सब्‍जी फसल Tag

Weeds in the vegetables and their management एक विशेष स्थिति में अवांछनीय पौधे खरपतवार माने जाते है। सब्‍जी फसलों में खरपतावार के कारण उत्‍पादन तथा गुणवत्‍ता में महत्‍वपूर्ण कमी होती है। अत: इन फसलों में समय पर खरपतवार नि‍यंत्रण अतयंत आवश्‍यक सस्‍य क्रि‍या है। सब्जी की फसल को अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक दुरी पर लगाते हैं जिससे खरपतवार की बढवार के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है और वे अधिक वृद्धि करते हैं। फसल में खरपतवार के लक्षण ये प्राकृतिक रूप से स्थाई प्रवृति वाले होते हैं। ये एक, दो तथा बहुवर्षीय होते हैं। इनमें विषम परिस्थितियों में उतर जीवित रहने की क्षमता पाई जाती है। इनमें फूल, फल तथा बीज जल्दी तथा अधिक संख्या में...

Scientific cultivation of Cowpea and its integrated disease and pest management. लोबिया एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है लोबिया की खेती मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से अक्टूबर तक सफलतापूर्वक की जाती है। दलहनी फसल होने के कारण यह वायुमण्डलीय नत्रजन को भुमि में संचित करती है जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है एवं आगामी फसल को इस नत्रजन का लाभ मिलता है। लोबिया प्रोटीन के लिहाज से एक उत्तम फसल है तथा इसकी खेती दानें, सब्जी (हरी फली), चारे एवं हरी खाद के  लिये की जाती है। कुपोषण दूर करने के लिए शाकाहारी भोजन में लोबिया का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अन्य हरी सब्जियों की तुलना में प्रोटीन, फास्फोरस एवं...

Optimal planting geometry and fertilizer application method for drip irrigated vegetable crops फसलों की सिंचाई की विधियों में टपक सिंचाई पध्दति सर्वाधिक कुशल विधि है जिसमें जल का 80-90 प्रतिशत कुशल उपयोग होता है। इस पध्दति से सभी प्रकार की भूमि में कम समय एवं कम जल में सिंचाई की जा सकती  है। टपक सिंचाई पध्दति द्वारा सिंचाई में पौधों के सीमित नम क्षेत्र के कारण रोग की सम्भावना कम होती है तथा फसलों की पंक्तियों में खर-पतवार नहीं उग पाते हैं। सिंचाई की इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। सीमित जल संसाधनों और दिनों-दिन बढ़ती हुई जलावश्यकता के कारण टपक सिंचाई तकनीक सर्वाधिक उपयुक्तहै। टपक तंत्र एक...

How to grow vegetable seedlings in poly tunnel भारत की जलवायु की विविधता, घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में सब्जियों की बढ़ती मांग, वर्ष भर सब्जी उत्पादन के लिये ठोस आधार प्रदान करती है। इस समय भारत में सब्जियों की खेती 9.20 मिलियन क्षेत्रफल में की जाती है।  जिसमें कुल 162.18 मिलियन टन उत्पादन प्राप्त होता है।  देश में सब्जी की औसत उत्पादकता 17.61 मी.टन प्रति हैक्टेयर है।  जिसमें वृध्दि की अपार सम्भावनायें है।  यदि किसान उन्नशील प्रजाति अथवा हाइब्रिड का चयन करें समय पर बुआई/रोपाई करें तो सब्जी की वर्तमान औसत उत्पादकता को दो गुना तक बढ़ाया जा सकता है।  देश में व्यावसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध ...

Techniques to grow seedlings of vegetable crops अधिकतर सब्जी फसलें जैसे की टमाटर वर्गीय, गोभी वर्गीय व प्याज वर्गीय जिनके बीज छोटे व पतले होते है, उनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर हिता है । स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए पौधशाला के स्थान का चयन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है । इससे जुडी हुई अन्य बातें निम्नलिखित हैं : पौधशाला का स्थान पानी के स्रोत के समीप , ऊँचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित हो सके तथा भूमि दुमट बलुई होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।  पौधशाला खुले में होना चाहिए जहां सूर्य की पहली किरण पहुचे और स्थान देखरेख की दृष्टि से...

स्व-परागण सब्जियों की खेती में प्रजाति‍ संरक्षण और नाभिक बीज का उत्पादन Vegetable breeding programme results in the production of improved cultivars in vegetable crops. At the time of variety release a small quantity of seed is available with the breeder.  The relatively small amount of seed of improved cultivar needs to be multiplied and made available to farmers as quickly as possible. During seed multiplication, varietal purity and identity needs to be maintained. Each multiplication cycle starts from the ‘breeder seed’.  If the breeder seed is not of high purity, the contaminants present get multiplied several times in the succeeding generations of foundation and certified seed production. The presence of contaminants...