मृदा Tag

Importance of soil organic carbon in increasing crop productivity मृदा कार्बनिक पदार्थ का एक मापनीय घटक है। एसओसी (SOC) का मतलब है "मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ के रूप में संग्रहीत कार्बन, जैसे कि विघटित पौधे और पशु पदार्थ"।  कार्बनिक पदार्थ अधिकांश मृदा के द्रव्यमान का केवल 2-10% हिस्सा बनाते हैं और कृषि मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्बनिक पदार्थ पोषक तत्वों के प्रतिधारण और परिवर्तन, मृदा संरचना, नमी प्रतिधारण और उपलब्धता, प्रदूषकों के विघटन और कार्बन पृथक्करण में योगदान देते हैं। कार्बनिक पदार्थ कोई भी जीवित या मृत पशु और वनस्पति पदार्थ है। इसमें जीवित पौधों की जड़ें और जानवर, अपघटन के विभिन्न चरणों में पौधे...

Importance and factors affecting of earthworms in soil मृदा मानव जाति की सबसे बड़ी विरासत है और सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन भी है। इंसान ऐतिहासिक रूप से शिकार पर निर्भर थे और जीवनयापन के लिए भोजन का संग्रह  मृदा  से करते थे। हमारे मृदा के साथ संबंध मृदा की जुताई से जुड़े है। जिसके कारण आज मानव सभ्यता का विकास हुआ है और ये मानव और मृदा के संबंध को देख कर हम कह सकते है की मृदा कृषि के लिए एक आधारभूत हिस्सा है । आज-कल देखा जा रहा है की वन कटाई, अधिक चराई, फसल जलाना, अधिक मात्रा में कृषि रसायन एवं कम कार्बनिक खाद का प्रयोग और कृषि योगय...

Soil Biodiversity Harness and Management for Sustainable Agricultural मृदा जीव पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं। मिट्टी का बायोटा पौधों और जानवरों / मानव जीवन को बनाए रखने के लिए अत्यावश्यक है। मृदा  मैं रहने वाले सूक्ष्मजीव मिट्टी की प्रक्रियाओं में आवश्यक भूमिका निभाते हैं जैसे कि कार्बन / पोषक तत्व चक्र , पौधों द्वारा पोषक तत्व और मिट्टी कार्बनिक पदार्थ (एसओएम) का गठन। मृदा में कई ऐसे जीवाणु है जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं। इस बात के भी प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मिट्टी की जैव विविधतापौधों, जानवरों और मनुषय कीटों और बीमारियों के नियंत्रण में योगदान करते  है। खाद्य उत्पादन काफी हद तक जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र...

Types of Soil Found in India सर्वप्रथम १८७९ ई० में डोक शैव ने मिट्टी का वर्गीकरण किया और मिट्टी को सामान्य और असामान्य मिट्टी में विभाजित किया। भारत की मिट्टियाँ स्थूल रूप से पाँच वर्गो में विभाजित की गई है: जलोढ़ या कछार मिट्टी (Alluvial soil), काली  या रेगुर मिट्टी (Black soil), लाल मिट्टी (Red soil), लैटराइट मिट्टी (Laterite) तथा मरु मिट्टी (desert soil)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टी को आठ समूहों में बांटा है: जलोढ़ मिट्टी  (Alluvial soil), काली मिट्टी (Black soil), लाल एवं पीली मिट्टी (Red & Yello soil), लैटराइट मिट्टी (Laterite), शुष्क मृदा (Arid soils), लवण मृदा (Saline soils), पीटमय तथा जैव मृदा (Peaty & Organic soils) , वन मृदा (Forest soils) जल को अवषोषण करने की क्षमता सबसे अधिक दोमट मिट्टी...

Integrated nutrient management for sustainable crop production वैश्विक खाद्य आपूर्ति की दीर्घावधि सुरक्षा हेतु उत्पादन में वृध्दि एवं वातावरणीय स्थायित्व के मध्य एक सन्तुलन की आवश्यकता है। पोषक तत्वों का अभाव एवं अतिरेख दोनों ही इस सन्तुलन को बिगाड सकते हैं। टिकाऊ फसल उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य सन्तुलन हेतु , समन्वित पोषक प्रबंधन कृषि तंत्र में पोषक आपूर्ति का अभाव या उनकी अधिकता तथा कार्बनिक एवं अकार्बनिक दोनों पोषक स्त्रोतों के प्रबंधन की चुनौती का परीक्षण करता है। सिद्धांतीय एवं अनुप्रयोगी ज्ञान के संयोजन के माध्यम से समन्वित पोषक प्रबंधन को किसी भी प्रकार के फसल उत्पादन तंत्र के लिए सफलता पूर्वक अंगीकृत किया जा सकता है। कृषि एक मृदा आधारित उद्योग...

भारतीय कृषि में पोषक तत्‍वो का खनन Nutrient mining generally refers to agricultural practices resulting in a negative nutrient balance: export (loss) of a nutrient is greater than import (input). Estimates suggest that the total area under cultivation remained more or less constant (at 140-142 Mha) over the past several decades, and there are indications that the agricultural lands are gradually being diverted to accommodate increased urbanization and industrialization. It is unlikely that sizable additional area will be brought in under cultivation in the foreseeable future. Therefore, there is no other viable option than increasing crop productivity per unit area, to meet the future production goals. Maintenance of native soil fertility in the intensively cultivated...

Soil Health- an integral part of the beneficial and sustainable agriculture. भारत की लगभग दो तिहाई आबादी की जीविका का मूल आधार कृषि है। शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण कृषि योग्य जमीन दिन प्रतिदिन घटती जा रही है, साथ ही साथ इसकी गुणवत्ता में उल्लेखनीय कमी आती जा रही है। बीसवी श्‍ादी के उत्तरार्ध में देश मेे हरि‍त क्रांति से कृषि उपज में गुणात्मक बढ़ोत्तरी हुई। जिसके मूल में अधिक उपज देने वाली किस्में, रासायनिक उर्वरक एवं व्यापक पैमाने पर पाक-संरक्षक उपायों का अपनाये जाना था। जिसके दुष्परिणाम कृषि उत्पादन की कमी के रूप में बाद के दशकों में दिखाई देने लगे। जिसका एक प्रमुख कारण मृदा गुणवत्ता में आई उत्तरोतर कमी को...

मृदा सोलराईजेसन - खरपतवार प्रबंधन के एक अच्‍छी तकनीक The impact of pesticide use on the environment is now well documented, and a more wide spread adoption of integrated weed management strategies and tactics is recommended in sustainable agriculture systems. Soil solarization is a novel technique of controlling soil borne pests including weeds. This hydrothermal process occurs in moist soil which is covered by a transparent plastic film for 4-6 weeks and exposed to sunlight during the warm summer months. The practice was first reported from Germany in 1888 and was first used commercially by USA in 1897. Soil propagules, as weed seeds, offer a wide range of tolerance to high...