रि‍जका Tag

आधुनिक पशु आहार में अजोला का योगदान  राजस्थान की अर्थव्यस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथा पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है। पशुपालन किसानो को विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करता है  जिससे किसानो की आय में वर्द्धि होती है एवं उनकी अर्थवयवस्था में भी  सुधार होता है। अजोला पशुओ के लिये जैविक चारे का काम करता है जिससे उनके दूध में बढ़ोतरी होती है और दूध की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है अजोला एक जलीय फर्न है, जो पानी में तेजी से  बढ़ती है एवं पानी की सतह पर तैरती रहती है धान की फसल में अजोला को भी नील हरित शैवाल की तरह हरी...

Multi cut fodder sorghum cultivation technique.  भारत में मात्र 4 प्रतिशत भूमि पर चारे की खेती की जाती है तथा एक गणना के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत हरे चारे एवं 40 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है | अत:  हमें उन चारा फसलों की खेती करनी होगी जो लम्बे समय तक पशुओं को पोष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के साथ साथ हमारी जलवायु में आसानी से लगाई जा सके| शरद ऋतू में बरसीम, जई, रिजका, कुसुम आदि की उपलब्धता मार्च के पहले पखवाड़े तक बनी रहती है किन्तु बहु कट चारा ज्वार से पशुओं को लम्बे समय तक हरा चारा आसानी से मिल सकता है। ज्वार का चारा स्वाद एवं गुणवत्ता में बहुत अच्छा होता...

Weed management for bursim and Lucerne बरसीम एवं लूसर्न हरे, रसदार एवं स्वादिष्ट चारे के लिए रबी (शीत ऋृतु) में सिंचित क्षेत्रों की महत्वपूर्ण फसलें हैं। ये फसलें वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का भूमि में स्थिरीकरण करके भूमि की उर्वरता बढ़ाती है। ये पोषण की दृष्टि से उच्च गुणवत्ता वाली चारे की फसलें हैं। ये दुधारू पशुओं के लिए अत्यन्त उपयोगी होती है। बरसीम एवं लूसर्न में प्रोटीन, खनिज पदार्थ मुख्यतः कैल्सियम तथा फास्फोरस, विटामिन आदि के महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। दोनों फसलों की औसत पाचनशीलता 60-70 प्रतिशत तक पायी जाती है। बरसीम फसल की उच्च गुणवत्ता के कारण इसे ‘चारे की फसलों का राजा’ कहा जाता है। लूसर्न (रिजका) एवं बरसीम की फसलों में...