सभी किसान भाई जानते है कि फसल उत्पादन के लिए मृदा यानि मिट्टी एक बहुत ही उपयोगी प्राकृतिक माध्यम है। पौधों को अपनी बढ़वार, जड़ व तने के विकास, फूल व फलों के निर्माण आदि के लिए भोजन के रूप् में 16 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ये पोषक तत्व हैं C,H,O,N,P,K,Ca,Mg,S,Fe,Cu,Zn,Mo,B एंव Cl इनमें से C,H,O तो पौधे हवा एवं पानी से प्राप्त लेते है तथा शेष 13 पोषक तत्व पौधों को मिट्टी से ही प्राप्त होते है।
मिट्टी से ही पौधों को आवश्यकतानुसार पानी एवं सीधा खड़े रहने के लिए यांत्रिक सहारा मिलता है इसके अलावा मिट्टी में पौधों के लिए लाभदायक कई सूक्ष्मजीव भी निवास करते हैं।
आजकल अधिक व लगातार फसलों लेने के कारण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में कमी हो रही है तथा रासायनिक उर्वरकों एवं पौध संरक्षण रसायनों के अधिक उपयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। अत: मिट्टी की गुणवता जानने के लिए इसकी जांच करवाना अति आवश्यक है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता
- भारत जनसंख्या के आधार पर दुनिया का दूसरे नं. का देश है तथा जनसंख्या वृद्वि लगातार हो रही है। बढ़ती जनसंख्या के खाद्यान आपूर्ति में आत्मनिर्भर बने रहने के लिए उपलब्ध संसाधनों का तर्कसंगत उपयोग करते हुए उत्पादन वृद्वि का लक्ष्य है।
- मृदा में उर्वरकों एवं कीटनाशकों का असंतुलित उपयोग करने के कारण मृदा की उर्वरा शक्ति का ह्यस हो रहा है। मृदा की उर्वरा शक्ति एवं मृदा स्वास्थ्य उत्ताम बनाये रखने के उध्देश्य से मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जाने की महत्ताी योजना का श्रीगणेश वर्ष 2014 में माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से किया है।
- इस योजना में सिंचित क्षेत्र से 5 हैक्टयर में तथा असिंचित क्षेत्र से 10 हैक्टेयर में मृदा नमूने एकत्रित किये जायेगें तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाकर किसानों को वितरित किये जायेंगे। योजना तीन वर्ष के लिए है। प्रधानमंत्रीजी का किसानों को नारा है -स्वस्थ धरा तो खेत हरा।
- मृदा स्वास्थ्य की महत्ताा को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2015 को मृदा वर्ष के रूप में घोषित किया है तथा उसी कड़ी में 5 दिसंबर 2015 को अंतराष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। मृदा परीक्षण उपरांत किसान भाईयों में समंवित पोषक तत्व प्रबंधन के तहत कार्बनिक एवं अकार्बनिक खाद एवं उर्वरकों की फसलवार सिफारिस प्राप्त होगी।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है तथा किसानों के लिए इसकी क्या उपयोगिता है ?
- किसान भाईयों के खेत की मिट्टी की जांच रिपोर्ट, जो मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा तैयार कर कार्ड के रूप में जारी किया जाता है, उसको मृदा स्वास्थ्य कार्ड कहते है।
- किसान भाईयों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड से अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति, मृदा की समस्या एवं उपचार तथा फसलवार डाले जाने वाले खाद व उर्वरकों के मात्रा की सिफारिस मिल जाती है ताकि किसान भाई संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरकों का उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सके।
मिट्टी की जांच के क्या उध्देश्य है ?
- मिट्टी की जांच से इसकी उपजाऊ शक्ति यानि इसमें मौजूद मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का पता लगता है।
- लवणीय, क्षारीय एवं अम्लीय मिट्टीयों की पहचान होती है।
- मिट्टी के भौतिक गुणों को जानकर इसका वर्गीकरण किया जा सकता है।
मिट्टी की जांच से क्या -क्या फायदे होते है?
- मिट्टी की जांच से हमें यह जानकारी प्राप्त होती है। कि हमारी मिट्टी कौन-कौन सी फसलों के लिए उपयुक्त है।
- जांच के आधार पर उपलब्ध पोषक तत्वों के अनुसार चयनित फसल के लिए संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वराकों का प्रयोग कर फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
- आवश्यकता से अधिक उर्वरको के प्रयोग पर रोक लगती हैं जिससे किसानों के धन की बचत होती हैं तथा मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब नहीें होता।
- लवणीय, क्षारीय एवं अम्लीय मिट्ीयों को सुधारने के लिए भूमि सुधारक रसायनों का प्रयोग कर इनका उचित प्रंबध किया जा सकता है।
मिट्टी की जांच के लिए नमूना कब लेना चाहिए ?
जांच हेतु नमूना फसल बुवाई के लगभग एक माह पूर्व लेना उचित रहता हैं जिससे जांच की सिफारिश के अनुसार खाद, उर्वरकों एवं भूमि सुधारक रसायनों का प्रबंध कर उचित समय पर उपयोग किया जा सके।
नमूना लेने का सही तरीका क्या है ?
- किसान भाइयो, यह बहुत महत्वपूर्ण हैं कि मिट्टी का नमूना सही तरीके से लिया जाए, जिससे कि जांच के परिणाम के आधार पर प्राप्त होने वाली सिफारिशे भी सही हो।
- इसके लिए सबसे पहले खेत को समान गुणों जैसे खेत का ढ़लान, मिट्टी का रंग, गठन, फसल प्रबंध आदि के आधार पर बांट लेना चाहिए।
- इसके बाद समान गुणों वाले खेत में 8-10 स्थानों का चयन कर उपरी सतह से घास-फूस हटाकर साफ कर देना चाहिए।
- चयनित स्थान पर खुरपी या फावड़े की सहायता से एक 6 इंच गहरा तिकोना आकार का गड्ढ़ा खोद कर इसकी दोनों तरफ की दीवारों की उपर से नीचे तक एक इंच मोटी मिट्टी काटकर एक साफ तगारी में एकत्रित कर लें। इसी तरह से अन्य चयनित स्थानों से मिट्टी एकत्रित कर एक साफ पक्की जगह पर डालकर अच्छी तरह मिलाकर ढेर बनाले।
- मिट्टी के इस ढेर को आडी एवं खड़ी लाइन डालकर चार भागों में बांट ले एवं आमने सामने कि मिट्टी को हटा दें। शेष दो भागों की बची मिट्टी को मिलाकर फिर एक ढेर बनाले तथा इस प्रक्रिया को तब तक दोहराये जब तक आधा किलो मिट्टी शेष रह जायें। इस मिटट्ी को एक साफ थैली में भर ले। इस खेत का सही नमूना होगा।
नमूने की पहचान के लिए किसान क्या करें ?
नमूने की पहचान के लिए किसान को दो मोटे कागज के टुकड़ों पर अपना नाम, गांव, पूरा पता, खेत का नाम या खसरा नंबर, सिंचित या असिंचित, बोई जाने वाली फसल का नाम, नमूना लेने का दिनांक आदि लिखकर एक कागज थैली के अंदर तथा दूसरा थैली के मुँह पर बांध देना चाहिए।
नमूना लेते समय किसान को क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ?
- मिट्टी का नमूना लेते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नमूना रास्ता, सिंचाई की नाली, खेत की मेड़ख् खाद के ढ़ेर, पेड़ के पास, कुंए के पास, दलदली जगह आदि से नहीे लेना चाहिए।
- खाद व उर्वरकों को प्रयोग एवं बरसात के तुरंत बाद नमूना नहीं लेना चाहिए।
- नमूना साफ थैली में लेना चाहिए तथा लवणीय या क्षारीय भूमि का नमूना अलग से लेना चाहिए।
- खड़ी फसल के कतारों के बीच से नमूना लेना चाहिए।
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच करवानी हो तो नमूना लेने के लिए लकड़ी या प्लास्टिक के औजार ही काम में लेने चाहिए।
मिट्टी एवं पानी के नमूनों को जांच के लिए कहाँ और कैसे भेजे ?
किसान भाइयों मिट्टी एवं पानी के नमूनों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला कार्यरत हैं। जोधपुर में यह प्रयोगशाला पावटा में सब्जी मण्डी से सामने कृषि भवन में स्थित हैं। जिले में पी.पी.पी. मोड पर दो प्रयोगशालाये बिलाड़ा एवं फैलादी में भी संचालित की जा रही है। आप स्वयं या अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से नमूनो को भेजकर जांच करवा सकते हैं।
प्रयोगशाला जांच के आधार पर क्या बताती हैं ?
मिट्टी के नमूनों की जांच के परिणाम के आधार पर एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जा है। जिसमें मिट्टभ् का पी.एच.मान, विद्युत चालकता, मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता के बारे में जानकारी होती हैं। तथा साथ ही विभिन्न फसलों के लिए खाद व उर्वरकों की मात्रा की सिफारिस भी की जाती है।
अत: अधिक फसल उत्पादन एवं मिट्टी का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवायें तथा सिफारिस के आधार पर संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरकों का प्रयोग करें।
Authors:
पूनम कुमारी1 , लोकेश कुमार2
1पौध व्याधि विभाग 2प्रचार - प्रसार विभाग
एस.के.एन.कृषि महाविद्यालय, जोबनेर ( जयपुर ), राजस्थान कृषि महाविद्यालय (उदयपुर)
Email: