Importance of soil testing and method of collecting soil samples

भारत में मिट्टी परीक्षण सेवा 1956 मे 24 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुई थी।  मृदा की जाँच एक रसायनिक प्रक्रिया है जिससे मिट्टी मे उपस्थित पौधों के पोषक तत्वों का निर्धारण व प्रबंधन किया जाता है।मृदा जांच से फसल बोने से पूर्व ही पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा ज्ञात की जाती है। जिससे आवश्यक उर्वरकों की पूर्ति फसल की आवश्यक्ता के अनुसार किया जा सके।

मृदा जाँच के उददेश्य:

  • मृदा में पोषक तत्वों की सही मात्रा ज्ञात करना तथा उसके आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करना।
  • मृदा की विशिष्ठ दशाओं का निर्धारण करना जिससे मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारक पदार्थों की सहायता से सुधारा जा सके।
  • मृदा में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा ज्ञात करना।
  • मृदा की जांच के आधार पर फसलों के लिए संस्तुति देना।
  • मृदा जांच के आधार पर क्षेत्रों का मूल्यांकन करना तथा उनकी उर्वरा शक्ति के आधार पर मानचित्र तैयार करना।
  • समस्या ग्रस्त भूमियों के लिये मृदा सुधारकों की सही-सही मात्रा का निर्धारण करना।

मृदा की जाँच क्यों जरूरी:-

फसलों के वृद्धि ओर जीवन काल को पूरा करने के लिये 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें कार्बन )C(, हाईड्रोजन )H) एवं आक्सीजन )O) की पूर्ति वायु तथा जल से होती है, ओर बचे हुये 14 पोषक तत्वों की आपूर्ति मृदा से होती है। मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के होने से फसलों की उत्पादन क्षमता एवं गुणवत्ता में अधिकतर कमी देखी गई है। इसलिए मृदा की जाँच कराकर न केवल हम उसके उर्वरकों एवं खादों की उचित मात्रा की आवश्यकता को ज्ञात किया जा सकता है। बल्कि सही उर्वरकों का चुनाव एवं सही प्रयोग विधि ओर सही समय आदि बातों का भी पता चलता है, जिससे प्रति इकाई पोषक तत्व की मात्रा से ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

मृदा की जांच कब करायें:-

मृदा की जांच कराने के लिये सर्वोत्तम समय मई एवं जून के महीने मे उपयुक्त होता है, भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो ओर यदि सघन खेती की जा रही हो तो नमूने एक फसल चक्र के पूरा होने पर प्रतिवर्ष लेने चाहिए। अन्यथा तीन वर्ष में एक बार मृदा की जांच करवाना पर्याप्त रहता है।

मृदा की जांच मे काम आने वाले उपकरण:-

आगार (2) बरमा, (टयूब) (3) बाल्टी (4) फावडा (5) पटरी (6) टैग टीन या मोटे कागज के टुकडे (7) पालीथीन की थैली 13 सेमी. × 25 सेमी. लेबल के सामने (8) बेलन (9) छलनी (2 मिमी.) (10) खुरपी।

खेत से मृदा नमूना एकत्र करना:-

1)  खेत समतल हो ओर पूरे खेत में एक ही फसल उगार्इ गयी हो ओर उर्वरकों की समान मात्रा डाली गयी हो तो पूरे खेत से एक ही संयुक्त नमूना लेना चाहिए।

2)  नमूना लेने से पहले यह जरूरी है कि जिस स्थान से नमूना लेना चाहिए। वहां की ऊपरी सतह से घास आदि को हटा देना चाहिए। नमूना एकत्र करने के लिए 15-20  याद्रछिक (Randomly) जगह का चुनाव करना चाहिए।

3) पहले 15 सेमी. वी “v” शेप में खुरपी या फावडे की सहायता से इसकी दीवार से सटाकर पूरी गहरार्इ तक की मिटटी की एक समान परत काटकर साफ बर्तन में इकट्टा कर लेना चाहिये ।

4)  मृदा नमूनों को छाया में सुखाना चाहिए, क्योंकि धूप में सुखाने से नमूनों मे उपस्थित पोषक तत्वों में अवांछनीय बदलाव हो जाता है। छाया में सूखाने के बाद नमूनों के ढेले ( लकड़ी के हथोड़े ) को फोडकर, कंकड, पत्थर तथा खरपतवार पौधों की जडे आदि को निकालकर अलग कर लेना चाहिए।

5)  लिया गया नमूना का एक ढ़ेर बनाकर चार बराबर भागों मे बांटकर विपरित दिशा के भाग को इकट्ठा कर पुनः वही प्रक्रिया दोहराते रहना चाहिए, जब तक की लगभग 500 से 1000 ग्राम मृदा शेष रहें फिर उस मृदा नमूनों को फिर 2 मि॰ मी॰ की छलनी से छान ले लेते है। 

6)  इसके बाद नमूने को एक साफ कपडे की थैली में भरकर कागज या टिन के टुकडे पर खेत का क्र्मांक, किसान का नाम व पता लिखकर एक थैली के अंदर तथा दूसरा थैली के मुंह पर बांध देना चाहिए।

मिट्टी का नमूना लेने की विधि

 soil testing instruments

 

मृदा नमूने के साथ भेजी जाने वाली सूचनायें:-
– किसान का नाम व पुरा पता
– नमूना एकत्र किये गये खेत का नाम ओर खसरा नं.
– नमूना एकत्रित करने की गहराई
– बोई गई पिछली फसल का ब्यौरा
– भविष्य में बोई जाने वाली फसलों के नाम
– सिंचाई के साधन
– दिनांक

मृदा नमूना लेते समय ध्यान देने योग्य बातें:-

मृदा का नमूना कभी खुला नहीं छोड़ना चाहिए। मृदा नमूना खेत के उस स्थान से नहीं लेना चाहिए जहां पर उर्वरकों को रखा गया हो उस स्थान पर उर्वरक का कुछ अंश जरूर रह जाता है। मृदा के नमूनों को उर्वरकों के बोरो के ऊपर नहीं सुखाना चाहिए। मृदा नमूनों को उर्वरकों के बोरो के पास नहीं रखते है, अगर किसी खेत की मृदा जांच पहले किसी प्रयोग शाखा में हो चुका है तो उसका विवरण भी अवश्य देना चाहिए।

नमूना जिस गहराई से लिया जाए, उस नमूने की थैली पर अंकित करते है। जहाँ गीली मृदा हो वहाँ से मृदा नमूना नहीं लेना चाहिए। खेत में ऊबड़ खाबड़ जगह से नमूना नहीं लेना चाहिए। वृक्षो के नीचे, खाद के गडढों तथा मेंढ के पास से मृदा नमूना एकत्र नहीं करना चाहिए। खड़ी फसल से नमूना नहीं लेना चाहिये, फसल के बुवाई के लगभग एक माह पूर्व ही मृदा नमूना जाँच हेतु प्रयोगशाला में भेज देना चाहिए।

विद्युत चालकता (1 : 2 के अनुपात में) की व्याख्या

विद्युत चालकता

1 से कम

1.0 - 2.0

2.0 से अधिक

व्याख्या

सामान्य मिट्टी, किसी भी फसल के लिए उपयुक्त

सीमांत लवणीणता है, फसलों के बीज अंकुरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं

अत्यधिक लवणीय है, फसलों के लिए हानिकारक हो सकते हैं

सिफारिशें

कोई सुधार की आवश्यकता नहीं है

भारी मिट्टियों में सुधार की आवश्यकता हो सकती है (हल्की मिट्टी में वांछनीय)

भारी मिट्टियों में निश्चित रूप से सुधार की जरूरत है। विशेष रूप से जब संवेदनशील व अर्ध-लवण - सहनशील फसलें उगानी हों।

मिट्टी पी एच (1 : 2 के अनुपात में) की व्याख्या

पी एच

6.0 से कम

6.0 – 8.5

8.6 – 9.0

9.0 से अधिक

व्याख्या

अम्लीय मिट्टी है, कुछ फसलों के लिए अनुपयुक्त हो सकती है

सभी फसलों के लिए उपयुक्त है

क्षारीय है कुछ फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है

अत्यधिक क्षारीय हैं, फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है

सिफ़ारिशे

चूना व कार्बनिक खादों से सुधार की आवश्यकता होगी ।

कोई सुधार की आवश्यकता नहीं है

भारी मिट्टियों में सुधार की आवश्यकता होगी । हल्की मिट्टी में वांछनीय। इसके लिए जिप्सम व कार्बनिक खादों के उपयोग की आवश्यकता है।

मिट्टियों में निश्चित रूप से सुधार की आवश्यकता होगी । जिसके लिए जिप्सम, हरी खाद व कार्बनिक खादों का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

मिट्टी उर्वरता (प्राथमिक तत्वों) की व्याख्या

मिट्टी उर्वरा

जैविक कार्बन

(प्रतिशत)

उपलब्ध पोषक तत्व (कि॰ ग्रा॰ / है)

व्याख्या

नत्रजन

फास्फोरस

पोटाश

fuEu

0.50 से कम

280 से कम

11 से कम

120 से कम

पोषक तत्व कि कमी

मध्यम

0.50 – 0.75

280 – 560

11 & 25

120 &280

पोषक तत्व सामान्य है

उच्च

0.75 से कम

560 से अधिक

25 से अधिक

280 से अधिक

पोषक तत्व की उपलब्धता अधिक है

गौण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्तर नीचे दिए गए मापदंडों से कम होने पर संबंधित उर्वरक के इस्तेमाल की आवश्यकता हैं।

पोषक तत्व

मिट्टी मे कमी का स्तर ¼मी॰ ग्रा॰/कि॰- ग्रा॰½

गंधक

10

लोहा

4.5

मेगनीज

2.0

जस्ता

0.6

बोरॉन

0.5

कॉपर

0.2


निष्कर्ष:-

किसान भाईयों से विशेष आग्रह है, कि वे अपने खाली खेतों के मृदा नमूना बतायी गयी विधि से एकत्रित करके कृषि शोध केंद्रों के माध्यम से मिट्टी की जांच जरूरी करानी चाहिए।  जिससे मृदा के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फसलों से भरपूर उत्पादन लिया जा सके।


 Authors:

सुरेश कुमावत, डॉ॰ एस॰ आर॰ यादव, डॉ॰ रणजीत सिंह, सुशील कुमार खारिया

मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन, कृषि महाविधालय, बीकानेर, एस॰ के॰ आर॰ ए॰ यू॰ बीकानेर

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