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Silage: Best source of food management in dairy business साइलेज को पशु पालन व्यवसाय के लिए एक संजीवनी आहार के तौर पर देखा जा सकता है। यह पोषक तत्वों मे हरे चारे के सामान ही होता है। पशु पालन व्यवसाय पर होने वाले कुल खर्च या लागत का लगभग 65 - 70% चारा एवं दाना पर होता है। चारे की लागत को कम करने के लिए और चारे की अधिकता के समय, साइलेज तकनीक से हरे चारे को अचार के रूप में सरंक्षण करना एक लाभकारी विकल्प सिद्ध हो सकता है। इस तकनीक का मुख्य उदेश्य चारे की अधिकता के समय इसे उपयुक्त तरीके से सरंक्षित करके चारे की आवश्यकता को आशा...

तितली मटर की खेेेेती, चराहगाह विकास हेतु एक उत्तम विकल्प तितली मटर (क्लाइटोरिया टेर्नेटा एल.) एक बहुउद्देशीय दलहनी कुल का पौधा है इसका चारा पशु पोषण के हिसाब से अन्य दलहनी कुल के पौधों की अपेक्षा बहुत अधिक पौष्टिक, स्वादिष्ट एवं पाचनशील होता है। जिस कारण सभी प्रकार के पशुओं इसके चारे को बड़े चाव से खाते है। तितली मटर का तना बहुत पतला एवं मुलायम होता है, एवं इसमें पत्तियाँ चौड़ी एवं अधिक संख्या में होती है जिस कारण इसका चारा “हे” एवं “साइलेज” बनाने के लिए उपयुक्त माना गया है। अन्य दलहनी फसलों की तुलना में इसमें कटाई या चराई के बाद कम अवधि के भीतर ही पुनर्वृद्धि शुरू हों जाती...

Seed production technology of  Anjangrass grass (Cenchrusciliaris L.) अंजन घास, से. सिलिएरिस पोयेसी परिवार कि अत्यधिक पौष्टिक घास है, जिसे गर्म, शुष्क क्षेत्रों में चारागाह के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। सूखे की अवधि के दौरान, यह घास कटिबन्धीय क्षेत्रों में स्वादिष्ट चारेे के उत्पादन एवं अनियमित चराई के लिए मूल्यवान है। अंजन घास की कुछ प्रजातियों की ऊपज बारीश के समय में भी इसे एक अच्छे चारे के रूप में प्रस्तुत करती है । यह माना जा रहा है की अंजन की हरी घास या साइलेज  मवेशियों में दूध की मात्रा तो बढाती ही है साथ ही दूध की गुणवत्ता एवं चमक भी बढाती है । से. सिलिएरिस के लेक्टोगॉग होने के...

साइलेज: वर्ष भर हरे चारे का विकल्प  हरे चारे की कुट्टी करके वायु रहित (एनारोबिक) परिस्थितियों में 45 से 50 दिन तक रखने पर किण्वन प्रक्रिया द्वारा हरे चारे को संरक्षित करना ही “साइलेज” बनाना कहलाता है । आम भाषा में इसे “चारे का अचार” भी कहा जाता है क्योंकि इससे हरे चारे को साल भर संरक्षित करके रखा जा सकता है । साइलेज की पौष्टिकता भी चारे की तरह बरकरार रहती हैं क्योंकि किण्वन प्रक्रिया से चारे में उपस्थित चीनी या स्टार्च लैक्टिक अम्ल में बदल जाता है, जो चारे को कई वर्षो तक ख़राब होने से बचाए रखता है। दुधारू पशुओं को वर्ष भर हरे चारे की आवश्यकता होती है परन्तु...