलों आदि में जो पंक्ति में लगाई जाती है, उसमें उगे खरपतरवार निकालने के लिए सबसे उपयोगी यंत्र है। इस यंत्र के प्रयोग से विभिन्न फसलों में खरपतवार कम समय में आसानी से निकाले जा सकते हैं।
पावर वीडर सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल
जीरो टिल सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन
यह आम सीड ड्रिल से मिलता-जुलता है। लेकिन कुंड खोलने वाले चौड़े सावल के स्थान पर मिट्टी चीरने वाला पतला सावल लगा रहता है जो आसानी से बिना जुताई किए हुए खेत में पतली लाइन बनाता है तथा इससे बीज एवं खाद समय दूरी पर पंक्ति में गिरती है।
इससे धान की कटाई के बाद बिना खेत जुताई किए गेहूं की बुवाई का कार्य किया जाता है। इसके उपयोग से डीजल, जुताई के खर्च तथा मानव श्रम की बहुत बचत होती है। इसके उपयोग से ज्यादा उपज भी मिलती है। इसकी कार्यक्षमता एक दिन में 2 से 3 हैक्टेयर है।
कल्टीवेटर
कल्टीवेटर शुष्क और आद्र मिट्टी पर बीजाई के लिए भूमि तैयार करने, मिट्टी में दबे ढेलों को तोडऩे और धान की खेत में कदवा करने के काम में आता है। इसके नुकीले खुरपों से निराई गुड़ाई भी की जा सकती है। इसके लिए फसलों को पंक्तियों में बोना जरूरी है। डकफुट कल्टीवेटर खरपतवार नष्ट कर मिट्टी में नमी की अवधारणा को तय करता है।
कल्टीवेटर स्प्रेयर
स्प्रेयर
यह एक दवा का छिड़काव करने वाला उपकरण है। इसकी मदद से फसलों पर कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव कर सकते हैं। इसको दवाई छिड़कने वाली मशीन भी कहा जाता है। यह कई मॉडल में बनाई जाती है जैसे, निपटाकर स्प्रेयर, पोर्टेबल पावर स्प्रेयर, नैकपैक पावर स्प्रेयर, मिस्ट डस्ट स्प्रेयर आदि है।
कुछ उपयोगी यंत्र
रिवर्सेबल एम. बी. प्लो, मल्टीक्रॉप सीड ड्रिल, पॉवर वीडर स्वचालित रीपर ट्रैक्टर चालित कटाई एवं बंदाई यंत्र रोटोवेटर, मल्च बिछाने का उपकरण मल्टी क्रॉप थ्रेशर इत्यादि ऐसे यंत्र है जो किसानो के लिए बहुत उपयोगी है। इनका प्रचलन धीरे धीरे बढ़ रहा है किन्तु हमें यह प्रयास करना है कि इनका उपयोग तेजी से बढ़े और अधिक से अधिक किसान लाभ ले सके।
कई बार किसानो में यह धारणा रहती है कि ये यंत्र तो बड़े किसानों के लिए है और छोटे किसान इनका उपयोग नहीं कर सकते है। किन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है ये यंत्र छोटे किसानों द्वारा भी प्रयोग में लाये जा सकते है इसके अलावा ट्रैक्टर चालित भी कई यंत्र है जैसे सीडड्रिल इत्यादि। इस सीड ड्रिल के उपयोग से परंपरागत बुवाई की तुलना में लगभग तीन गुना तेजी से काम कम श्रमिकों द्वारा किया जा सकता है।
यंत्रो को कैसे प्राप्त करे
किसानों को चाहिए कि वे समय-समय पर होने वाले किसान मेलों, विचार गोष्ठियों, कृषि प्रदर्शनियो में त्तपरता से भाग लें तथा अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर लाभ उठाये। ट्रैक्टर चालित उन्नत कृषि यंत्र महंगे हैं और सभी किसानों द्वारा उनको खरीदना सम्भव नहीं हैं।
किसी भी किसान के लिए सभी यंत्र खरीदना आवश्यक नहीं हैं। किसानों को चाहिए कि बैल चालित अथवा ट्रैक्टर चालित उन्नत किसी यंत्र, जो किसानों के लिए सर्वाधिक उपयोगी हों, उन्हें खरीद लें तथा अन्य यंत्र किराये पर लाकर काम करें। चाहे तो कुछ यंत्रो को समूह में खरीद सकते हैं।
आजकल गावों में कई स्थानों पर कस्टम हायरिंग सेंटर भी विकसित किये जा रहे हैं। यहां से किसान यंत्रो को किराए पर लेकर अपना कार्य कर सकते हैं। इस प्रकार आधुनिक कृषि यंत्रो के उपयोग से खेती की लगात में कमी और पैदावार बढ़ाई जा सकती हैं तथा साथ-साथ समय बचाया जा सकता हैं।
इनके उपयोग से पैदावार में 5-15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी तथा लगभग 20 प्रतिशत तक खेती में लाभ बढ़ाया जा सकता हैं इस प्रकार आधुनिक कृषि यंत्रो के उपयोग से किसानों की आय दोगुना करने में काफी मदद मिल सकती हैं।
Authors:
डॉ. वीर सैन
कृषि विज्ञान केंद्र, दामला (यमुनानगर)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार (हरियाणा)
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