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ब्रोकली की उन्नत किस्में ब्रोक्कोली की बुवाई उत्तार भारत के मैदानी क्षेत्रों में सितम्बर मध्य से नवंबर अंत तक 15 -20 दिन के अंतराल पर करे जिससे दिसंबर से  फरवरी तक कटाई की जा सके । ब्रोकली  यानि‍ हरी गोभी की उन्नत किस्में, परिपक्वता की अवधि, शीर्ष भार और बीज का स्रोत  किस्में बीज का स्रोत परिपक्वता की अवधि (दिन)    शीर्ष भार  (ग्राम) उपज  (कि./है. ) शीर्ष का रंग  टिप्पणी पूसा के टी एस- 1 भा. कृ. अ. स. कटराईं 85-95 250-400 125-150 ठोस हरा स्प्रॉटिंग ब्रोकली पंजाब ब्रोकली       पंजाब कृषि विश्वविधालय,  लुधियाना 65-70 300-400 110-120 हरा स्प्रॉटिंग ब्रोकली शेर-ऐ-कश्मीर  शेर-ऐ-कश्मीर यू. एग्री. सा. टे., कश्मीर 65-70 300-400 100-110 हरा स्प्रॉटिंग ब्रोकली पालम विचित्रा       हि. प्र. कृ. वि. वि.  पालमपुर 115-120 600-700 200-220 बैंगनी हेडिंग ब्रोकली पालम समृध्दि हि. प्र. कृ. वि. वि.  पालमपुर 85-90 300-400 120-140 हरा स्प्रॉटिंग ब्रोकली पालम कंचन  हि. प्र. कृ. वि. वि.  पालमपुर 140-145 650-750 250-270 पीला हरा हेडिंग ब्रोकली पालम हरितिका हि. प्र. कृ. वि. वि.  पालमपुर 145-150 600-700 250-270 हरा हेडिंग ब्रोकली Authors श्रवण सिंह ब्रिज...

ब्रोक्कोली की उन्नत खेती से कमाएं अधिक लाभ भारत में हरे रंग के शीर्ष वाली ब्रोकली सबसे अधिक लोकप्रिय है उसके बाद बैंगनी रंग की किस्मों का स्थान आता है। भारत में  तैयार की गई ब्रोकली की उन्नत किस्में नीचे सारणी में दी गई है। सारणी में दी गई किस्मों के अलावा विभिन्न प्रकार की संकर और सामान्य किस्में भी बाजार में मिलती है।   उपयुक्त जलवायु और भूमि ब्रोकली की खेती के लिए हल्की ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। अधिक ठंड में पाले की समस्या होती है परतुं सामान्यत: ठंडे मौषम में इसके फूल (हैड) अधिक संगठित और ठोस बनते है साथ ही हैड की कलिकाएं भी बारीक होती है जो अधिक बाजार...

पोषण उद्यान में कोल फसलों का उत्पादन   फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, ब्रसेल स्प्राउट्स, केल्स और गांठगोभी इत्त्यादि ठंडी फसलें हैं। ये फसलें ठंडी जलवायु को पसंद करती हैं और आकारिकी, उत्पादन तकनीक, बीमारियों और कीट संवेदनशीलता के मामले में भी समान हैं। इन फसलों का आर्थिक हिस्सा फूलगोभी (अत्यधिक सुपाच्य पूर्व-पुष्पमय उपमा) , पत्ता गोभी में सिर (घेरने वाले पत्तों का मोटा होना), ब्रोकोली में सिर (अनपेक्षित फूल की कली और मांसल पुष्प डंठल), गांठगोभी में घुंडी (गाढ़ा तना) ), ब्रसेल्स में मिनी हेड या स्प्राउट्स (सूजन वाली हेड की कलियाँ), केल (मांसल पत्तियां) में होता है। इन फसलों में वांछनीय ग्लूकोसाइनोलेट्स जैसे कि विटामिन, खनिज, फाइबर और बायोएक्टिव यौगिकों की उपस्थिति के...

ब्रोकली की वैज्ञानिक विधि से खेती  ब्रोकोली की खेती ठीक गोभी वर्गीय सब्जियों की तरह की जाती है। इसके बीज व पौधे देखने में लगभग फूल गोभी की तरह ही होते हैं। ब्रोकोली का खाने वाला भाग छोटी छोटी बहुत सारी हरे फूल कलिकाओं का गुच्छा होता है, जो फूल खिलने से पहले पौधों से काट लिया जाता है और यह खाने के काम आता है। फूल गोभी में जहां एक पौधे से एक फूल मिलता है वहां ब्रोकोली के पौधे से एक मुख्य गुच्छा काटने के बाद भी , पौधे से कुछ शाखायें निकलती हैं तथा इन शाखाओं से बाद में ब्रोकोली के छोटे गुच्छे बेचने अथवा खाने के लिये प्राप्त...

स्वास्थ्य वर्धक, पोषण से भरपूर सब्‍जी - ब्रोकली Brassica vegetables (Broccoli, Brussels sprouts, cabbage, cauliflower, collards, kale, mustard, rape, etc.)  have received a great deal of attention in the past 5–10 years as consumers have developed an increases awareness of the nutritional content of foodstuffs in their diet.  Brassicaceae family (Cruciferae) includes vegetables that are commonly grown and include broccoli, Brussels sprouts, cabbage, collards, kale, mustard, rape, etc. Broccoli (Brassica oleracea var. italica) is an important cole crop. The majority of Brassica vegetables are purchased and consumed as fresh vegetables, mostly following cooking. The time and methods of cooking have a considerable influence on nutrient availability and content. Since ancient period the mankind...

Optimal planting geometry and fertilizer application method for drip irrigated vegetable crops फसलों की सिंचाई की विधियों में टपक सिंचाई पध्दति सर्वाधिक कुशल विधि है जिसमें जल का 80-90 प्रतिशत कुशल उपयोग होता है। इस पध्दति से सभी प्रकार की भूमि में कम समय एवं कम जल में सिंचाई की जा सकती  है। टपक सिंचाई पध्दति द्वारा सिंचाई में पौधों के सीमित नम क्षेत्र के कारण रोग की सम्भावना कम होती है तथा फसलों की पंक्तियों में खर-पतवार नहीं उग पाते हैं। सिंचाई की इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। सीमित जल संसाधनों और दिनों-दिन बढ़ती हुई जलावश्यकता के कारण टपक सिंचाई तकनीक सर्वाधिक उपयुक्तहै। टपक तंत्र एक...