खेजड़ी Tag

खेजड़ी या सांगरी की खेती के साथ पशुपालन कर आय बढ़ाएं  राजस्थान का सतह क्षेत्र 342290 वर्ग किलोमीटर है जबकि थार 196150 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 60% से अधिक है। मानव आबादी 17.5 मिलियन है जिसमें से 77% ग्रामीण और 23% शहरी हैं। इस क्षेत्र में उत्पादन और जीवन समर्थन प्रणाली जैव-संबंधी और पर्यावरणीय सीमाओं से बाधित है । जैसे कि कम वार्षिक वर्षा (100-400 मिमी)  मानसून आने से पहले, बहुत अधिक तापमान (45 से 47 डिग्री तापमान) और औसतन बहुत तेज हवा और आँधियाँ जो कि 8 से 10 किलोमीटर की रफ़्तार से चलती है जिससे की स्वेद-वाष्पोतसर्जन (वार्षिक 1500 से 2000...

बहुपयोगी सहजन (मोरिंगा) - एक चमत्कारी वृक्ष  सहजन को ड्रमस्टिक (Drumstick) या मोरिंगा (Moringa) के नाम से जाना जाता है। मोरिंगा तमिल शब्द मुरुंगई से बना है जिसका अर्थ त्रिकोणीय मुड़ी हुआ फल है। मोरिंगा ओलीफेरा उल्लेखनीय तेजी से बढ़ने वाले वृृृृक्ष हैै। ये असाधारण पोषण सामग्री के कारण अत्यधिक मूल्यवान पेेेड है। यह वृक्ष उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता है। सहजन के फायदे गुण लाभ अनेक है। सहजन के पेड़ पर सामान्‍यत: वर्ष में एक बार फूल और फिर फल लगते हैं। इसका फल पतला लंबा और हरे रंग का होता है जो पेड़ के तने से नीचे लटका होता है। इसका पौधा 4 - 6 मीटर उंचा होता...

Major Insects, pests and Diseases of Khejri tree in desert areas of Rajasthan थार रेगिस्तान में उगने वाली वनस्पतियों में खेजड़ी का वृक्ष एक अति महत्वपूर्ण वृक्ष है| यह थार निवासियों की जीवन रेखा कहलाती है| यह भारतवर्ष के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जानी जाती है जैसे दिल्ली में इसें जाटी के नाम से जाना जाता है, पंजाब व हरियाणा में जॉड़, गुजरात में सुमरी, कर्नाटक में बनी, तमिलनाडुं में बन्नी, सिन्ध में कजड़ी एवं राजस्थान में इसे खेजड़ी के नाम से पुकारा जाता है| सुखे व अकाल जैसी विपरित परिस्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता बल्कि ऐसी परिस्थितियों में मरूक्षेत्र् के जन-जीवन की रक्षा करती है| खेजड़ी की पत्तीयां...

Techniques for the improvement of Khejri - Kalpvriksh of Thar Desert थार रेगिस्तान में उगने वाली वनस्पतियों में खेजड़ी का वृक्ष एक अति महत्वपूर्ण वृक्ष है| यह मरूप्रदेश के कल्पवृक्ष के नाम से जानी जाती है| यह थार निवासियों की जीवन रेखा कहलाती है| यह दलहन परिवार का फलीदार वृक्ष है जिसका वनस्पतिक नाम "प्रोसोपिससिनेरेरिया" है| यह भारतवर्ष के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जानी जाती है जैसे दिल्ली क्षेत्र् में इसें जाटी के नाम से जाना जाता है, पंजाब व हरियाणा में जॉड़, गुजरात में सुमरी, कर्नाटक में बनी, तमिलनाडुं में बन्नी, सिन्ध में कजड़ी एवं राजस्थान में इसे खेजड़ी के नाम से पुकारा जाता है| वेदों एवं उपनिषदों में खेजड़ी को...