गलघोटू Tag

Treatment of microbial diseases in cattle during the rainy season by herbal methods भारत की अर्थव्यवस्था ज्यादातर पशुधन पर निर्भर करती है, जो हर साल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 4.8-6.5 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत कृषि प्रधान देश है, पशुधन विभिन्न साधनों के रूप में भारत के लोगों के सामाजिक उत्थान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में गाय, भैंस, बकरी और भेड़ों का ज्यादातर पालन किया जाता है। 2012 की पशुधन जनगणना के अनुसार भारत में 19 करोड़ गाय 10.8 करोड़ भैंस, 65 करोड़ भेड़ तथा 135 करोड बकरियाँ हैं। 2012 वर्ष के आकड़ों के अनुसार, बड़े जुगाली करने वाले पशु (गाय व भैंस) 50.5 प्रतिशत तथा...

Garget (Thanala) Disease: The Biggest Problems of dairy cattle थनैला रोग (Garget), दुधारू पशुओं में होने वाली एक बीमारी है। यह बीमारी मुख्यतः गाय, भैंस,भेड़ ,बकरी सुअर आदि में होती है। जिसमे प्रभावित पशुओं के थन गर्म हो जाते है एवं सूजन बढ़ जाती है । शारीरिक तापमान बढ़ जाता है । दूध देने की क्षमता कम हो जाती है । जानवर खाना पीना बंद कर देता है । यह बीमारी प्रत्यक्ष रूप में जितना नुकसान करती है उससे कही ज्यादा अप्रत्यक्ष रूप से पशुपालको को आर्थिक नुकसान पहुंचती है! रोग कारक – यह बीमारी अनेक कारको के वजह से होती है । जैसे की जीवाणु , विषाणु , मोल्ड , फफूंद , यीस्ट,...

Symptoms, preservation and treatment of Hemorrhagic Septicemia गलघोटू (Hemorrhagic Septicemia ) एक घातक संक्रामक बीमारी है ! जो मुख्यत: गाय भैंस में मानसून के मौसम के दौरान होती है साधारण भाषा में गलघोटू रोग "घुरखा" , " घोटुआ " , " डहका " आदि के नाम से जाना जाता है ! यह रोग भेड़,बकरियों एवं सूअरों को प्रभावित करता है ! पशुओ के इस रोग में पशुपालको को अत्याधिक नुक्सान का सामना करना पड़ता है ! गलघोटू रोग के कारण पशुओ की मृत्यु दर अधिक होती है यह रोग छह से दो वर्ष की आयु के जानवरो में होती है ! गलघोटू रोग कारक : - यह रोग 'पस्तुरिल्ला मल्टोसीदा" नामक जीवाणु से होता है...