बीज भंडारण Tag

 Cryopreservation – long term conservation of plant genetic resources दुनिया भर में लगभग 3,00,000 उच्च पौधों की प्रजातियां  हैं, लेकिन इनमें से सैंकड़ों फसलें खतरनाक दर से विलुप्त होती जा रही हैं । इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्ज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (आई यू सी एन) ने 3,078 पौधों की क़िस्मों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त और 4,861 को लुप्तप्राय में सूचीबद्ध किया है और इनकी संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। मानव जाति द्वारा उपयोग किए जाने वाले पौधों की बात करें, तो लगभग 30,000 खाद्य पौधों की प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें से 7,000 से अधिक पौधों की प्रजातियों का उपयोग मानवता के इतिहास में खाद्य जरूरतों  को पूरा करने...

Chief measures for Safe Seed Storage भंडारण के दौरान बीज व अनाज  को क्षति पहुंचाने में कीट अपना अहम् किरदार निभाते हैं। भंडार कीटों की लगभग 50 प्रजातियां हैं जिनमें से करीब आधा दर्जन प्रजातियां ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भंडार कीटों में कुछ कीट आंतरिक प्राथमिक तो कुछ बाह्य (गौड़) भक्षी होते हैं। ऐसे कीट जो स्वयं बीज को सर्वप्रथम क्षति पहुंचाने में सक्षम होते हैं वे प्राथमिक कीट कहे जाते हैं। इनमें सूंड वाली सुरसुरी, अनाज का छोटा छिद्रक प्रजातियां प्रमुख हैं। गौड़ कीट वे हैं जो बाहर रहकर भू्रण या अन्य भाग को क्षति पहुंचाते हैं। इनमें आटे का कीट, खपरा बीटल, चावल का पतंगा आदि प्रमुख हैं।  अलग-अलग प्रकार के बीजों...

Safe storage of food grain and seeds भंडारण के दौरान बीज व अनाज को क्षति पहुंचाने मे कीट अहम् भूमिका निभाते हैं। भंडार कीटों की लगभग 50 प्रजातियां हैं जिनमें से करीब आधा दर्जन प्रजातियां ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भंडार कीटों में कुछ कीट आंतरिक प्राथमिक तो कुछ बाह्य (गौड़) भक्षी होते हैं। ऐसे कीट जो स्वयं बीज को सर्वप्रथम क्षति पहुंचाने में सक्षम होते हैं वे प्राथमिक कीट कहे जाते हैं। इनमें सूंड वाली सुरसुरी, अनाज का छोटा छिद्रक प्रजातियां प्रमुख हैं। गौड़ कीट वे हैं जो बाहर रहकर भू्रण या अन्य भाग को क्षति पहुंचाते हैं। इनमें आटे का कीट, खपरा बीटल, चावल का पतंगा आदि प्रमुख हैं। अलग-अलग...

Improved Seed Production Through Superior Processing भारत में वर्ष 2012-13 में खाद्यान उत्पादन लगभग 248 मि.टन हुआ है । इसमें गेहूँ का उत्पादन लगभग 87 मि.टन होने का अनुमान है । एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2020 तक लगभग 280 मि.टन उत्पादन की आवश्यकता होगी ताकि बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी की जा सके । इसके अतिरिक्त जीवन स्तर बढ़ने व प्रसंस्करण उद्योगों की मांग भी पूरी की जा सकती है । चूंकि अधिक उत्पादन के लिए अतिरिक्त क्षेत्र बढ़ने की संभावना नहीं है । अत: बेहतर उत्पादकता से ही अधिक उत्पादन लिया जा सकता है । हमारे देश में उत्पादन में काफी अंतर (4.2 से 2.4 टन/है.) है  इसे काफी...