मूली Tag

Advanced Farming Technique of Beetroot. चुकंदर का शुमार मीठी सब्जियों में किया जाता है । चुकंदर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट लाल तत्व में कैंसर रोधी क्षमता होती है । इतना ही नहीं यह हृदय की बीमारियों में भी कारगर माना जाता है । चुकंदर की कई प्रजातियाँ भारत में उगाई जाती हैं । अलग-अलग राज्यों में इसको अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है । बांग्ला में बीटा गांछा, हिंदी पट्टी में चुकंदर, गुजरात में सलादा, कन्नड़ भाषा में गजारुगद्दी, मलयालम में बीट, मराठी में बीटा, पंजाबी में बीट और तेलुगु में डंपामोक्का के नाम से मशहूर प्रजातियां भारत में सामान्यतः उगाई जाती है। भारत में उगायी जाने वाली चुकंदर की प्रजातियां डेट्रॉइट डार्क...

Agricultural work to be carried out in the month of November गेंहूॅ फसल:  कण्‍डूआ रोग की रोकथाम के लि‍ए कार्बेन्‍डाजि‍म अथवा थीरम 2.5 ग्रा./ कि‍ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें।  गेंहूॅ की समय से बुआई के लि‍ए नवम्‍बर माह उपयूक्‍त समय है पूसा 3038 (पूसा गौतमी) एचडी 3059 (पूसा पछेती), एचडी 3042 (पूसा चैतन्‍य) एचडी 2967 ( पूसा सि‍ंधू गंगाा), एचडी 2851 (पूसा वि‍शेष) गेहूॅ की समय पर बुआई के लि‍ए उपयुक्‍त कि‍स्‍में है। गेहूॅ बुआई के 21 दि‍न बाद पहली सि‍ंचाई करें।  गेंहूॅ में  120:50:40 NPK की दर से उर्वरक डालें। बुवाई के समय नाईट्रोजन की आधी तथा फास्‍फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आधार खुराक के रूप में उालें। सब्‍जि‍यॉं : टमाटर तथा फूलगोभी की पछेेेेती...

Seed Production technology of Rooted Vegetable Crops जड़ वाली सब्जियों में मूली, शलगम, गाजर व चकुंदर प्रमुख है। जड वाली सब्जियों की खेती में कृषि क्रियाओं में प्रयाप्त समानता है। ये ठंडे मौसम की फसलें है तथा सभी भूमिगत होती है। इनसे हमें पौष्टिक तत्व, शर्करा, सुपाच्य रेशा, खनिज लवण, विटामिन्स व कम वसा प्राप्त होती है। बीज उत्पादन के लिए इन सब्जियों को दो अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। एशियाटिक या उष्णकटिबंधीय समूह तथा युरोपियन या शीतोष्ण समूह।  युरोपियन समूह में शीतकालीन किस्में आती है जिनका बीज उत्पादन पहाड़ी इलाकों में ही सभंव होता है जबकि मूली, शलगम व गाजर की अर्द्धउष्णीय या एशियाटिक किस्मों का बीज उत्पादन उत्तर भारत के...

मूली की जैविक खेती के लिए उत्पादन तकनीक। Radish is a vegetable rich in Vit C and supplies a variety of minerals. It contains glucose, pectin, pentosans, and isothiocynates3. It is used as vegetable, and as medicine Season: It grows best in cool to moderate climate. During hot weather, roots become tough and pungent before reaching full size. Soil: Best results are obtained on light friable loam soil. For early crop, sandy or sandy loams are preferred while in summer moist soil gives best result. Heavy soils produce misshapen roots with a number of small fibrous laterals. Varieties The varieties commonly used in Hosur area are: Pusa chetkiPusa himaniArka NishantPusa Chetki short Stage I - Land preparation Prepare soil...

भारत में मूली का प्रयोग सलाद व सब्‍जी के रूप में पूरे साल होता है परन्‍तू इसकी कोई भी एक किस्‍म सारे साल नही उगाई जा सकती। पूसा संस्‍थान दिल्‍ली द्वारा विकस्ति पॉच किस्‍मो को उगाकर, उत्‍तरी भारत के मैदानों में पूरे साल मूली का उत्‍पादन किया जा सकता है। Varieties Sowing time Availability time Yield 1. पूसा देशी (Pusa Desi) अगस्‍त से अक्‍टूबर सितम्‍बर से नवम्‍बर 175 कि./है. 2. पूसा रश्मि (Pusa Rashmi) सितम्‍बर से नवम्‍बर अक्‍टूबर से दिसम्‍बर 200 कि./है. 3. जापानीज वहाईट (Japanes White) अक्‍टूबर से दिसम्‍बर नवम्‍बर से जनवरी 250 कि./है. 4. पूसा हिमानी (Pusa Himani) दिसम्‍बर से मार्च जनवरी से अप्रैल 250 कि./है. 5. पूसा चेतकी (Pusa Chetki) फरवरी से अगस्‍त मार्च से सितम्‍बर 170 कि./है. श्रोत: पूसा कृषि विज्ञान मेला शाकिय फसले संभाग, भाकृअसं, नई दिल्‍ली ...

मूली फसल उगाने के लि‍ए उन्‍नत किस्‍में    Varieties प्रजाति Developed By विकसित की Average yield औसत उपज( कुं/है) Characters गुण पूसा चेतकी (Pusa Chetki) IARI 250-300 इसकी जडें शीघ्र तैयार होने वाली मध्‍यम लम्‍बाई की सफेद, तीखी व सतह चिकनी होती है। गर्मी व बरसात दोनो मौसम में बुआई के लिए उपयुक्‍त। बुआई के 35-40 दिनो बाद तैयार हो जाती है। बुआई का उपयुक्‍त समय मध्‍य अक्‍टूबर से नवम्‍बर तक । पूसा हिमानी (Pusa Himani) IARI -  जडें अधिक लम्‍बी, कम तीखी, सफेद रंग की चिकनी होती है। देर से बुआई के लिए उपयुक्‍त । बुआई के 35 से 40 दिनो में तैयार हो जाती है। बुआई का उचित समय अक्‍तूबर माह है। बोनस आर-33 (Bones R-33) Sungrow Seeds -  यह चेतकी समूह की संकर किस्‍म है।...