खाद्य सुरक्षा Tag

बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य The crop of Sanwa is capable of withstanding difficult conditions and giving high yield. Being a C4 crop, its grain and fodder yield is higher than other cereals. The duration of harvesting of sorghum is 75 to 100 days and the average yield is up to 2200 kg/ha. बानयार्ड मिल्लेट - पोषण सुरक्षा की भविष्य खाद्य सुरक्षा की परिभाषा सन 1970 के हरित क्रांति से ही विकसित होती आई है। खाद्य सुरक्षा का अर्थ शुरुवात मे हर व्यक्ति को अन्न पर्याप्त मात्र और वहनयोग मे मिलना था। परिस्थिति बदली है की खाद्य सुरक्षा अन्न पर्याप्त  मात्रा के साथ साथ  अच्छे गुणवत्ता से मिलना भी है। ऐसे...

Agriculture in India, challenges and opportunities for global food security विकासशील और विकसित दोनों देशों के लिए कृषि हमेशा से एक महत्वपूर्ण स्तंभ और विकास और अर्थव्यवस्था का चालक रहा है। भारत भी, 1960 के दशक में हरित क्रांति की गति के कारण उत्पादन और उत्पादकता के मामले में कई गुना बढ़ गया है। हालांकि, अब समय आ गया है कि हम हरित क्रांति के बाद के कृषि परिदृश्य और मिट्टी, पौधे और मानव स्वास्थ्य की उभरती चिंता पर फिर से विचार करें। हमें अपनी वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक चुनौतियों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। भारत में कृषि की वर्तमान स्थिति 1.27 बिलियन की आबादी और 159.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि...

Wheat's contribution in prevention of malnutrition विश्व में गेहूँ सबसे व्यापक रूप से खेती की जाने वाली खाद्यान्न फसल है। यह दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी के लिए कुल आहार कैलोरी एवं प्रोटीन का 20 प्रतिशत योगदान देने वाला एक मुख्य भोजन है। भारत में उत्पादित कुल खाद्यान्न में 36.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ खाद्य टोकरी की खपत में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा गेहूँ को बड़े पैमाने पर खरीदा जाता है, जिसे खाने के लिए अधिकांश आबादी को वितरित किया जाता है। अनाजों से मिलने वाली ऊर्जा में गेहूँ सबसे सस्ते स्रोतों में से एक है, इसकी खपत से प्रोटीन (20...

Biofortification technology to improve food security and fight malnutrition सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी शरीर को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करती है जिसे दूसरे शब्दों में कुपोषण भी कहते हैं।  कुपोषण हमारे दैनिक आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। दुनिया की लगभग आधी आबादी को अपने आहार में सूक्ष्म पोषक तत्वों, प्रोटीन, विटामिन और अन्य आवश्यक तत्वों की कमी का सामना करना पड़ता है। कुपोषण मानव की क्षमता के विकास में बाधक तो है ही उसके साथ-साथ ये देश में खासकर औरतों एवं बच्चों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को भी रोकता है। मनुष्यों को उनकी सेहत के लिए कम से कम 22 खनिज तत्वों की आवश्यकता होती...