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पपीते के चार प्रमुख रोग और उनका प्रबंधन 1. Foot Rot of papaya  (Pythium aphanidermatum) Foot rot is also known as collars rot or stem rot or root rot and damping off ; is the most serious disease of papaya. In India, the disease appears during the rainy season. It is more common in trees of age 2-3 years. Symptoms In case of nursery plants, damping off symptoms are produced, whereas in adult plants foot rot, collar rot symptoms are produced. Foot rot is characterized by the appearance of water soaked patches on the stem near ground level. These patches enlarge rapidly and girdle the stem, causing rotting of the tissues, which then turn dark brown or...

Improved cultivation method of Papaya पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। पपीता स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए व कई औषधियों गुणों से भरपूर होता है, साथ ही सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है. पपीते की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये बहुत कम समय फल दे देता है I पपीते का फल थोड़ा लम्बा व गोलाकार होता है तथा गूदा पीले रंग का होता है। गूदे के बीच में काले रंग के बीज होते हैं। कच्चा पपीता हरे रंग का और पकने के बाद हरे पीले रंग का होता है। एक पपीते का वजन 300, 400 ग्राम से लेकर 1 किलो ग्राम तक हो सकता है। पपीता न...

Integrated crop disease and pest management in Papaya  पपीता एक प्रमुख उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय फल है। पपीते की  खेती गर्म एवं नम जलवायु में सफलता पूर्वक की जा सकती है। पपीता की अच्छी वृद्धि के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त पाया गया है। पपीता पकने के समय शुष्क एवं गर्म मौसम होने से फलों की मिठास बढ़ जाती है। पपीता का उपयोग कच्चे एवं पके फल के रूप में किया जाता है। कच्चे फल का उपयोग पेठा, बर्फी, खीर, रायता, सब्जी आदि बनाने के लिए किया जाता है, जबकि पके फलो से जैम, जैली, नेक्टर एवं कैंडी इत्यादि बनाये जाते हैं । क्षेत्रफल की दृष्टि से पपीता हमारे देश का पाँचवा...