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जैव संवर्धित किस्में एवं उनकी प्रमुख विशेषतायें  पोषक आहार मानव शरीर की सम्पूर्ण वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक है| पोषक आहार नही मिलने से विभिन्न सूक्ष्म तत्वों की कमी शरीर को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है जिसको सामान्य शब्दों में कुपोषण कहा जाता है| सम्पूर्ण विश्व में लगभग 2 बिलियन जनसंख्या अपुष्ट आहार से प्रभावित है जबकि 795 मिलियन जनसंख्या कुपोषण की शिकार है| भारत में 194.6 मिलियन जनसंख्या कुपोषित है जिनमे से 44% महिलायें अनीमिया से ग्रसित है, 5 वर्ष से कम उम्र के 38.4% बच्चे छोटे कद व 35.7% बच्चे कम वजन के है| जैव संवर्धित किस्मों का विकास कर कुपोषण की स्थिति से बचा जा सकता है|...

 सरसों की फसल के तीन प्रमुख रोग और उनका प्रबंधन 1. White rust disease of Mustard It is also called "White Blisters of Crucifers". In severe conditions, it caused yield losses up to 55% in late sown crops. Other crucifers host-Radish, Tumip, Cabbage, Cauliflower, Taramira, Spinach & sweet potato (non-crucifers). White creamy pustules & sporangia give white rusty appearance by exposing powdery mass of spores on the infected host surfaces, that's why it is called "white rust" (while it is not true rust. True rusts are caused by Uredinales i.e. Puccinia, Uromyces, Melampsora etc.). "Stag heads" are produced on floral parts due to systemic infection. Locally it is known as "Marodia Rog" or...

Integrated management of major diseases and insects of spinach पत्ती वाली सब्जिया, मानव आहार की प्रमुख घटक है। हरी पत्ती वाली सब्जियों में आयरन, कैल्सियम, बीटा कैरोटीन, विटामिन सी, राइबोफ्लोबीन एवं फोलिक अम्ल की प्रचुर मात्रा होती है। इसके अतिरिक्त आयरन एवं खनिज तत्व भी पाये जाते हैं। पालक की पत्तियों कोें प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसमें पाये जाने वाले प्रोटीन की गुणवत्ता इसके आवश्यक अमीनो अम्ल विषेश रूप से लाइसिन की अधिक मात्रा होने के कारण अच्छी होती है। पालक का औषधीय महत्व भी है। यह यकृत एवं प्लीहा के रोगों को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है तथा यह वर्धक (पुष्टई) का भी काम करता...

सरसों की उन्‍नत किस्में और उसकी वैज्ञानिक खेती  सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा बारानी क्षेत्रों में की जाती हैl राजस्थान का देश के सरसों के उत्पादन में प्रमुख स्थान है। सरसों की खेती मुख्‍यत: तेल के लि‍ए की जाती हैै जि‍से लहटा सरसों कहते है । सरसों का उत्‍पादन साग सब्‍जी व सलाद के लि‍ए भी कि‍या जाता है पत्‍ति‍यों के लि‍ए उगाई जाने वाली सरसों को गोभी सरसों या मीठी सरसों या जापानीज सरसों भी कहते है।  इसकी पत्तियां बड़ी-बड़ी मुलायम तथा स्वदिष्ट होती हैं जो कि बोने के 20 दिन के बाद मिलने लगती हैं । सरसों की उन्‍नत किस्मेें किस्म पकने...

Modern cultivation techniques of iron rich Spinach   पत्तियों वाली सब्जियों में पालक भी एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसकी खेती सम्पूर्ण भारतवर्ष में की जाती है। पालक एक आयरन से भरपूर, खनिज पदार्थ युक्त एवं विटामिन्स युक्त फसल है । पालक (Palak) हरी सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। 100-125 ग्राम पालक रोज दैनिक जीवन के लिये संतुलित आहार के रूप में खाने की सिफारिश की जाती है। शरीर के हीमोग्लोबिन यानी खून के प्रति चौकन्ने लोगों के लिए पालक से उम्दा कोई दूसरी सब्जी नहीं होती। यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। पालक की 1 बार बोआई करने के बाद उस की...

Scientific cultivation technique of Rye, Toria and Mustard crop बिहार में रबी मौसम में उगायी जाने वाली तेलहनी फसलों में राई, तोरीया एवं सरसों का प्रमूख स्थान है। इनका उपयोग खाद्य तेल एवं जानवरोंहेतु खल्ली के रूप में किया जाता है। अधिक एवं गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त करने हेतु यह आवश्यक है कि इसकी खेती वैज्ञानिक ढ़ंग से की जाए जिससे अधिक से अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकें। राई-तोरी, सरसों के उन्नत प्रभेद एवं खेती की विधि: राई में प्रभेद (समय से बुआई हेतु उपयुक्त) - वरूणा:  औसत उपज 20 क्वि/हे0 होता है। इस फसल की अवधि 135 से 140 दिन में तैयार हो जाता है। पूसा बोल्ड: इसकी औसत उपज 19 क्वि0/हे0 है। इस...

Orobanche, an unsolved problem of Indian mustard and ways of its management भारत में खेती की जाने वाली सात खाद्य तिलहनी फसलों में, रेपसीड-सरसों का तेल उत्पादन में 2.9% का योगदान होता है जो कि मूंगफली के बाद दूसरे स्थान पर आता है और ये भारत के तिलहन अर्थव्यवस्था का कुल 28% साझा करता है। भारत में सरसों को उगाने वाले प्रमुख राज्यों के अधिकांशतः क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के जैविक और अजैविक तनावों का असर पड्ता रहता है। इन तनावों में, ओरोबेंकी (Orobanche) प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। ओरोबेंकी या ओरोबेंकी (फेलिपेन्च और ओरोबैन्के) ओरोबेंकिएसी परिवार के समूह से जुड़ीीी, एक बाध्यकारी जड़ निहित - परजीवी घास हैं और दुनिया भर...

Natural properties of mustard and value added products  सरसों का तेल अपनी कम संतृप्त फैटी एसिड सामग्री और ट्रांस वसा की अनुपस्थिति के कारण स्वास्थ्यप्रद तेलों में से एक है। यह आवश्यक फैटी एसिड ओमेगा 3 और ओमेगा 6 प्रदान करता है जो हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है। सरसों के तेल में गुणकारी तत्त्व फाइटोन्यूट्रियंट्स जैसे फिनोलस, कैरोटीनोइड, फिटोस्टरोल, सेलेनियम, ग्लूकोसिनॉल्स, विटामिन सी और टोकोफेरॉल की की उपस्थिति के कारण इसकी गुणवता में अधिक वृद्धि होती है। भारतीय सरसों को मिट्टी से भारी धातुओं और अन्य खनिजों (जैसे कैडमियम, आर्सेनिक और सीसा) को शामिल करने की प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। इस संपत्ति का उपयोग उच्च-सेलेनियम सरसों को...

6 major diseases of mustard and their management 1. सरसों का सफेद रोली (White rust) रोग यह सरसों का अति भयंकर रोग है। यह बीज व भूमि जनित रोग है। इस रोग के कारण बुवाई के 30-40 दिनो के बाद पतियों की निचली सतह पर सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले दिखाई देते है। फफोलो की ऊपरी सतह पर पतियों पर पीले रंग के धबे दिखाई देते है। उग्र अवस्था मे सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले पतियों की दोनो सतह पर फैल जाते है। फफोलो के फट जाने पर सफेद चूर्ण पतियों पर फैल जाता है। पीले रंग के धबे आपसमे मिलकर पतियों को पूरी तरह से ढक लेते है। पुष्पीय...

Mustard cultivation with scientific technique सरसों राजस्थान की प्रमुख तिलहनी फसल हैं। सरसों की फसल सिंचित क्षेत्रों एवं संरक्षित नमी के बारानी क्षेत्रों में ली जा सकती हैं। यह फसल कम सिंचाई सुविधा और कम लागत में भी अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती है। इसकी पत्तियॉ हरी सब्जि के रूप में प्रयोग की जाती है तथा सूखे तनो को ईधन के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। सरसों के तेल में तीव्र गंध सिनिग्रिन नामक एल्केलॉइड के कारण होती हैं। मृदा :- सरसों की खेती रेतिली से लेकर भारी मटियार मृदाओ में की जा सकती हैं। बुलई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती हैं। खेत की तैयारी :- खरीफ फसल की कटाई्र...