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शून्य बजट प्राकृतिक खेती Zero Budget Natural Farming was developed by Subhash Palekar in the mid-1990s in Maharashtr. Zero budget natural farming totally depends on natural resource and chemical is totally avoided.  In zero budget farming sowing to harvesting cost is zero because external input such as pesticide, fertilizer etc. totally avoid. The farmers income is increased with the help of ZBNF’s and it is guidance towards sustainable farming methods that help to maintain soil fertility, productivity, assure chemical-free agriculture, and ensure a cheap cost of production (zero cost). Zero budget natural farming is eco friendly and create sustainable environment in soil and local areas. So it’s as good agro-ecology model for sustainable point of...

Zero Budget Natural Farming जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र के एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि का एक रूप है।सुभाष पालेकर के नाम पर इसे सुभाष पालेकर नेचुरल फार्मिंग यानी जीरो बजट प्राकृतिक खेती कहा जाता है. यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है। इस खेती के पैरोकारों का कहना है कि यह खेती देसी गाय के गोबर और मूत्र पर आधारित है. इस विधि में कृषि लागत जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। जिससे कृषि लागत में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट आती है, इसलिये इसे ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है।इस विधि...

Harmful effects of burning crop residues and management of crop residues भारत में पहले खेती केवल जीविकोपार्जन के लिए किया जाती थी लेकिन धीरे धीरे खेती ने व्ययसाय का रूप ले लि‍या है।  किसान अधिक उपज प्राप्त करने के लिय अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है जिससे मृदा के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव हो रहा है फसल अवशेष  को जलना भी एक पर्यावरण तथा मृदा प्रदुषण का महत्वपूर्ण कारण है। पिछले कुछ वर्षों में एक समस्या मुख्य रूप से देखी जा रही है कि जहां हार्वेस्टर के द्वारा फसलों की कटाई की जाती है उन क्षेत्रों में खेतों में फसल के तने के अधिकतर भाग खेत में...

Management of Crop residues in rice-wheat crop system by adopting conservation agriculture फसल अवशेष बहुत ही महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। ये न केवल मृदा कार्बनिक पदार्थ का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, अपितु मृदा के जैविक, भौतिक एवं रासायनिक गुणों में वृद्धि भी करते हैं।  पादप द्वारा मृदा से अवशोषित 25 प्रतिशत नत्रजन व फास्फोरस, 50 प्रतिशत गन्धक एवं 75 प्रतिशत पोटाश जड़, तना व पत्ती में संग्रहित रहते है। अतः फसल अवशेष पादप पोषक तत्वों का भण्डार है। यदि इन फसल अवशेषो को पुनः उसी खेत में डाल दिया जाये तो मृदा की उर्वरकता में वृद्धि होगी और फसल उत्पादन लागत में भी कमी आयेगी।  भारत में प्रतिवर्ष 600 से 700 मिलियन टन फसल...

How to grow strawberries स्ट्राबेरी एक महत्वपूर्ण नरम फल है। जिसको विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु में उगाया जा सकता है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल दे सकता है। इस फसल का उत्पादन बहुत लोगों को रोजगार दे सकता है। स्ट्रॉबेरी  एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन 'सी' , प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोतों है। स्ट्राबेरी की किस्में स्ट्राबेरी की बहुत सी किस्में उगाई जाती हैं। परन्तु मुख्यत: निम्नलिखित किस्मों का उत्पादन हरियाणा में किया जाता है। कैमारोजा यह एक कैलीफोर्निया में विकसित की गई किस्म है व थोड़े दिन में फल देने वाली किस्म है। इसका फल बहुत बड़ा व मजबूत होता है। इस फल की महक अच्छी होती है। यह किस्म लंबे समय...