ट्राइकोडर्मा Tag

Adopt Trichoderma for soil-borne disease management हमारे खेत की मिट्टी में अनेकों प्रकार के फफूंद पाए जाते हैं। ट्राइकोडर्मा मिट्टी में पाए जाने वाला एक जैविक फफूंद है जो मृदा रोग प्रबंधन हेतु अत्यंत उपयोगी पाया गया है। जैविक खेती में रोग प्रबंधन हेतु बीज तथा मृदा के  उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा के प्रयोग  की अनुशंसा की जाती है। ट्राइकोडर्मा को मित्र कवक के रूप में जाना जाता है। ट्राइकोडर्मा के उपयोग से मृदा के स्वास्थ्य के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। खाद्य सुरक्षा और पोषण के लक्ष्यों को प्राप्त करने, जलवायु परिवर्तन का सामना करने और समग्र एवं सतत्  विकास सुनिश्चित करने के लिए ट्राइकोडर्मा के उपयोग द्वारा...

ट्राइकोडर्मा: टिकाऊ कृषि के लिए पर्यावरण के अनुकूल कवक The novel technologies in all areas of agriculture have improved agricultural production, but some modern practices affect the environment. The recent challenge faced by advanced farming is to achieve higher yields in environment-friendly manner. Thus, there is an immediate need to find eco-friendly solutions such as wider application of biocontrol agents. Among various types of species being used as biocontrol agents, including fungi and bacteria, fungal genus Trichoderma produces different kinds of enzymes which play a major role in biocontrol activity like degradation of cell wall, tolerance to biotic or abiotic stresses, hyphal growth etc. Many research has proved that the bio agents...

Production and Contribution of Trichoderma microorganism and its use in Agriculture आज के समय में दिन प्रतिदिन हमारी मृदा प्रदूषित होती जा रही है। इसका मुख्य कारण लगातार रासायनिक कवकनाशी का प्रयोग करना है। जिसके कारण हमारी मृदा में रहने वाले सूक्ष्म लाभकारी जीवो की संख्या में लगातार कमी आती जा रहीं है। जिससे हमारा कृषि उत्पादन घटता जा रहा है। इसलिए आज के समय में कवकनाशी में कमी लाना अति आवश्यक हो गया है। इस कड़ी में मैं एक ऐसे ही सूक्ष्म जीव ट्राइकोडर्मा  कवक के बारे में विस्तार कर रहा हूँ, जो की हमारे मृदा के लिए बहुत ही लाभकारी है। ट्राइकोडर्मा मुख्यतः एक जैव कवकनाशी तथा अरोगकारी मृदापजीवी कवक...

Importance of Trichoderma in agriculture हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं)  पहॅचाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक  (मित्र फफूदीं) भी हैं जैसे कि द्राइकोडरमा । ट्राइकोडर्मा पौधों के जड़ विन्यास क्षेत्र (राइजोस्फियर)  में खामोशी से अनवरत कार्य करने वाला सूक्ष्म कार्यकर्ता है। यह एक अरोगकारक मृदोपजीवी कवक है जो प्रायः कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है। इसलिए मिट्टी में फफूदों के द्वारा उत्पन्न होने वाले कई प्रकार की फसल बिमारीयों के प्रबंधन के लिए यह एक महत्वपूर्ण फफूदीं है। यह मृदा में पनपता है एवं वृध्दि करता है तथा जड़ क्षेत्र के...

Trichogramma parasite: Chemical free pest management factor ट्राईकोग्रामा अतिसूक्ष्म आकार का एक मित्र कीट जीव है, जिन्हें खेतो में आसानी से देख पाना कठिन है परन्तु प्रयोगशालाओं में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है । इसका बहुगुणन (Multiplication) प्रयोगशाला में किया जाता है  तथा बाद में इन्हें खेतो में छोड़ दिया जाता है । यह एक प्रकार का अंड-परजीवी मित्र कीट है, जो शत्रु कीट के अण्डों में अपना अंडा डालकर उन्हें अंडावस्था में ही नष्ट कर देते है और शत्रु कीट के अंडे से इनका (मित्र कीट ट्राइकोग्रामा) का वयस्क बाहर आता है, जो पुन: शत्रु कीट में अपना अंडा देता है। इनका जीवन चक्र बहुत छोटा होता है तथा एक...

Importance and use of trichoderma fungus in biological control of soil borne diseases ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक (फफूंद) है। यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा - जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है। हमारे देश में फसलों को बीमारियों से होने वाले कुल नुकसान का  50 प्रतिशत से भी अधिक मृदा- जनित पादप रोग कारकों से होता हैं, जिसका नियंत्रण अन्य विधियों द्वारा सफलतापूर्वक नहीं हो पा रहा है। इसलिए ट्राइकोडर्मा की विभिन्न प्रजातियों से रोंगों का नियंत्रण...