सूत्रकृमि Tag

Nematode and fungal interactions in cotton, their symptoms, management and their status in Haryana कपास भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसे कई जैविक कारकों से नुकसान होता है। सूत्रकृमि और मृदाजनित फफूंद के सहजीवी प्रभाव से पौधों को गंभीर क्षति होती है, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है। इनमें मुख्य रूप से जड़-गांठ सूत्रकृमियों का प्रकोप ज्यादातर देखा गया है, जो पौधे की जड़ों पर आक्रमण करते है। सूत्रकृमि ग्रसित पौधों के लक्षण, सूत्रकृमियों की प्रजातियों के आधार पर भिन्न होते हैं। अतः इन सूत्रकृमि की पहचान करना जरूरी है एवं इनसे होने वाले रोगों की पहचान कर इन्हे विभिन्न विधियों द्वारा नियंत्रण किया जा सके। खेतो में सूत्रकृमि...

Management of cyst nematode in Potato आलू सब्जियों की मुख्य फसल है और भारत में आलू की खेती एक प्रमुख फसल के रूप में की जाती है। आलू के प्रमुख कीटों में कवचधारी सूत्रकृमि का बहुत महत्व है। जिसे पुटी कृमि या सुनहरे सूत्रकृमि या पोटेटो सिस्ट नेमॅाटोड नाम से भी जाना जाता है।  यह भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में आलू के उत्पादन निरोधक खतरनाक कीटों में से एक हैं। एक उपयुक्त परपोषी पौधे के अभाव में यह मिट्टी में लंबे समय तक जीवित रहते हैं । आज के समय में आलू के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिए यह एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। वर्ष 1961 में...

Nematode problem in protected cultivation and their management   भारत में व्यापक एवम विभन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों उपलब्ध है, लेकिन हमारे देश में सब्जियों की खेती की प्रक्रिया आम तौर पर पारंपरिक तकनीक और प्रथाओं के साथ क्षेत्रीय और मौसमी जरूरतों तक सीमित होती है, जिसके परिमाणस्वरूप बाजार आपूर्ति अनुरूप कम पैदावर और असंगत गुणवता और मात्रा का उत्पादन होता है । बढ़ती आबादी के कारण सब्जियों की जररूत व मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है । यही कारण है कि हमारे देश में विविध प्रकार के फल व सब्जियों उगाई जाती है । प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां, सब्जियों, फलों और फूलों की उच्च उत्पादन क्षमता, कृषि इंपुटस की उपलब्धता, छोटी और खंडित...

2 Major nematodes of Cotton crop and their management कपास गोसीपियम जाति की एक मुख्य नकदी फसल है । यह विश्व के गर्म इलाकों में उगाई जाती है। भारत में महाराष्ट्र, पंजाब, हरियणा, गुजरात मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश कपास के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। उत्तर भारत में खरीफ के मौसम में व दक्षिण भारत में यह पूरे साल उगाई जाती है। इस फसल के क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में पहले स्थान व उत्पादन में  दूसरे स्थान पर है । अनेक प्रकार के कीट,फफूंद एवं सूत्रकृमि कपास के सफल उत्पादन को प्रभावित करते हैं। कपास के दो मुख्य सूत्रकृमि निम्नलिखित हैं। 1) जड़ गांठ सूत्रकृमि (मेलॉइडोगाइनी): यह सूत्रकृमि भारत सहित...

Major Cyst Nematode crop diseases and their management हमारे देश में वर्ष भर में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती है। इन फसलों के कई प्रकार के शत्रू  है, जिसमें प्रमुख रूप से सूत्रकृमि भी है जो पौधों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से हानि पहुंचाते है। यह सभी तरह की मृदा में पाये जाते हैं। सूत्रकृमि सुक्ष्म जीव होते हैं जो नग्न आखों से नहीं दिखते हैं और आसानी से पहचाने भी नहीं जा सकते हैं। मृदा में कई प्रकार के सूत्रकृमि पाये जाते हैं, जिसमें से पुट्टीकारी (Cyst) सूत्रकृमि प्रमुख हैं। यह पुट्टीकारी सूत्रकृमि कई प्रकार के होते हैं जिसमें से मुख्यतया निम्नलिखित है:- 1. गेंहूँ एवं जौ पुट्टी सूत्रकृमि (हेटेरोडेरा...

Problem of nematodes in vegetable crops and their preclusion सूत्रकृमि सूक्ष्म, कृमि के समान जीव है जो पतले धागे के समान होते है, जिन्हे सूक्ष्मदर्शी से आसानी से देखा जा सकता है। इनका शरीर लंबा, बेलनाकार व पूरा शरीर बिना खंडो का होता है। मादा सूत्रकृमि गोलाकार व नर सर्पिलाकार आकृति के होते है। इनका आकार 0.2 मिमी.-10 मिमी. तक हो सकता है। सूत्रकृमियों में प्रमुख रूप से फसल परजीवी सूत्रकृमि है जो कि मृदा में या पौधे की उत्तको में रहते है। इनमें मुख्य रूप से जड़ गांठ सूत्रकृमियों का विभिन्न फसलों पर प्रकोप ज्यादातर देखा गया है, जो पौधे के जड़ों पर आक्रमण करते है।   जिससे जड़ों की गांठे...