नाइट्रोजन स्थिरीकरण Tag

Mesorhizobium siceri, the unsung hero of agriculture and the magic of nitrogen fixation Plants depend on a complex process called nitrogen fixation, which converts atmospheric nitrogen into a form that plants can absorb and use. Mesorhizobium siceri helps in this process and forms mutually beneficial relationships with certain plants, especially chickpea (Cicer arietinum), changing the way we look at sustainable agriculture. जब हम कृषि के बारे में सोचते हैं, तो फसलों के विशाल खेतों, व्यस्त किसानों और विशाल ट्रैक्टरों की कल्पना करते हैं। लेकिन उन फलते-फूलते खेतों की सतह के नीचे एक मूक नायक है, जो कुछ फसलों के विकास और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम मेसोरहिज़ोबियम...

Blue Green Algae Generated Biofertilizer भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रखने तथा इसे बढ़ाने के लिए एक जैव उर्वरक जो नील हरित शैवालों के संवर्धन से बनाया जाता है अति महत्वपूर्ण है। यह जैव उर्वरक खरीफ सीजन में 20-25 कि.ग्रा. नेत्रजन प्रति हे. पैदा करता है तथा मिट्टी के स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इसके अतिरिक्त भूमि के पानी संग्रह की क्षमता बढ़ाना एवं कई आवश्यक तत्व पौधों को उपलब्ध कराता है। भूमि के पी.एच. को एक समान बनाये रखने में मदद करता है तथा अनावश्यक खरपतवारों को पनपने से रोकता है। इसे जैव उर्वरक के लगातार प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है तथा धान एवं गेहूं की उपज...

Production technique of Blue Green Algae (BGA) and its usage. पौधों के समुचित विकास के लिए नाइट्रोजन एक आवश्यक पोषक तत्व है।  रासायनिक उर्वरकों के अलावा शैवाल तथा जीवाणु की कुछ प्रजातियां वायुमंडलीय नाइट्रोजन (80 प्रतिशत) का स्थिरीकरण कर मूदा तथा पौधों को देती है और फसल के उत्पादकता में वृद्वि करती है। इस क्रिया को जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं।  इन सूक्ष्म जीवाणुओं को ही जैव उर्वरक कहते हैं।  नील-हरित शैवाल एक विशेष प्रकार की काई होती है। नील हरति शैवाल उत्‍पादन की वि‍धि‍ इस प्रकार है  नील-हरित शैवाल की प्रजातियांः जलाक्रान्त दशा, जिसमें धान उगाया जाता है, नील-हरित शैवाल की औलोसिरा, ऐनाबिना, ऐनाबिनाप्सिम, कैलोथ्रिक्स, कैम्पाइलोनिया, सिलिन्ड्रो स्पमर्म फिश्येरला, हैप्लोसीफान, साइक्रोकीटे, नास्टोक, वेस्टिलोप्सिम...