कठिया गेहूँ Tag

भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की महत्वाकांक्षी परियोजना अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ सुधार कार्यक्रम के तहत गेहूँ की 55 जैव-संवर्धित किस्में विकसित की गई हैं। इन किस्मों के अंगीकरण से देश की पोषण एवं खाद्य सुरक्षा को और सुदृढ़ किया जा सकता है।...

Durum Wheat Varieties and Quality Seed Production Techniques दुनिया की एक तिहाई आबादी के लिए खाद्य अनाजों में चावल के बाद गेहूँ मुख्य भोजन है। गेहूँ की खेती लगभग 800 ई.पू. के बाद से शुरू हुई। डी कैंडोले के अनुसार गेहूँ की उत्त्पत्ति फ़रात और दजला की घाटी है तथा वाविलोव के अनुसार ब्रेड गेहूँ की उत्त्पत्ति दक्षिणी-पश्चिमी अफगानिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान, बबशारा पहाड़ी का दक्षिणी भाग और कठिया गेहूँ एबिसिनिया को माना जाता है। विश्व में गेहूँ उत्पादन करने वाले प्रमुख देश में चीन, भारत, रूस, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और तुर्की आदि है I भारत में गेहूँ को विभिन्न नामो से जाना जाता है जैसे बंगाली में गोम ,...

कठिया (डयूरम) गेहूँ की विशेषताएं, उत्पाद एवं उन्नतशील प्रजातियाँ  भारत के लगभग सभी प्रान्तों मे गेहूँ की खेती सफलतापूर्वक की जाती है। भारत मे खेती करने के लिए मुख्य रूप मे दो तरह के गेहूँ प्रचलित है एक साधारण गेहूँ जिसको एस्टीवम कहते है और दूसरा कठिया गेहूँ जिसे डयूरम कहते है। गेहूँ के कुल उत्पादन में सामान्य गेहूँ (एस्टीवम) 95 प्रतिशत, एवं कठिया गेहूँ (डयूरम) का लगभग 4 प्रतिशत योगदान है। कठिया गेहूँ ट्रिटिकम परिवार मे दूसरे स्तर का महत्वपूर्ण गेहूँ है। गेहूँ के तीनो उप-परिवारो (एस्टीवम, डयूरम, डायकोकम) मे उत्पादन की दृष्टि से डयूरम का दूसरा स्थान है। भारतवर्ष मे कठिया गेहूँ की खेती लगभग 25 लाख हैक्टर में की...