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Organic Farming in Jammu and Kashmir - Challenges and Prospects आधुनिक फसल उत्पादन प्रणाली ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए कई समस्याएं पैदा की हैं। मिट्टी और पौधों पर कृषि-रासायनों के असंतुलित प्रयोग से न केवल मिट्टी के बैक्टीरिया, कवक, एक्टिनोमाइसेट्स आदि को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि कीट प्रतिरोध और कीट पुनरुत्थान जैसी घटनाओं को भी जन्म दिया है। पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर आधुनिक कृषि के दुष्प्रभावों के कारण खेती के ऐसे वैकल्पिक तरीकों की तलाश शुरू हो गई है जो कृषि को अधिक टिकाऊ और उत्पादक बना दे। जैविक खेती एक विकल्प है जो सभी पारिस्थितिकीय पहलुओं को महत्व देता है। भारत में आज जैविक खेती के तहत...

जैविक खेती की वि‍भि‍न्‍न क्रि‍याऐं कृषि‍ उत्‍पादों की लगातार बढती जरूरत को पूरा करने के लि‍ए व उत्पादन बढ़ााने के लिए कि‍सान रासायनिक उर्वको का प्रयोग करते है ।  निरंतर रसायनो का उपयोग मानव एवं मृदा के स्वास्थ्य पर बहुत गलत तरीके से असर कर रहा हे।मृदा में क्षारीयता, कार्बनिक तत्वों का प्रमाण कम होना, मृदा, पर्यावरण, जल एवम वायु प्रदूषण जैसे अनिछनीय बदलाव मे रासायनिक उर्वको का भी योगदान है। रासायनिक उर्वको खेती का खर्च बढ़ा देते हे, इसी लिए किसानो की महेनत का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता। एसी स्थिति मे जैविक खेति एक मात्रा विकल्प हे जो मृदा, मानव को स्वस्थ रखती है, एवं किसानोंको मुनाफा भी देती है। जैविक खेती की...

केंचुआ खाद, जैविक कृषि के लिए एक जरूरी सामग्री  वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी में जीवांश कार्बन का स्तर लगातार कम हो रहा है, तथा कृषि रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से मृदा जीव भी नष्ट होते जा रहे हैं। अतः भविष्य में मृदा उर्वरता को संरक्षित रखनेे तथा इसकी निरन्तरता को बनाये रखने के लिए जीवांश खाद उपयोग को बढ़ावा देने की नितान्त आवश्यकता है। जीवांश खादों में वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) का विशिष्ट स्थान है, क्योंकि इसे तैयार करने की विधि सरल एवं गुणवत्ता काफी अच्छी होती है। केंचुआ खाद जैविक कृषि के लिए एक प्राचीन एवं उत्तम जैविक खाद है। पूरे विश्व में केंचुए की लगभग 3000...