गर्भाधान Tag

दूधारू पशुओं में बाँझपन की समस्या के कारण एवं उनका निवारण  पिछले कई दशकों से यह पाया गया है कि जैसे-जैसे दूधारू पशुओं के दुग्ध उद्पादन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता में गिरावट हुई है । दूधारू पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर निर्भर करती है । दूधारू पशुओं में बाँझपन की स्थिति पशुपालकों के लिए बहुत बड़े आर्थिक नुकसान का कारण  है । पशुओं में अस्थायी रूप से प्रजनन क्षमता के घटने की स्थिति को बाँझपन कहते है । बाँझपन की स्थिति में दुधारू गाय अपने सामान्य ब्यांत अंतराल  (12 माह) को क़ायम नहीं रख पाती । सामान्य ब्यांत अंतराल को क़ायम...

पशुओं में प्रजनन सम्बन्धी रोग एवं प्रवंधन  पशुपालन को लाभकारी बनाने के लिए पशुओं में होने वाली प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं का प्रवंधन अति आवश्यक है। प्रजनन सम्बन्धी प्रमुख समस्याओं में पशु का समय पर  हीट में  न आना (एनेस्ट्रस), बार बार कित्रिम गर्भाधान के बाद भी गर्भ धारण नहीं होना (रिपीट ब्रीडिंग), बच्चेदानी में सूजन होना, उसमे मवाद का भर जाना, प्रसव के दौरान बच्चा फँस जाना, जेर का समय से न गिरना, गर्भावस्था के शुरुवात में ही भ्रूण की मृत्यु हो जाना, गर्भपात हो जाना इत्यादि शामिल है। विदेशी नस्ल की गायों (जैसे जर्सी, होल्सटीन फ़्रिसियन आदि) में प्रजनन सम्बन्धी समस्याएँ देसी नस्ल की गायों (जैसे साहीवाल, गिर, थारपारकर आदि) की...