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स्नो मटर या स्नैप मटर का पोषण और स्वास्थ्य महत्व Pea also known as the “queen” of pulses has been grown and consumed since more than 8000 years. The garden or field pea is cultivated worldwide since millennium because of the lower levels of toxins found in the seed (Liener, 1982) and apart from toxins the pea is also known as a protein rich crop having relative protein content estimated to be 25% (Monti 1983). Garden peas (P. sativum var. sativum) are generally utilized for human consumption, field peas (P. sativum var. arvense (L.) Poiret) are widely utilized in livestock and traditionally as green manure. The immature pods are also consumed as vegetable...

Water requirements of major crops and their critical states फसलों से अधिक व अच्छी पैदावर लेने के लिये उनकी सिंचाई के लिये विभिन्न क्रांतिक अवस्थाओं पर मृदा में पर्याप्त मात्रा में नमी का होना अति आवश्यक है। फसलो में क्रांतिक अवस्थाए वे अवस्थाएं कहलाती है, जिन पर फसलों में सिंचाई करने या न करने से पैदावार में प्रभाव पडता है अर्थात सिंचाई करने से पैदावार में आशातीत बढोतरी होती है और इन क्रांतिक अवस्थाओं पर फसलो में सिंचाई न करने से पैदावर में कमी आती है। इसके साथ साथ फसलों में उचित समय पर सिंचाई न करने से भी पौधों की उचित वृद्धि नहीं हो पाती जिसका पैदावार पर प्रतिकुल प्रभाव पड्ता...

Agricultural work to be carried out in the month of January गेंहूॅ फसल:  पत्‍ती व तना भेदक की रोकथाम के लि‍ए इमि‍डाक्‍लोप्रि‍ड 200 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर या क्‍यूनलफॉस 25ई.सी. दवा 250 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर का प्रयोग करें। प्रोपीकोनाजोल 0.1 प्रति‍शत के घोल का छि‍डकाव करे। गेहूॅ की पछेती कि‍स्‍मों में बुआई के 17 से 18 दि‍न बाद सि‍चाई करें तथा उसके बाद 15-20 दि‍नों के अंतराल पर सि‍ंचाई करते रहे। गेंहूं की फसल को चूहों से बचाने के लि‍ए जि‍कं फॉस्‍फाइड से बने चारे अथवा एल्‍यूमि‍नि‍यम से बनी टि‍कि‍या का प्रयोग करें। सब्‍जि‍यॉं : प्‍याज के पौधों की रोपाई करें। प्‍याज के पौधों की रोपाई के बाद सि‍चाई करें तथा खरपतवार नि‍यंत्रण के लि‍ए रोपाई के बाद पैन्‍डामैथि‍लि‍न दवा...

Recommended Monthly Agricultural Activities for Scientific Farming 1. जनवरी माह के कृषि कार्य: Agricultural work to be carried out in the month of January गेंहूॅ फसल:  पत्‍ती व तना भेदक की रोकथाम के लि‍ए इमि‍डाक्‍लोप्रि‍ड 200 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर या क्‍यूनलफॉस 25ई.सी. दवा 250 ग्राम प्रति‍ हैक्‍टेयर का प्रयोग करें। प्रोपीकोनाजोल 0.1 प्रति‍शत के घोल का छि‍डकाव करे। गेहूॅ की पछेती कि‍स्‍मों में बुआई के 17 से 18 दि‍न बाद सि‍चाई करें तथा उसके बाद 15-20 दि‍नों के अंतराल पर सि‍ंचाई करते रहे। गेंहूं की फसल को चूहों से बचाने के लि‍ए जि‍कं फॉस्‍फाइड से बने चारे अथवा एल्‍यूमि‍नि‍यम से बनी टि‍कि‍या का प्रयोग करें। सब्‍जि‍यॉं : प्‍याज के पौधों की रोपाई करें। प्‍याज के पौधों की रोपाई के बाद सि‍चाई करें...

Plant Protection Methods in Pea Crop मटर एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी जड़ में गांठे मिलती हैं। मटर के एक बीज का वजन ०.१ से ०.३६ ग्राम होता है। सब्जियो मे मटर का स्थान प्रमुख रहा है। इसकी खेती हरी फल्ली (सब्जी), साबुत मटर, एवं दाल के लिये की जाती है। आजकल मटर की डिब्बा बंदी काफी लोकप्रिय हो रही है। इसमे प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटेशियम एवं विटामिन्स पाया जाता है। स्वाद एवं पौष्टिकता की दृष्टि से दलहनी फसलो मे से मुख्य फसल है। इस लेख के माध्यम से मटर में पौध संरंक्षण करके अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा  सकता है मटर की फसल के रोग मटर की फसल मे रोगो...

Improved Cultivation Technique of Garden Pea शीतकालीन सब्जियो मे मटर का स्थान प्रमुख है। इसकी खेती हरी फल्ली (सब्जी), साबुत मटर, एवं दाल के लिये किया जाता है। आजकल मटर की डिब्बा बंदी भी काफी लोकप्रिय है। इसमे प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटेशियम एवं विटामिन्स पाया जाता है। स्वाद एवं पौष्टिकता की दृष्टि से दलहनी फसलो मे से मुख्य फसल है। देश भर मे इसकी खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है। इस लेख के माध्यम से इसका अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये उन्नत तकनीकी के महत्वपूर्ण पहलुओ पर प्रकाश डाला गया है- मटर की उन्नत शील किस्मेः- मटर के किस्मो को दो वर्गो मे विभाजित किया गया है...

 फि‍ल्‍ड मटर की उच्च पैदावार व खड़े रहने की उत्‍तम योग्यता वाली कि‍स्‍म  - अमन A newly developed Fieldpea (Pisum sativum) variety , Aman (IPF 5-19) , has been recommended for commercial cultivation in Rajasthan, Punjab, Haryana, western Uttar Pradesh, Delhi and plains of Uttarakahnd in 2009.  This variety has a yield superiority of about 22% over the best check variety DMR 7 and has better standing ability as compared to other varieties.  The average yield of the variety in North West Plain Zone is 2202 kg/ha under normal conditions. This variety possesses high degree of resistance to powdery mildew disease.  Also, the variety is moderately resistant to rust disease and to pod borer and...

गार्डन मटर का जैवि‍क उत्पादन The concept of organic farming is receiving increased attention, and organic food markets are also expanding rapidly in many countries including India. The Indian pea  is export in world market (Saudi Arabia, United Arab Emirates, and Nepal etc.) is estimated quantity 10, 04, 638 Kg which earn in term of values 2, 63, 73, 064 Rs. (N.H.B. 2010-11)  This organic market expansion makes it possible for farmers to sell their products at high price premiums. Most of the cultivated are in north western Himalayas of India including Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh and uttarakhand has largely remained organic by default. In view of renewed interest in...

मटर की खेती के लि‍ए उन्‍नत कि‍स्‍मे  बुवाई का समय अक्‍टूबर नवम्‍बर तथा बीज की दर 80 से 100 कि‍लोग्राम प्रति हैक्‍टेयर Varieties Average yield (कि‍व्‍ंटल/हैक्‍टेयर) Characters उत्‍तरा 22.3 उत्‍त्‍र पश्‍चि‍मी क्षैत्र, पंजाब हरि‍याणा व दि‍ल्‍ली के लि‍ए उपयुक्‍त कि‍स्‍म है। पकने मे 128 दि‍न का समय लगता है। मालवीय (HUDP-15) 23 उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र पूर्वी उत्‍तर प्रदेश बि‍हार, बंगाल उत्‍त्‍र पश्‍चि‍मी पंजाब, हरि‍याणा दि‍ल्‍ली, पश्‍चि‍मी उत्‍तर प्रदेश व उत्‍तरी राजस्‍थान के लि‍ए उपयुक्‍त कि‍स्‍म लगभग 126 दि‍न मे पक जाती है। अम्‍बि‍का 18 मध्‍य क्षेत्र जैसे मध्‍य प्रदेश महाराष्‍ट्र के लि‍ए उपयुक्‍त। 100 से 125 दि‍न मे पक जाती है। सपना 30-35 डत्‍तर प्रदेश के लि‍ए उपयुक्‍त है। 120 से 130 दि‍न मे पकजाती है। डीएमआर 7 (DMR-7) 22 Suitable for North West planins for irrigated/ rainfed conditions. पूसा प्रभात ...