सघन बागवानी Tag

अमरूद की अति सघन बागवानी अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। इसका उत्पत्ति स्थान पेरू (दक्षिण अमेरिका) है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चौथा स्थान है। यह “विटामिन सी” का मुख्य स्त्रोत है। अमरूद पोषक तत्वों का एक बहुत अच्छा और सस्ता स्रोत है। इसका उपयोग ताजा खाने के अतिरिक्त इससे जैम, जेली, नेक्टर, चीज और टॉफी इत्यादि बनाया जाता है। अपनी बहुउपयोगिता एवं अपने उत्तम पौष्टिक गुणों के कारण अमरूद आज सेब से भी अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।  अमरूद में पाये जाने वाले मुख्य पोषक तत्व - मुख्य तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम फल पानी प्रोटीन वसा खनिज पदार्थ विटामिन-सी कार्बोहाइडे्टस कैल्सियम फास्फोरस रेशा 76.1 प्रतिशत   1.5  प्रतिशत   0.2  प्रतिशत   7.8 ...

Intensive gardening of pomegranate अनार बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। अनार स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए, सी, ई, फोलिक एसिड, एंटी आक्सीडेंट व कई औषधियों गुणों से भरपूर होता है, साथ ही सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। अनार का रस स्वाद से भरा होता है। अनार में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्जाइम व तत्व मौजूद रहते है। यह स्वास्थवर्धक तथा लोक प्रिय है। इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बिमारी भी दूर की जा सकती है। इसलिए बाजार में अनार की मांग लगातार बढ़ रही है। अनार की फसल किसानों को कम समय में अधिक लाभ कमाने का अवसर देती है। इसकी खेती व्यवसायक रूप में...

Improved dense orchard techniques of nutrient fruit lychee लीची एक फल के रूप में जाना जाता है। जिसे वैज्ञानिक नाम लीची चाइनेन्सिस से बुलाते है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊपोष्ण कटिबन्धीय फल है, जिसका मूल निवास चीन है। लीची के फल अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता के कारण भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाये हुये है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फास्फोरस,  चूना, लोहा, रिबोफ्लेविन तथा विटामिन-सी इत्यादि पाये जाते हैं। इसका उपयोग डिब्बा बंद, स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है। लीची को सघन बागवानी के रूप में सफलतापूर्वक लगाया जा सकता है। परन्तु इसकी...

7 Major diseases of papaya crop and their control पपीते का बिहार की कृषि में प्रमुख स्थान है। पपीते में 20 से अधिक रोगों का आक्रमण होता है, जिनमें कवक एवं विषाणु जनित रोग प्रमुख हैं। बिहार राज्य में सबसे अधिक समस्या विषाणु जनित रोगों की है जिसके कारण किसान पपीते की खेती में कम रूचि ले रहे हैं। पपीते के कवक जनित रोग: 1. आर्द्र गलन (डैम्पिंग आॅफ): यह पौधशाला में लगने वाला गम्भीर रोग है जिससे काफी हानि होती है। इसका कारक कवक पीथियम एफैनिडरमेटम है जिसका प्रभाव नये अंकुरित पौधों पर होता है। इस रोग में पौधे का तना प्रारम्भिक अवस्था में ही गल जाता है और पौधा मुरझाकर गिर जाता है। नियंत्रण...

फल फसलों की सघन बाग और मेडो बागवानी प्रणाली  High density planting technique is a modern method of fruit cultivation involving planting of fruit trees densely, allowing small or dwarf trees with modified canopy for better light interception and distribution and ease of mechanized field operation. HDP and meadow orcharding gives higher yield as well as returns/unit area due to increasing the no. of trees/unit area. It is possible by regular pruning and use of bio regulators for maintaining the size and shape of the tree.  It is well known that the diversity in soil and climatic conditions in India permits growing of a large variety of tropical, sub-tropical and temperate fruits in...

आर्गनि‍क कि‍न्‍नू (Kinnow) के उत्पादन में नियंत्रित सिंचाई करके उच्च रिटर्न प्राप्‍त करें (सफलता की कहानी) Mr. Harvindra Singh Brar is resident of village 10 Q, District Sriganganagar, Rajasthan, India which is located between 2804’ to 3006’ North latitude and 72030’ to 75030’ East longitude. He has deep soil and orchard is present in canal command area. The orchard prevail extreme climatic conditions with the scorching summer, cold winter and mild rainy season. Dust storms during summer, frosty winter nights and ground fog are some of the typical features of weather hazards. The average rainfall in the zone ranged from 185 to 590 mm. On an average 75 per cent of...

Intensive Horticulture - Today's requirement for growing population भारत मे फलो के उत्पादन के लिये विभिन्न प्रकार की जलवायु उपलब्ध है, लेकिन प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता एवं उपयोग अन्य विकसित देशो की तुलना मे काफी कम है। हमारे यहां प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता केवल 85 ग्राम है। कृषि मे बागवानी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे किसान अपनी भूमि से अधिक से अधिक आय प्राप्त कर सकते है। प्रति व्यक्ति फलो की उपलब्धता को बढ़ाने के लिये क्षेत्रफल को बढ़ाना अत्यंत मुश्किल कार्य है। हम उत्पादन को कुछ विशेष प्रबंधन अपनाकर आसानी से बढ़ा सकते है। इसके लिये अधिक उपज देने वाली किस्मो का चयन, सही समय पर कटाई-छंटाई, वृद्धि नियामको...