हरी खाद Tag

जैविक खेती की तकनीक आज जब हम अपनी खेती में हुई प्रगति को देखते है तो वह बहुत ही उत्साहित करती है। इस प्रगति का श्रेय हरित क्रांति को जाता है। हरित क्रांति की प्रगति के साथ अन्य क्रान्तियों का भी देश की प्रगति में बड़ा योगदान है जैसे श्वेत क्रांति(दुग्ध उत्पादन), पीली क्रान्ति (तिलहन उत्पादन), नीली क्रान्ति (मतस्य उत्पादन), लाल क्रान्ति (मांस) एवं गोल्डेन क्रान्ति (हार्टीकल्चर सहयोग)। रसायनिक उर्वरकों के अन्धाधुंध एवं असन्तुलित प्रयोग से कृषि जगत का पर्यावरणीय सन्तुलन बिगड़ गया है इसलिये पर्यावरण की सुरक्षा लिये तथा मृदा की उर्वरता बनाये रखने के लिये भविष्य में जैविक खेती एक उत्तम विकल्प है । जैविक खेती जैविक खेती, खेती की वह प्रक्रिया...

Organic farming - the need of the day हम आजादी के समय खाने के लिए अनाज विदेशो से लाते थे, खेतों में बहुत कम पैदा होता था क्योंकि किसानो के खेतो की उर्वरा शक्ति बहुत कमजोर थी। फिर साठ सत्तर के दशक में हरित क्रांति का दौर आया। हरित क्रांति कें समय विभिन्न फसलों के नए-नए संकर बीज आए, बहुत सारे रसायनिक उर्वरक आए, विभिन्न प्रकार के कीडों व बीमारियों को रोकने के लिए नई-नई दवाईयाँ आई। भरपूर अनाज पैदा होना लगा। देश में आज गोदाम गेंहू, चावल, बाजरे इत्यादि से भरे पडे़ है, लेकिन यह दौर कई बुराईयाँ भी साथ लाया। इस दषक में हमारा फसलों का उत्पादन तो बढा पर...

हरी खाद : टिकाऊ खेती की कुंजी वर्तमान समय में खेती में रसायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं सीमित उपलब्धता को देखते हुये अन्य पर्याय भी उपयोग में लाना आवश्यक हो गया है तभी हम खेती की लागत को कम कर फ़सलों की प्रति एकड उपज को भी बढा सकते हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी अगली पीढी के लिये बरकरार रख सकेंगे। हरी खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये एवं फ़सल उत्पादन हेतु जैविक माध्यम से तत्वों की पूर्ति का वह साधन है जिसमें हरी वानस्पतिक सामग्री को उसी खेत में उगाकर या कहीं से लाकर खेत में मिला दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ही...

Methods and precautions for making perfect quality compost, an alternative of toxic chemicals आज के युग में कृषि की पैदावार बढ़ाने में अच्छी भूमि, स्वस्थ बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, उन्नत खाद, उपुक्त कीट व रोग नाशक दवाएं तथा समुचित पानी की आवश्कयता होती है। पिछले कई वर्षो से गोबर की खाद की जगह रासायनिक खादों ने ले ली है जिसके परिणाम स्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति तथा उसमे पाय जाने वाले अनेको जीव-जंतु व सूक्ष्म जीवो में भरी कमी पाए जाने लगी है तथा भूमि से पैदावार पर असर पड़ने लगा है जो कृषि वैज्ञानिको व किसानो के लिए एक समस्या बनने लगी है। अतः भूमि की गुणवत्ता को पुनः प्राप्त करने के...

 Natural tonic for Farm - Green manure हरी खाद (ग्रीन मैन्योर) भूमि के लिये वरदान है। यह भूमि की संरचना को भी सुधारते हैं तथा पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। जानवर को खाने में जैसे रेशेवाले पदार्थ की मात्रा ज्यादा रहने से स्वास्थ्य के लिये अच्छा रहता है उसी प्रकार रेशेवाले खाद (हरी खाद) का खेतों में ज्यादा प्रयोग खेत के स्वास्थ्य के लिये अच्छा है। हरी खाद एक प्रकार का जैविक खाद है जो शीघ्र विघटनशील हरे पौधों विशेषकर दलहनी पौधों को उसी खेत में उगाकर, जुताई कर मिट्टी में मिला देने से बनता है। जीवित व सक्रिय मृदा वही कहलाती है जिसमें अधिक जीवांश की मात्रा होती है। जीवाणुओं का भोजन...

हरी खाद धान के कि‍सानों के लि‍ए वरदान है  Every farmer knows how much work goes into the production of a basket of compost and carrying it to the fields. But it never seems that the farm production gives an equal return for the hard work that goes into making and carrying the compost. Green manures are a method of replacing that basket of compost with a handful of seed. In this method, the plants that grow from the handful of seed are ploughed back into the soil. After a while in the soil, the plants rot down to become compost. Plants used in this way are called Green Manures. It's a...

Use green manure to increase soil fertility वर्तमान समय में खेती में रसायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं सीमित उपलब्धता को देखते हुये अन्य पर्याय भी उपयोग में लाना आवश्यक हो गया है तभी हम खेती की लागत को कम कर फ़सलों की प्रति एकड उपज को भी बढा सकते हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी अगली पीढी के लिये बरकरार रख सकेंगे । रसायनिक उर्वरकों के पर्याय के रूप में हम जैविक खादों जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद आदि को उपयोग कर सकते हैं । इनमें हरी खाद सबसे सरल व अच्छा प्रयोग है। इसमें पशु धन में आई कमी के कारण गोबर की उपलब्धता पर भी...

Application technique and benifits of Green manure बिना सड़े-गले हरे पौधे (दलहनी अथवा अदलहनी अथवा उनके भाग) को जब मृदा की नत्रजन या जीवांश की मात्रा बढ़ाने के लिए खेत में दबाया जाता है तो इस क्रिया को हरीखाद देना कहते है। सिमित संसाधनो के समुचित उपयोग हेतु कृषक एक फसली, द्वीफसली कार्यक्रम व विभिन्न फसल चक्र अपना रहे है जिससे मृदा का लगातार दोहन हो रहा है जिससे उसमें उपसिथत पौधों के बढ़वार के लिए आवश्यक पोषक तत्व नष्ट होते जा रहें है। इस क्षतिपूर्ति हेतु विभिन्न तरह के उर्वरक व खाद का उपयोग किया जाता है। उर्वरक द्वारा मृदा में सिर्फ आवश्यक पोषक तत्व जैसे नत्रजन] स्फुर, पोटाश, जिंक इत्यादि...