दलहनी फसल Tag

मसूर की उन्नतशील खेती दलहनी वर्ग में मसूर सबसे प्राचीनतम एवं महत्वपूर्ण फसल है। प्रचलित दालों में सर्वाधिक पौष्टिक होने के साथ-साथ इस दाल को खाने से पेट के विकार समाप्त हो जाते है यानि सेहत के लिए फायदेमंद है। मसूर के 100 ग्राम दाने में औसतन 25 ग्राम प्रोटीन, 1.3 ग्राम वसा, 60.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेड, 3.2 मिग्रा. रेशा, 38 मिग्रा0, कैल्शियम, 7 मिग्रा0 लोहा, 0.21 मिग्रा, राइबोफ्लोविन, 0.51 मिग्रा0 थाईमिन तथा 4.8 मिग्रा0 नियासिन पाया जाता है अर्थात मानव जीवन के लिए आवश्यक बहुत से खनिज लवण और विटामिन्स से यह परिपूर्ण दाल है। रोगियों के लिए मसूर की दाल अत्यन्त लाभप्रद मानी जाती है क्यांेकि यह अत्यन्त पाचक है। दाल...

चना की उन्नत कृषि तकनीक चना रबी ऋतु ने उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। देश के कुल चना क्षेत्रफल का लगभग 90 प्रतिशत भाग तथा कुल उत्पादन का लगभग 92 प्रतिशत इन्ही प्रदेश से प्राप्त होता है। भारत में चने की खेती 7.54 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है जिससे 7.62 क्विं./हे. के औसत मान से 5.75 मिलियन टन उपज प्राप्त होती है। भारत में चने की खेती मुख्य रूप  से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा बिहार में की जाती है। भारत में सबसे अधिक चने का क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य मध्यप्रदेश है तथा...

ग्वार की वैज्ञानिक खेती तकनीक दलहन फसलों में ग्वार (क्लस्टर बीन) का विशेष योगदान है। यह गोंद (गम) और अन्य उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है। ग्वांर का उपयोग हरे चारे एंव इसकी कच्ची फलियों को सब्जी के रूप में किया जाता है। इसकी खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में की जाती है। भारत में राजस्थान ग्वार के क्षेत्र और उत्पादन में पहले स्थान पर है। ग्वार से ग्वार गम का उत्पादन होता है और जिसका निर्यात किया जाता है। इसके बीजों में 18 प्रतिशत प्रोटीन, 32 प्रतिशत फाइबर और भ्रूणपोष में लगभग 30-33 प्रतिशत गम होता है । खेत का चुनाव एंव तैयारी ग्वार की खेती मध्यम से हल्की बनावट...

Main pulse crop of dry land - Moth bean मोठबीन  [विग्ना एकोनिटीफोलिया]  फैबेसी परिवार का एक प्रमुख संभावित दलहन है जिसकी क्रोमोजोम संख्या २एन =२२ है। अरोड़ा और नायर (१९८४) के अनुसार  दक्षिण एशियाइ क्षेत्र  मोठबीन  का उद्गमस्थल है। दुनिया के विभिन्न स्थानों में  मोठबीन  को मटकी एवं  तुर्की ग्राम के रूप में भी जाना जाता है। यह पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप के सूखा और गर्म क्षेत्रों में बोया जाता है ।  मोठबीन  १५ विग्ना प्रजातियों के बीच उच्चतम गर्मी सहिष्णुता दर्शाती है, यह १२ दिनों के लिए ३६ डिग्री सेल्सियस और ४० डिग्री सेल्सियस तापमान ११ दिन तक सहन कर सकने में कामयाब है, इसके विपरीत अन्य सभी विग्ना प्रजातियां ४० डिग्री...

Improved cultivation of Blackgram (Urad) हमारे देश में उड़द का उपयोग मुख्य रूप से दाल के लिये किया जाता है। इसकी दाल अत्याधिक पोषक होती है। विशेष तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे लोग अधिक पसन्द करते है। उड़द को दाल के साथ-साथ भारत में भारतीय व्यंजनों को बनाने में भी प्रयुक्त किया जाता है तथा इसकी हरी फलियाँ से सब्जी भी बनायी जाती है। उड़द का दैनिक आहार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर कैल्शियम व विटामिन बी काम्पलेक्स तथा खनिज लवण भी बहुतायत पाये जाते है। इसके साथ - साथ अन्य दालो की तुलना में 8 गुणा ज्यादा फास्फोरस अम्ल के अलावा आरजिनीन, ल्यूसीन, लाइसीन, आइसोल्यूसीन...

Scientific cultivation of Cowpea and its integrated disease and pest management. लोबिया एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है लोबिया की खेती मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से अक्टूबर तक सफलतापूर्वक की जाती है। दलहनी फसल होने के कारण यह वायुमण्डलीय नत्रजन को भुमि में संचित करती है जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है एवं आगामी फसल को इस नत्रजन का लाभ मिलता है। लोबिया प्रोटीन के लिहाज से एक उत्तम फसल है तथा इसकी खेती दानें, सब्जी (हरी फली), चारे एवं हरी खाद के  लिये की जाती है। कुपोषण दूर करने के लिए शाकाहारी भोजन में लोबिया का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अन्य हरी सब्जियों की तुलना में प्रोटीन, फास्फोरस एवं...

Scientific cultivation of Lentil pule मध्यप्रदेश के असिंचित क्षेत्रों में चने की फसल के बाद रबी में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में, मसूर मुख्य फसल है। मसूर (lentil) की संरचना ही कुछ ऐसी है कि ये पानी का उपयोग इसके जीवनकाल में कम से कम करती है। इसकी पूरी ब्राहयाकृति छोटी सी झाड़ी जैसी है, तने पर सूक्ष्म रोयें पाये जाते है एवं पत्तियां भी बारीक व लंबी होती है, यही कारण है कि अन्य दलहनी फसलों की अपेक्षा मसूर की खेती को प्रति इकाई उत्पादन में पानी की कम मात्रा की आवश्‍यकता होती है। मसूर की फसल पाले तथा ठंड के लिये अति संवेदनशील है, फिर भी अन्य रबी दलहन फसल...