ग्वार Tag

Five Major Diseases of Podded Vegetables and their Integrated Disease Management मानव आहार में सब्जियों का विशेष महत्व है। सब्जियों में विटामिन, कार्बोहाड्रेट, प्रोटीन तथा खनिज प्रदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है जो शरीर को स्वस्थ्य बनाने एवं रोगों से लड़ने में काफी सहायता करती है। फलीदार सब्जियां जैसे सेम, लोबिया इत्यादि, आयरन का एक बड़ा स्रोत है और इसमें कई खनिज तत्व काफी मात्रा में पाए जाते है । यह मांस, पनीर तथा अन्य वसीय खाद्यों के पाचन के दौरान बने अम्लो के निस्प्रभावित करने में सहायक है । इसमें घुलनशील फाइबर कोरोनरी हार्ट रोग को कम करती है एवं फलीदार सब्जियों में कैलोरी कम होने के कारण मोटापा भी कम करने...

ग्वार का महत्त्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक ग्वार शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली दलहनी फसल है जो कि एक अत्यन्त सूखा एवं लवण सहनशील है। अतः इसकी खेती असिंचित व बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। ग्वार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के गऊ आहार से हुई है जिसका तात्पर्य “गाय का भोजन” है। विश्व के कुल ग्वार उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत भाग अकेले भारत में पैदा होता है जोकि 65 देशों में निर्यात किया जाता है। ग्वार की खेती प्रमुख रूप से भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों (राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, उत्तरप्रदेश एवं पंजाब) में की जाती है। हमारे देश के कुल ग्वार उत्पादक...

बहुउपयोगी फसल ग्वार की खेती ग्वार उत्तरी भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है जिसकी खेती मुख्यतः हरी फली सब्जी-दाले, हरी खाद व चारा फसलों के लिए की जाती है। उत्तरी भारत में इसके उगाए जाने का एक मुख्य कारण यह भी है कि ग्वार अन्य फसलों की तुलना में अधिक सूखा सहनशील है इसलिए शुष्क क्षेत्रों में तो इसकी खेती हरी खाद के रूप में बड़े पैमाने पर की जाती है। ग्वार की कुछ किस्मो का प्रयोग गोंद निकालने के लिए किया जाता है और उन्हें मुख्यता उसी के लिए उगाते हैं जिससे प्राप्त गोद का प्रयोग विभिन्न कार्यो जैसे- कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन एवं कागज की वस्तुएं...

ग्वार की वैज्ञानिक खेती तकनीक दलहन फसलों में ग्वार (क्लस्टर बीन) का विशेष योगदान है। यह गोंद (गम) और अन्य उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है। ग्वांर का उपयोग हरे चारे एंव इसकी कच्ची फलियों को सब्जी के रूप में किया जाता है। इसकी खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में की जाती है। भारत में राजस्थान ग्वार के क्षेत्र और उत्पादन में पहले स्थान पर है। ग्वार से ग्वार गम का उत्पादन होता है और जिसका निर्यात किया जाता है। इसके बीजों में 18 प्रतिशत प्रोटीन, 32 प्रतिशत फाइबर और भ्रूणपोष में लगभग 30-33 प्रतिशत गम होता है । खेत का चुनाव एंव तैयारी ग्वार की खेती मध्यम से हल्की बनावट...

 ग्वार, बाजरे के 8 प्रमुख रोग एवं उनका प्रबंधन Rajasthan is a major producer of Cluster beans (Cyamopsistetragonoloba L) or guar among Indian states. The State produces more than 70% of total guar seed produced in the country. Guar splits, churi and Korma. Guar split is used as a main products for different industrial uses while Churi and Korma are used as cattle feed. Guar gum, also called guaran, is a galactomannan polysaccharide extracted from guar beans that has thickening and stabilizing properties useful in the food, feed and industrial applications. The guar seeds are mechanically dehusked, hydrated, milled and screened according to application. Bajra is a hardy crop grows well, even in...

Improved technology for cluster bean cultivation ग्वार, लेग्युमिनेसी कुल की, खरीफ ऋतु में उगाई जाने वाली एकवर्षीय फसल है। ग्वार यानि‍ क्‍लस्‍ट्रबीन का वैज्ञानिक नाम साइमोपसिस टेट्रागोनोलोबा  है। इसका पौधा बहु-शाखीय व सीधा बढ़ने वाला है। पौधे की लम्बाई 30-90 सेमी तक होती है। इसकी जड़ें मृदा में काफी गहराई तक जाती हैं। ग्वार के फूल आकार में छोटे व गुलाबी रंग के होते हैं। फलियां लम्बी व रोएंदार होती हैं। ग्वार एक स्वपरांगित फसल है। ग्वार की फसल में बुवाई के 70-75 दिनों बाद फलियां आनी शुरू हो जाती हैं। सामान्यतः 110-133 फलियां प्रति पौधा आ जाती हैं। ग्वार की खेती कम वर्षा और विपरीत परिस्थितियों वाली जलवायु में भी आसानी की जा...