कृषि‍ रसायन Tag

बागवानी फसलों में कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को कम करना - एक समाधान उद्यानिक फसलों में कीटनाशी रसायनों के अधिक प्रयोग से कई तरह की आर्थिक, पर्यावरणीय एवं स्वास्थ संबंधी समस्यायें सामने आ रही हैं। इन फसलों में फसल सुंरक्षा के लिए रसायनिक कीटनाशियों पर आवश्यकता से आधिक निर्भरता के कारण खेती के लागत खर्च बढ़ते चले जा रहे है जिससे किसानों का आर्थिक मुनाफा कम हो रहा है। कीटनाशकों के अनियमित एवं अनियंत्रित प्रयोग के कारण कई तरह के पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो रही है यथा हानिकारक कीटाे के कीटनाशकोे के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकसित होना, हानिकारक कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं एवं परभक्षी जीव जन्तुओं की संख्या में कमी होना एवं...

कृषि में इलेक्ट्रोसपिनिंग नैनोफिब्रिज के अनुप्रयोग  Nanofibres are able to form a highly porous mesh and their large surface-to-volume ratio improves performance for many applications. Electrospinning has the unique ability to produce nanofibres of different materials in various fibrous assemblies. Electrospinning was first patented in the US in 1902. However, the process was largely forgotten until the 1990s. With interest in the field of nanoscience and nanotechnology, researchers began new investigations of nanofiber production using electrospinning (Seeram et al. 2006). The number of patents and applications for processes and applications based on electrospinning has also grown in recent years. Types of Electrospinning Although fibers produced by different electrospinning methods have attracted increasing attention in...

Safety measures while using insecticides पारंपरिक कृषि प्रणाली में उत्पादन कम होने के कारण किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था अतः उनका आकर्षण आधुनिक कृषि प्रणाली के तरफ बढ़ा जि‍समें किसान उच्च पैदावार वाली कि‍स्‍मों , सिंचाई सुवि‍धा, रासायनि‍क उर्वरकाेें, तथा कीटनाशक का उपयोग करके फसल उत्पादन में कई गुना वृद्धी करने में सफल रहा । उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ ही कीट का प्रकोप बढ़ा जिसके परिणाम स्वरूप कीट द्वारा होने वाले आर्थिक नुकसान में काफी वृद्धि हुई | एक अनुमान के अनुसार हरित क्रांति के पहले वर्ष 1960 से पूर्व कीट द्वारा होने वाला औसतन नुकसान (सभी मुख्य फसलों को मिलाकर) 7.2 % था जबकि...

Pesticides and Insecticides scenario in India भारत में सत्तर के दशक में हरित क्रांती के पश्चात सघन खेती का दौर शुरू हुआ जिसने फसलो की संकर किस्मो की बुआई की जाने लगी। इन संकर किस्मो मेंं कीट तथा रोगो के प्रति सहिष्णुता कम होने से इन पर कीट तथा रोगो का असर ज्यादा होता है अतः इन पर कीटनाशी तथा रोगनाशी दवाओ का ज्यादा बार छिडकाव करना पडता है तथा ज्यादा बार इस्तेमाल करना पडता है । इसके अलावा कीटो  में कीट नाशियो  के प्रति प्रतिबंधक शक्ती निर्माण होती है। इसलि‍ए फसलो पर हर बार नयी कीटनाशी तथा रोगनाशी दवाओ का ज्यादा बार छिडकाव करना पडता है तथा ज्यादा बार इस्तेमाल करना पडता...

Justified use and precautions of pesticide chemicals किटनाशको का स्वभाव जहरीला होने के कारण उनके उपयोग के दौरान किसानो, खेत में काम करने वाले मजदूरो एवं जनवरो के स्वास्थ पर बुरा असर होने का खतरा बना रहता है। किटनाशको का संतुलित एवं अनुचित मात्रा पर्यावरणीय घटकों पर प्रतिकुल प्रभाव डालता है। इसलिए किटनाशको को कृषि वैज्ञानिक के सलाह परामर्श से न्यायसंगत उपयोग व स्वास्थ की सुरक्षा को देखते हुऐ इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन बहुत से किसानों को किटनाशको कि उचित मात्रा व सुरक्षा के बारे में ज्ञान नही होता है। या इसे महत्व नही देते है। किटनाशको से स्वास्थ कि सुरक्षा एवं प्र्यावरण को टिकाऊ बनाये रखने के लिए कृषि प्रसार सेवको, उद्योगो...

Precautions in using agricultural chemicals आधुनिक एवं वैज्ञानिक खेती के युग में अधिक पैदावार लेने के लिए फसल सुरक्षा अति आवश्‍यक है। कीटनाशी (Insecticide), फफूंदनाशी (Fungicides) एवं अन्य कृषि रसायन जो फसल सुरक्षा में प्रयोग होते हैं, प्राय: बहुत जहरीले व हानिकारक होते हैं। इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी रखना भी उतना ही आवष्यक हैं, जितना कि इनसे फसल सुरक्षा व अधिक पैदावार एवं अच्छी गुणवत्ताा वाली फसल लेकर अधिक लाभ उठाना। फसलों की पैदावार में कमी होने के कई कारणो में से कीट व बिमारियाँ मुख्य भूमिका निभाते है। अधिक उत्पादन लेने हेतु बुआई से पूर्व बीजोपचार तथा बुवाई के उपरान्त कीट नियन्त्रण एवं समय-समय पर बीमारियों से बचाव हेतु विभिन्न...