नकदी फसल Tag

Integrated disease management of major diseases of Cotton crop based on crop stage कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे “सफेद सोना“ कहा जाता हैं। सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक  एवं  प्राकृतिक फाइबर और तिलहन फसलों में महत्वपूर्ण योगदान है। प्राकृतिक फाइबर की कम से कम 90 प्रतिशत अकेले कपास की फसल से प्राप्त की है। कपास वैश्विक कपड़े का 35 प्रतिशत और भारत में कपड़ों की जरूरत का 60 प्रतिशत योगदान देता है। भारत में सभी चार कपास प्रजातियों अर्थात् देशी कपास (द्विगुणित) गोसिपियम अर्बोरेम, गोसिपियम हेरबसियम, अमेरिकी कपास गोसिपियम हिर्सुटम  एवं  मिश्र की कपास गोसिपियम बारबडेन्स का व्यावसायिक रूप उत्‍पादन होता है । यहां करीब 123 लाख हेक्टेयर क्षेत्र...

Concise information of sugarcane production गन्ना  एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़ आदि का निर्माण होता हैं। एवं इसका रस पीने के लिए की जाती हैं एक नकदी फसल है हमारा कोई पर्व या उत्सव ऐसा नहीं होता जिस पर हम अपने बंधु-बांधवों और इष्ट-मित्रों का मुंह मीठा नहीं कराते। मांगलिक अवसरों पर लड्डू, बताशे, गुड़ आदि बांटकर अपनी प्रसन्नता को मिल-बांट लेने की परम्परा तो हमारे देश में लम्बे समय से रही है। सच तो यह है कि मीठे की सबसे अधिक खपत हमारे देश में ही है। गन्‍ना उत्‍पादन के लि‍ए भूमि एवं उसकी तैयारी: दोमट भूमि जिसमें सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल का निकास अच्छा हो, तथा पी.एच. मान 6.5 से 7.5...

Scientific cultivation of Turmeric हल्दी की खेती सामान्यत: सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की अच्छी मात्रा हो, हल्दी के लिये उपयुक्त होती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिये भूमि का पी एच मान 5.0-7.5 के बीच होना चाहिए। चिकनी मिट्टी, क्षारीय भूमियों तथा पानी ठहरने वाले स्थान पर विकास रुक जाता है। इसकी खेती बगीचों में अंतरवर्तीय फसल के रूप में भी की जा सकती है। हल्दी की खेती के लि‍ए भूमि हल्दी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये भूमि की अच्छी तैयारी करने की आवश्यकता होती है क्योंकि यह जमीन के अंदर होती है जिससे जमीन को...

Commercial cultivation of Sugarcane व्यावसायिक फसलों में गन्ने का महत्त्वपूर्ण स्थान है । गन्ने की खेती के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है । अच्छे विकास के लिए तापमान 26-32 डिग्री से.ग्रे. उत्तम होता है । खेती के लिए मध्यम से काली कछारी एवं चिकनी दोमट मिटटी डोरसा कन्हार सर्वोत्तम रहती है। गन्‍ना उत्‍पादन के लि‍ए खेत की तैयारी: खरीफ फसल काटने के बाद खेत की गहरी जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करें । इसके बाद देषी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा चलाकर खेत समतल करें । गन्‍ना बोने का समय: गन्ने को अक्टूबर-नवम्बर षरद ऋतु व फरवरी मार्च बसंत ऋतु में बोया जाता है । बसंत की अपेक्षा षरदकालीन बुवाई...

भारतीय फसलें तथा उनका वर्गीकरण Crops grown in India are classified into different groups based on seasons i.e Rabi, Kharif, or zaid crop, life cycle ie Annual, Biennials and Pereinnials, and Economy.  1. Season Based (ऋतु आधारित) ख‍रीफ की फसल (Kharif Crops) Paddy (धान), Millet (बाजरा) , Maize (मक्‍का), Cotton (कपास), Ground nut (मूँगफली), Sweet potato (शकरकन्‍द), Black gram (उर्द), Green gram (मूँग) , Cowpea (लोबिया), Sorghum ( ज्‍वार), Sesame (तिल), Guar ( ग्‍वार), Jute (जूट), Sunn (सनई), Peogenpea (अरहर), Danch ( ढैंचा), Sugarcane (गन्‍ना), Soybean (सोयाबीन), Okra( भिंण्‍डी) रबी की फसल (Rabi Crops) Wheat (गेहूँ), Barley (जौं), Gram (चना), Mustard (सरसों), Peas (मटर), Brsim ( बरसीम), Alfalfa (रिजका), Lentil  (मसूर), Potato (आलू), Tobacco (तम्‍बाकू), Lahi( लाही),...