औषधीय पौधे Tag

Rhododendron Arborium: A medicinal plant of Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा हुआ एक सुंदर प्रदेश है । यहाँ की जलवायु परिस्थितियों में विविधता है क्योंकि औसत समुद्र तल से ४५० मीटर की  ऊचाई से लेकर ६५०० मीटर की ऊचाई तक अथवा  पश्चिम से पूर्व व दक्षिण से उत्तर तक यहाँ  भिन्नता है। ऊचाई  और जलवायु की विवधताओं के कारण यह राज्य  विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जानवरों के रहने के लिए अनुकूल है । हिमाचल प्रदेश औषधीय एवं अन्य उपयोगी पौधों का एक समृद्ध भंडार है । इन पौधों में से अधिकांश पोधे पारंपरिक दवाओं, लोक उपयोग और आधुनिक उद्योगों में इस्तिमाल किए जाते है । हिमाचल प्रदेश में पाए...

रसभरी या केप करौदा: भारत में एक नई नकदी फसल Introduction and adaptations of new crops contribute to an increase in diversity of agricultural systems. It offers new opportunity and alternatives to farmers and markets. New crops can result in an increase of income for farmers. The Cape gooseberry (Physalis peruviana L.) करौदा is a new herbaceous crop which comes under minor fruit. The genus Physalis, of the family Solanaceae, contains around more than 100 species of annual and perennial herbs. Several species of Physalis are grown for their edible fruits like, P. peruviana L. (Cape gooseberry) , P. pruinosa L. (strawberry tomato), or P. ixocarpa Brot. (husk tomato). This crop can be grown successfully in kitchen garden....

Cultivation of Kusumi Natural Resin (Kusumi Lac) लाख (Lac) एक प्राकृतिक राल है जो मादा लाख कीट द्वारा मुख्य रुप से प्रजनन के पश्‍चात स्त्राव के फलस्वरुप बनता है। लाख कीट की दो प्रजातियां होती हैं जिन्हें कुसमी और रंगीनी कहते हैं। प्रत्येक प्रजाति से वर्ष में दो फसलें ली जाती हैं लेकिन पष्चिम बंगाल के कुछ समुद्री क्षेत्र के आस-पास बिलायती सिरिस पर एक वर्ष में तीन फसलें भी ली जाती हैं। लाख की खेती ग्रामीणों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है। हमारे देष में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहोॅं लाख का उत्पादन नियमित रुप से होता आ रहा है तथा दूसरे क्षेत्र भी हैं जहाॅं संसाधन तो उपलब्ध हैं लेकिन...

Improved agronomical techniques of Ashwagandha or Winter cherry cultivation अश्वगंधा (withania somnifera) की पौधा सीधा 1.25 मीटर उॅचा होता हैं तथा इसके तने में बारीक रोम पाये जाते हैं। इसके पत्तिायों का आकार अण्डाकार एवं पत्तिायों में रोम पाये जाते है जिसे छूने से मुलायम महसूस होता है। फूल छोटे हरे या हल्के पीले रंग के तथा फल छोटे गोले नारंगी या लाल रंग के होते है। जड़ो को मसलकर सूॅघने से अश्व (घोड़े) के पसीने एवं मूत्र जैसी गंध आती है। जड़ों का रंग सफेद सा भूरा होता हैं। इसका संस्कृत नाम: अष्वगंधा, हिन्दी नाम :  असगंध, अंग्रेजी : विन्टरचेरी (Winter cherry), इंडियनगिनसेंग  (Indian ginseng)  हैैै। । भोगौलिक वितरण: अशवगंधा  का वितरण अफ्रीका, भूमध्यसागरीय से भारत एवं...

Cultivation of Mint to earn more Profits वर्तमान वैश्वीकरण के दौर में जहां एक ओर वैश्विक कृषि व्यवसायीकरण की ओर गतिशील दिखाई देती है। वहीं दूसरी भारतीय कृषि आज भी परंपरागत खेती को अपने युवा कांधों व तकनीकी दिमाग पर बोझ बनाये बैठी है। वर्तमान समय परंपरागत खेती से हटकर बाजार मांग के अनुसार फसल उत्पादन का है जहां नये कृषि उत्पादों का उत्पादन कर किसान अपने आय को उच्चतम स्तर तक पहुंचा सके। पुदीना लेमिएसी कुल से संबंधित एक बारह मासी खुशबुदार अत: भुस्वारी प्रकार का पौधा है। पुदीने की खेती मुख्यत: उनकी हरी, ताजा खुशबूदार पत्तिायों के लिये की जाती है। गांव-घरों में पनियारी के पास जहां पानी नियमित रूप से लगता है पुदीना...