गेंहूॅ Tag

गेहूं की जल्दी बुवाई: जलवायु परिवर्तन में एक सार्थक प्रयास Early (October) sowing of wheat is defined as sowing from the third week of October to the first week of November. Farmers in northwestern and central India advance their wheat much earlier (October) than usual (November) to protect their wheat from eventual heat stress and maintain production by using soil moisture even after the paddy harvest. Wheat is an important crop in South Asia and India. Women from marginal and small agricultural households who contribute significantly to the wheat production system and animal management should be given special attention. The Gangetic plains of South Asia are currently considered ideal for wheat growing,...

गेहूँ की उन्नत किस्में एवं उत्पादन तकनीकी भारत में चावल के बाद गेंहूँ एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है जिसकी खेती शीत ऋतू में की जाती है| गेहूँ के दानों का उपयोग अनेकों प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाने में किया जाता है| इसके दानों में कार्बोहाइड्रेट (60-68%) और प्रोटीन (8-12%) मुख्य रूप से पाए जाते है| इसकी भूसी का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है| गुणवत्ता व उपयोग के आधार पर गेंहूँ को दो श्रेणियों मे विभाजित किया गया है-मृदु गेहूँ (ट्रिटिकम ऐस्टिवम) एवं कठोर गेहूँ (ट्रिटिकम ड्यूरम)। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है जबकि डयूरम की खेती पंजाब एवं मध्य भारत में...

जैव संवर्धित किस्में एवं उनकी प्रमुख विशेषतायें  पोषक आहार मानव शरीर की सम्पूर्ण वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक है| पोषक आहार नही मिलने से विभिन्न सूक्ष्म तत्वों की कमी शरीर को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है जिसको सामान्य शब्दों में कुपोषण कहा जाता है| सम्पूर्ण विश्व में लगभग 2 बिलियन जनसंख्या अपुष्ट आहार से प्रभावित है जबकि 795 मिलियन जनसंख्या कुपोषण की शिकार है| भारत में 194.6 मिलियन जनसंख्या कुपोषित है जिनमे से 44% महिलायें अनीमिया से ग्रसित है, 5 वर्ष से कम उम्र के 38.4% बच्चे छोटे कद व 35.7% बच्चे कम वजन के है| जैव संवर्धित किस्मों का विकास कर कुपोषण की स्थिति से बचा जा सकता है|...

Major nematodes of Wheat crop and their management गेहूँ विश्व की सबसे ज्यादा खायी जाने वाली अनाज की फसल है तथायह भारत में बोई जाने वाली रबी की एक मुख्य फसल है l गेहूँ में न केवल कार्बोहायड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है, अपितु प्रोटीन की मात्रा भी पाई जाती है l  इसके अतिरिक्त गेहूँ में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन खनिज एवं रेशे भी भरपूर मात्रा में विद्यमान है l भारत में यह फसल 307.2 लाख हेक्टेयर भूमि पर उगाई जाती है l उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं l उत्पादकता की दृष्टि से हरियाणा राज्य दूसरे स्थान पर है, जबकि पंजाब उत्पादकता में प्रथम स्थान पर है...

Agricultural work to be carried out in the month of April मूंग: इस समय मूंग की फसल में 10 दि‍न के अन्‍तराल पर सि‍ंचाई करें। मूंग की फलि‍यां यदि‍ हल्‍के भूरे रगं की हो गयी हैं तो समझें की फसल पक कर तैयार है। गेंहूॅ: अनाज के भण्‍डारण से पहले गेंहूॅ को अच्‍छी तरह सुखा लें जि‍ससे उसमें नमी बाकी ना रहे। सब्‍जि‍यॉं : भि‍ण्‍डी व टमाटर की फसल को छेदक सूंडी के प्रकोप से बचाने के लि‍ए 0.1 प्रति‍शत टोपास या कैलि‍क्‍सि‍न  (400- 500 मि‍.लि‍./ 1000 लि‍टर पानी के हि‍साब से) का छि‍डकाव खडी फसल में कर दें। फल मक्‍खी के नि‍यंत्रण के लि‍ए मि‍थाइल यूजि‍नोल के फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। कद्दू वर्गीय फसले: कद्दू वर्गीय फसलों...

Agricultural work to be carried out in the month of May दलहनी फसल: इस समय मूंग, उर्द, लोबि‍या की फसल में 12 से 15 दि‍न के अन्‍तराल पर सि‍ंचाई करें। मूंग में पत्‍ति‍यों के धब्‍बा रोग की रोकथाम के लि‍ए कॉपर ऑक्‍सीक्‍लोराईड 0.3 प्रति‍शत का घोल बनाकर 10 दि‍न के अंतराल पर छि‍डकाव करें। दलहनी फसल में धब्‍बा रोग के लि‍ए कार्बेन्‍डाजि‍म 500 ग्राम / हैक्‍टेयर के हि‍साब से घोल बनाकर छि‍डकाव करें। पीला मौजैक रोग की रोकथाम के लि‍ए एक लि‍टर मेटासि‍स्‍टाक्‍स दवा को 1000 लि‍टर पानी में घोलकर प्रति‍ हैक्‍टेअर की दर से छि‍डकाव करें।  गेंहूॅ: गेहूॅ में मढाई का कार्य शीघ्र पूरा कर ले। अनाज के भण्‍डारण से पहले गेंहूॅ को धूपं में इतना सुखाऐं...

Agricultural work to be carried out in the month of December गेंहूॅ फसल:  नवम्‍बर के प्रथम पखवाडे मे बोई गई गेंहू की फसल में सी.आर.आई. अवस्‍था में यानि‍ बुआई के 20-25 दि‍न बाद की 5-6 सें.मी. लम्‍बी पौध की अवस्‍था में सि‍चांई करे।  दूसरी सि‍चांई कल्‍ले नि‍कलते समय (बुआई के 40-45 दि‍न बाद) करें। 25 नवम्‍बर से 25 दि‍सम्‍बर तक सि‍ंचि‍त अवस्‍था में पछेती बुवाई के लि‍ए एच.डी 3059, एच.डी 2985, एच.डी. 2643 , डी.बी.डबल्‍यू – 14,16,71,90 की बुवाई करें। उपरोक्‍त कि‍स्‍मों की बीज दर 120 कि‍ग्रा/ हैक्‍टेयर रखें।  सब्‍जि‍यॉं : टमाटर के पौधो की रोपाई इस माह में भी की जा सकती है टमाटर की रोपाई से पहले पौध की जडों को पर्ण्‍ कुंचन के प्रकोप से बचाव...

Agricultural work to be carried out in the month of January गेंहूॅ फसल:  पत्‍ती व तना भेदक की रोकथाम के लि‍ए इमि‍डाक्‍लोप्रि‍ड 200 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर या क्‍यूनलफॉस 25ई.सी. दवा 250 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर का प्रयोग करें। प्रोपीकोनाजोल 0.1 प्रति‍शत के घोल का छि‍डकाव करे। गेहूॅ की पछेती कि‍स्‍मों में बुआई के 17 से 18 दि‍न बाद सि‍चाई करें तथा उसके बाद 15-20 दि‍नों के अंतराल पर सि‍ंचाई करते रहे। गेंहूं की फसल को चूहों से बचाने के लि‍ए जि‍कं फॉस्‍फाइड से बने चारे अथवा एल्‍यूमि‍नि‍यम से बनी टि‍कि‍या का प्रयोग करें। सब्‍जि‍यॉं : प्‍याज के पौधों की रोपाई करें। प्‍याज के पौधों की रोपाई के बाद सि‍चाई करें तथा खरपतवार नि‍यंत्रण के लि‍ए रोपाई के बाद पैन्‍डामैथि‍लि‍न दवा...