पशुओं के रोग Tag

मैस्टाइटिस पशुओं के उपचार के लिए मेसेनकाइमल कोशिकाओं की भूमिका  Stem cells are the undifferentiated and uncommitted cells that give rise to deferent cell types or lineage on dividing. These stem cells are used as regenerative medicine for the treatment of various diseases in human and animals. In the present study mesenchymals Stem cells (MSC) used for the treatment of mastitis animal and it found that diseased animal treated with MSC has been cured which suggest that stem cell therapy use as regenerative medicine providing a promising area for the treatment of various diseases in animals. Stem cells “the hope cells”: A stem cell is a specialized cell which has the unique characteristic to develop...

अफारा रोग: पशुओं में आकस्मिक मौत का प्रमुख कारण  जुगाली करने वाले पशुओं में अफरा एक आम समस्या है । इनके रुमेन (पेट) में पाचन के दौरान गैस का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है तथा यह गैस थोड़े थोड़े अंतराल पर  मुँह के रास्ते से हमेशा निकलती रहती है । परन्तु जब किसी कारण बस गैस बाहर नहीं निकल पाती है, तब गैस भरने की वजह से पेट फूल जाता है। इस अवस्‍था अफारा कहते है। अफारे के कारण पशु की कृति या छायाचित्र बदल जाती है और पशु को साँस लेने में परेशानी होती है। कुछ पशुओं में तीव्र अफरा की वजह से आकस्मिक मृत्यु भी हो जाती है । अफरा दो तरह...

Garget (Thanala) Disease: The Biggest Problems of dairy cattle थनैला रोग (Garget), दुधारू पशुओं में होने वाली एक बीमारी है। यह बीमारी मुख्यतः गाय, भैंस,भेड़ ,बकरी सुअर आदि में होती है। जिसमे प्रभावित पशुओं के थन गर्म हो जाते है एवं सूजन बढ़ जाती है । शारीरिक तापमान बढ़ जाता है । दूध देने की क्षमता कम हो जाती है । जानवर खाना पीना बंद कर देता है । यह बीमारी प्रत्यक्ष रूप में जितना नुकसान करती है उससे कही ज्यादा अप्रत्यक्ष रूप से पशुपालको को आर्थिक नुकसान पहुंचती है! रोग कारक – यह बीमारी अनेक कारको के वजह से होती है । जैसे की जीवाणु , विषाणु , मोल्ड , फफूंद , यीस्ट,...

Symptoms, preservation and treatment of Hemorrhagic Septicemia गलघोटू (Hemorrhagic Septicemia ) एक घातक संक्रामक बीमारी है ! जो मुख्यत: गाय भैंस में मानसून के मौसम के दौरान होती है साधारण भाषा में गलघोटू रोग "घुरखा" , " घोटुआ " , " डहका " आदि के नाम से जाना जाता है ! यह रोग भेड़,बकरियों एवं सूअरों को प्रभावित करता है ! पशुओ के इस रोग में पशुपालको को अत्याधिक नुक्सान का सामना करना पड़ता है ! गलघोटू रोग के कारण पशुओ की मृत्यु दर अधिक होती है यह रोग छह से दो वर्ष की आयु के जानवरो में होती है ! गलघोटू रोग कारक : - यह रोग 'पस्तुरिल्ला मल्टोसीदा" नामक जीवाणु से होता है...