बरसीम Tag

Multi cut fodder sorghum cultivation technique.  भारत में मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत:  हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके| शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय तक हरा चारा आसानी से मिल सकता है। ज्वार का चारा स्वाद एवं गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता...

Green fodder production technique पशुओं की उत्पादन क्षमता उनको दिए जाने वाले आहार पर निर्भर करती है। पशुओं को संतुलित आहार दिया जाय तो पशुओं की उत्पादन क्षमता को निश्चित ही बढ़ाया जा सकता है।  हरे चारे के प्रयोग से पशुओं को आवश्यकतानुसार शरीर को विटामिन ’ए’ एवं अन्य विटामिन मिलते हैं।  इसलिए प्रत्येक पशुपालक को अपने पशुधन से उचित उत्पादन लेने के लिए वर्ष पर्यन्त हरा चारा खिलाने का प्रबन्ध अवश्य करना चाहिए। पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को चाहिए कि वे ऐसी बहुवर्षीय हरे चारे की फसले उगाऐं  जिनसे पशुओं को दलहनी एवं गैरदलहनी चारा वर्ष भर उलब्ध हो सकें।  रबी एवं खरीफ के लिए पौष्टिक हरा चारा...

Weed management for bursim and Lucerne बरसीम एवं लूसर्न हरे, रसदार एवं स्वादिष्ट चारे के लिए रबी (शीत ऋृतु) में सिंचित क्षेत्रों की महत्वपूर्ण फसलें हैं। ये फसलें वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का भूमि में स्थिरीकरण करके भूमि की उर्वरता बढ़ाती है। ये पोषण की दृष्टि से उच्च गुणवत्ता वाली चारे की फसलें हैं। ये दुधारू पशुओं के लिए अत्यन्त उपयोगी होती है। बरसीम एवं लूसर्न में प्रोटीन, खनिज पदार्थ मुख्यतः कैल्सियम तथा फास्फोरस, विटामिन आदि के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। दोनों फसलों की औसत पाचनशीलता 60-70 प्रतिशत तक पायी जाती है। बरसीम फसल की उच्च गुणवत्ता के कारण इसे ‘चारे की फसलों का राजा’ कहा जाता है। लूसर्न (रिजका) एवं बरसीम की फसलों में...

चारा फसलों की उन्‍नत किस्‍में पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को चाहिए कि वे ऐसी बहुवर्षीय हरे चारे की फसले उगाऐं  जिनसे पशुओं को दलहनी एवं गैरदलहनी चारा वर्ष भर उलब्ध हो सकें।  रबी एवं खरीफ के लिए पौष्टिक हरा चारा उगाने की योजना कृषकों को अवश्य बनानी चाहिए।  खरीफ एवं रबी के कुछ पौष्टिक हरे चारे की उन्‍नत किस्‍में इस प्रकार है।  चारा फसल किस्‍में बीज की दर मक्‍का J-1006, किसान, अफ्रीकन टाल एवं विजय, टाइप-41, मक्का गंगा-2, गंगा-7, 50- 60 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज शुद्ध फसल की बुआई के लिए।  फलीदार चारे जैसे लोबिया के साथ 2:1 के साथ मिलाकर बोना चाहिए। रिजका Anand-2, Anand-3, LLC3, T-9, RL-88,RL-48   बरसीम UPB-110, Bundel barsim 2, वरदान जे.वी.-1 तथा वी.एल.-1, वी.एल.-10, जे.एच.वी.-146 25-30...

भारत में सि‍चि‍त क्षेत्रों के लि‍ए 30 अधि‍क आय वालेे फसल चक्र  भारत के सि‍चि‍ंत क्षेत्रों मे द्वीफसलीय , त्रि‍फसलीय और चर्तुफसलीय फसल प्रणालीयो का प्रयोग होता है।  अधि‍क आय वाले 10 फसल चक्र (द्वीफसलीय), 16 फसल चक्र ( त्रि‍फसलीय) तथा 4 फसल चक्र (चर्तुफसली) की जानकारी यहां पर दी गई है। फसल प्रणाली फसल चक्र उपज (टन/ हैक्‍टेयर) बुवाई समय कटाई समय अनुमानि‍त आय (रू/हैक्‍टेयर)(मार्च 2010 में) दोफसलीय धान  गेहूं 5 - 6 4.5 - 5 जून/जुलाई नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 50000-60000  धान  बरसीम 5 - 6 60 - 70 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर मई 70000-80000 बासमती धान  सूरजमुखी 4 - 5 2 - 2.5 जून/जुलाई फरवरी नवम्‍बरमई 60000-65000  मक्‍का  गेहूं 4 - 4.5 5 - 5.5 जून नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000  अरहर गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जून दि‍संबर नवंबर-दि‍संबर अप्रैल 45000-50000 कपास गेहूं 2 - 2.5 4.5 - 5 मई दि‍सम्‍बर नवम्‍बर/दि‍सम्‍बर अप्रैल 40000-50000 मूंगफली  गेहूं 1.8 - 25 - 5.5 जुलाईनवम्‍बर अक्‍तूबरअप्रैल 40000-50000 धान  चना 5 - 6 1.8 - 2 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  आलू 1.8 - 220 - 25 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर फरवरी 45000-55000 त्रि‍फसलीय हरी खाद (ढैंचा/ सनई/ लोभि‍या)  धान  गेहूं   5.5 - 6 4.5 - 5 अप्रैल  जून/जुलाई नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर अप्रैल 55000-65000 चारा (लाबि‍या+बाजरा/मक्‍का/ज्‍वार)  मक्‍का  गेहूं 20-25  4 - 4.5 5 - 5.5 अप्रैल जुलाई  नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर  अप्रैल 65000-70000 हरी...