नर्सरी Tag

वर्षाकालीन मौसम में सब्जियों की नर्सरी सब्जियों में कुछ फसलें ऐसी है जिनके बीज को सीधे खेतों में बोया जाता है, क्योंकि इन फसलों में रोपाई के समय जो आघात लगता है, उसको सहने की क्षमता नहीं होती, जैसे- भिण्डी, बरबटी, सेम आदि, दूसरी तरफ कुछ फसलें ऐसी हैं, जिनके पौधे तैयार कर खेत में रोपाई की जा सकती है, जैसे- टमाटर, बैंगन, मिर्च, प्याज, फूलगोभी आदि। इन सब्जियों के पौधा में रोपाई के समय लगने वाले आघात को सहने की क्षमता पायी गई है। अत: इन पौधों के बीजों को शुरू में पौधशाला (नर्सरी) में बोया जाता है खरीफ या वर्षाकालीन मौसम में सब्जियों की फसलें लेने हेतु सब्जियों की नर्सरी में ऊपर...

Method of preparation of onion nursery हमारे देश में प्याज की खेती मुख्य रुप से रबी की फसल के रुप में की जाती है। अनेक राज्यों प्याज की खेती खरीफ में भी की जाती है। प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है जिसमें विटामिन सी, फास्फोरस आदि पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज का उपयोग प्रतिदिन सब्जी व मसाले के रुप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह सलाद, चटनी एवं अचार आदि के रुप में भी प्रयोग किया जाता है। गर्मी में लू लग जाने तथा गुर्दे की बीमारी में भी प्याज लाभदायक रहता है। प्‍याज की खेती के लि‍ए जलवायु एवं भूमि प्याज की फसल के लिए समशीतोष्ण जलवायु की अवश्यकता...

धान की सीधे बीज (डायरेक्ट सीडेड) से बुआई: पानी की खपत और श्रम को कम करने के लिए एक दृष्टिकोण In India, rice field covers an area of 43.94 million hectares (mha) with production of 106.54 mt and has the share of 21% in global rice production during 2013-14. Of the total rice area, 49.5% (22 mha) is irrigated, 13.5% (6 mha) is upland, and 32.4% (14.4 mha) is rainfed lowland. In Asia, 90% of fresh water has been exploited by agriculture and more than 50% is utilized to irrigate rice. More than 75% of the rice supply comes from 79 mha of irrigated land. Therefore, food security is challenged and threatened...

Seed Priming Techniques for Seed Germination Quality Improvement बुवार्इ के पश्चात खेतों की प्रायोगिक परिसिथतियों में बीजों का उच्च तथा एक समान रुप से उगना अच्छी फसल के लिए आवश्यक है। विषम तापमान तथा वातावरण में बीजों का उगाव अपेक्षाकृत कम होकर एक समान नहीं रह पाता। परिणामस्वरुप उत्तर भारत के सब्जी किसान बसंतकालीन फसल की अगेती बुवार्इ हेतु सामान्य से अधिक बीज-दर अपनाते है। अधिक आय की आशा में कृषक समयपूर्व बुवाई करते है। कमगुणता युक्त बीजों की बुवार्इ उपरांत उगाव प्रतिशत सुधारने में बीज प्राइमिंग की विधि उपयोगी पायी गई है। इस प्रक्रिया में बीजों को उनकी अंकुरण पूर्व चयापचय गतिविधि को आगे बढने तक नियमित जलयुक्त किया जाता है। परंतु...