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गौंवंश ब्रुसेलोसिस: भारत में संक्रामक गर्भपात की व्‍यापकता Brucellosis is one of the most common but often neglected zoonotic diseases in the India. The disease occurs worldwide, but in some countries, the disease is often underreported and there is little or no control, which leads to major health, economic and livelihood burdens. Despite its brutal impact on economic loss, it is also associated with high morbidity, both for humans and animals in developing countries like India. Brucellosis is a contagious, costly disease of ruminant (E.g. cattle, bison and cervids) animals that also affects humans. Although brucellosis can attack other animals, its main threat is to cattle, bison, cervids (E.g. elk and deer),...

दुधारू पशुओं के लिए आहार प्रबंधन  डेयरी व्यवसाय के लिए उत्तम नस्ल के साथ-साथ आहार प्रबंध अति आवश्यक है। उचित आहार प्रबंध से न केवल पशु अधिक दूध देते हैं बल्कि उसकी शारीरिक बढ़वार, प्रजनन क्षमता एवं स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। लाभप्रद डेयरी व्यवसाय हेेतुु पशु को बचपन से लेकर वृद्धि की विभिन्न अवस्थओ, प्रजनन काल एवं उत्पादन काल के दौरान समुचित पोषण उपलब्ध होना चाहिए। बछड़े-बछड़ियों की उनकी आरंभिक अवस्था में वृद्धि एवं मृत्यूू, गर्भकाल में माँ केे आहार प्रबंधन से प्रभावित होता है । बछड़ियों को जन्म के 2 घंटे के अंदर माँ का खीस पिलाना आवश्यक है। खीस की मात्रा निर्धारण बछड़ियों के शारीरिक भार पर...

Nurturing and management of livestock पशुपालन ग्रामीण जीवन का महत्‍वपूर्ण अंग है। समृद्ध डेयरी व्‍यवसाय के कारण देश,  दुग्‍ध उत्‍पादन मे अग्रणी बना हुआ है। पशुओं के पालन पोषण एवं प्रबंधन  के लिए तीन बातों पर ध्यान देना अत्‍यंत आवश्‍यक है। सही जनन, सही खानपान और रोगों से बचाव 1. सही जनन: सही जनन के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। अच्‍छी नस्ल का चुनाव : पशुपालन के लिए नस्लों का चुनाव करते समय वहाँ की जलवायु और सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश पर ध्यान देना आवश्यक है। बिहार की जलवायु के अनुसार यहा जो पशुपालक संकर नस्ल की पशु पालना चाहते है वह जरसी क्रॉस पाल सकते है। वैसे इलाके जहां हरा चारा प्रचुर मात्रा मे...

दूधारू पशुओं में बाँझपन की समस्या के कारण एवं उनका निवारण  पिछले कई दशकों से यह पाया गया है कि जैसे-जैसे दूधारू पशुओं के दुग्ध उद्पादन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता में गिरावट हुई है । दूधारू पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर निर्भर करती है । दूधारू पशुओं में बाँझपन की स्थिति पशुपालकों के लिए बहुत बड़े आर्थिक नुकसान का कारण  है । पशुओं में अस्थायी रूप से प्रजनन क्षमता के घटने की स्थिति को बाँझपन कहते है । बाँझपन की स्थिति में दुधारू गाय अपने सामान्य ब्यांत अंतराल  (12 माह) को क़ायम नहीं रख पाती । सामान्य ब्यांत अंतराल को क़ायम...

बछड़ेे में दस्त: जन्म के पहले तीन महीनों के दौरान गौवंस की विनाशकारी बीमारी Diseases of the neonatal calf and related mortality is major cause of economic losses in animal husbandry. Among these, diarrhoea is one the most common diseases reported in calves up to 3 months old. Calf diarrhoea (scouring) is a multi-causative disease that can result in serious financial and animal welfare implications during early period of life. Calf diarrhoea is attributed to both infectious (viral, bacterial, protozoa) and non-infectious factors. The environment and management practices, mineral imbalances also influence disease severity or the outcome of calf diarrhoea. The multifactorial complexities of calf diarrhoea makes the disease difficult to control effectively in...

Suggestion for Selecting Dairy Plant यदि नये स्थान पर किसी डेरी प्लांट को स्थापित करना हो तो संयंत्रों का चुनाव तथा उनको स्थापित करने के लिए भवन निर्माण संबंधी आवश्यकताओं की जानकारी होना आवश्यक है। अधिकांश रूप से संयंत्रों का माप और उन्हें स्थापित करने के लिए आवश्यक सूचनाएँ निर्माताओं से ही मिल पाती हैं। इसके साथ ही किस प्रकार का फर्श हो और कितने रोशनदान होने चाहिए आदि जैसी सूचनाएँ भी बड़ी आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। फिर भी किस कम्पनी से सयन्त्र मंगाए जायें और उनकी कितनी क्षमता होनी चाहिए, इन बातों का निर्णय तो डेरी इंजीनियर तथा विभागीय विशेषज्ञ ही ले सकते हैं। मोटे रूप से निम्नांकित...