नील हरि‍त शैवाल Tag

Wonderful world of agricultural useful organisms, the basis of good and advanced agriculture सूक्ष्मजीवों का संसार अनदेखा, विस्मयकारी और अद्भुत हैं। नग्न आँखों से नजर न आने वाले ये जीव धरती पर जीवन की निरंतरता को बनाये रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि ये सूक्ष्मजीव कृषि के क्षेत्र में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये सूक्ष्मजीव विभिन्न प्रकार कि जैव-रासायनिक प्रकियाओं में सहभागी बनकर फसलों के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। ये सूक्ष्म जीव विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स का स्त्राव कर अन्य रोगकारक जीवों की वृद्धि को या तो रोक देते हैं या फिर उनको मार देते है। दूसरे कुछ सूक्ष्मजीव पौधे की...

Blue Green Algae Generated Biofertilizer भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रखने तथा इसे बढ़ाने के लिए एक जैव उर्वरक जो नील हरित शैवालों के संवर्धन से बनाया जाता है अति महत्वपूर्ण है। यह जैव उर्वरक खरीफ सीजन में 20-25 कि.ग्रा. नेत्रजन प्रति हे. पैदा करता है तथा मिट्टी के स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इसके अतिरिक्त भूमि के पानी संग्रह की क्षमता बढ़ाना एवं कई आवश्यक तत्व पौधों को उपलब्ध कराता है। भूमि के पी.एच. को एक समान बनाये रखने में मदद करता है तथा अनावश्यक खरपतवारों को पनपने से रोकता है। इसे जैव उर्वरक के लगातार प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है तथा धान एवं गेहूं की उपज...

Spirulina (Arthro spira platensis) cultivation for low investment and high income स्पिरोलिना (ऑरथो स्पाइरा प्लैटेंसिस), एक नील हरि‍त शैवाल (Blue green algae) है। यह एक पौष्टिक प्रोटीन आहार पूरक है और इसका उपयोग कई दवाओं के निर्माण और सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। इसमें  प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट्स, कई विटामिन और खनिज प्रचूर मात्रा पाए जाते है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए यह एक सूपर फूड के रूप में जाना जाता है। कृषि में बढती लागत व कम रि‍टर्न के कारण कि‍सान की आय में नि‍रंतर गि‍रावट आ रही है। कि‍सान की आय को बढाने के लि‍ए स्‍पाईरूलि‍ना की खेती में बहुत संभावनाऐ नजर आती है। आजकल एक किलो सूखे स्पिर्युलिन पाउडर (Dry...

Production technique of Blue Green Algae (BGA) and its usage. पौधों के समुचित विकास के लिए नाइट्रोजन एक आवश्यक पोषक तत्व है।  रासायनिक उर्वरकों के अलावा शैवाल तथा जीवाणु की कुछ प्रजातियां वायुमंडलीय नाइट्रोजन (80 प्रतिशत) का स्थिरीकरण कर मूदा तथा पौधों को देती है और फसल के उत्पादकता में वृद्वि करती है। इस क्रिया को जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं।  इन सूक्ष्म जीवाणुओं को ही जैव उर्वरक कहते हैं।  नील-हरित शैवाल एक विशेष प्रकार की काई होती है। नील हरति शैवाल उत्‍पादन की वि‍धि‍ इस प्रकार है  नील-हरित शैवाल की प्रजातियांः जलाक्रान्त दशा, जिसमें धान उगाया जाता है, नील-हरित शैवाल की औलोसिरा, ऐनाबिना, ऐनाबिनाप्सिम, कैलोथ्रिक्स, कैम्पाइलोनिया, सिलिन्ड्रो स्पमर्म फिश्येरला, हैप्लोसीफान, साइक्रोकीटे, नास्टोक, वेस्टिलोप्सिम...

Bacterial fertilizers: A cheap and best source of nutrient management फसल उत्पादन मे पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण स्थान है, इनकी आपूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरक, देसी खाद, जीवाणु खाद, कम्पोस्ट आदि का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है ι उर्वरको की बढ़ती कीमतें, माँग एवं पूर्ति के बीच का अंतर, छोटे व सीमान्त किसानो की सीमित क्रय शक्ति एवं ऊर्जा की कमी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के कारण आवश्यक है कि पादप पोषण के कुछ ऐसे सार्थक एवं सस्ते वैकल्पिक स्त्रोत हो जो सस्ता होने के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषक भी न हो। ऐसे मे जीवाणु खाद को नकारा नहीं जा सकता है ι आज पूरे विश्व मे जैविक खेती को रासायनिक खेती का विकल्प...

टिकाऊ खेती में बायोफर्टीलाइजर एक कम लागत का फायदे वाला नि‍वेश  Biofertilizers are low cost, renewable sources of plant nutrients which supplements chemical fertilizers. These are nothing but selected or specific strains of beneficial soil microorganisms cultured in the laboratory and packed in a suitable carrier. They can be used either for seed treatment or soil application or liquid form. Biofertilizers generate plant nutrients like nitrogen and phosphorous through their activities in the soil or Rhizosphere and make available to plants in a gradual manner. The side effects of indiscriminate use of chemical fertilizers in agriculture can be summarized as disturbances in the soil reaction, development of nutrient imbalances in plants, increased susceptibility...