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Agricultural Weather Forecasting and Crop Management किसी भी क्षेत्र का कृषि उत्पादन उस क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाले बहुत से जैविक, अजैविक, भौतिक, सामाजिक व आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है। मुख्यत: जैविक व अजैविक कारकों में मुख्य रूप से मौसमी तत्व, मिट्टी का स्वास्थय, जल संसाधन, फसलों के प्रकार व विभिन्न प्रजातियाँ, फसलों में होने वाली बीमारियाँ, कीट इत्यादि का प्रकोप आते है। सामाजिक व आर्थिक कारकों में कृषि प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कारक जैसे: कृषि लागत, संसाधनों का उपयोग, श्रमिकों की उपलब्धता, उर्वरक, रसायन, सिंचाई के जल की उपलब्धता, सरकारी नीतियाँ इत्यादि आते है। इन सभी उत्पादन के लिए जिम्मेदार कारकों में मौसमी कारक सबसे ऊपर आते है। मौसमी...

Monthly agricultural  activities for vegetable availability throughout the year आधुनिक युग में बढ़ते हुए जनसंख्या के पोषण हेतु सब्जी की माँग दिन-प्रति बढ़ती जा रही है अत: किसान भाई प्रति माह में कि जाने वाली कृषि कार्य को अपनाकर अपनी आय कई गुना तक बढ़ा सकते हैं वैसे तो बहुत सी सब्जी फसलों की बुवाई के समय को किसान भाई बाजार की माँग एवं भूमि की उपलब्धता के अनुसार परिवर्तित कर लाभ कमाते है प्रस्तुत कार्यक्रम व्यवसायिक खेती के साथ-साथ गृह उद्यान के लिए भी काफी लाभप्रद है ! प्रति माह में किये जाने वाले कृषि कार्य:- माह सब्जियाँ कृषि कार्य फरवरी आलू खुदाई कद्दू वर्गीय सब्जियाँ बीज की बुवाई भिण्डी, लोबिया, ग्वार एवं अरवी बीज की बुवाई मटर तैयार फलियों की तुड़ाई टमाटर, बैंगन...

Major agricultural activities in fruit crops in July जुलाई का महीना फल वाली फसलों व अन्य फसलों के लिए महत्वपूर्ण महीनों में से एक है क्योकि, जुलाई का महीना जिसे आषाढ़-श्रावण भी कहते है। एक लम्बी गर्मी या सूखे मौसम के पश्चात तपती हुई धरती को ठंडा करने के लिए मानसून लेकर आता है व पेड़-पौधों को प्रकृति के आशीर्वाद स्वरुप वर्षा जल की प्राप्ति होती है। वर्षा के पश्चात सारा खेत-खलिहान हरियाली से भर उठता है। फल वाली फसलों में अनेक कृषि कार्य जुलाई के महीने में किये जाते है, जैसे- अनेक फल पौधों की रोपाई, बीजू पौधों के बीज की बुवाई, जल निकास की व्यवस्था, उर्वरक प्रबंध, खरपतवार नियंत्रण, अंतर्वर्ती फसलों...

Agricultural work to be carried out in the month of July धान फसल: धान की मध्‍यम व देर से पकने वाली प्रजाति‍यों की रोपाई पहले पखवाडे में, शीघ्र पकने वाली कि‍स्‍मों की रोपाई दूसरे पखवाडे में तथा सुगन्‍धि‍त कि‍स्‍मों की रोपाई अन्‍ति‍म पखवाडे मे कर दें। धान की रोपाई से पूर्व 25 कि‍ग्रा / हैक्‍टेअर की दर से जि‍ंक सल्‍फेट खेत में मि‍ला दें परन्‍ते ध्‍यान रखें कि‍ फास्‍फोरस वाले उर्वरकों के साथ जि‍ंक सल्‍फेट कभी भी ना मि‍लाऐं। धान में खैरा रोग के लक्षण दि‍खाई देने पर प्रति‍ हैक्‍टेयर 5 कि‍ग्रा जि‍ंक सल्‍फेट व 2.5 कि‍ग्रा चूना 800 लि‍टर पानी में घोलकर छि‍डकाव करें। सब्‍जि‍यॉं : भि‍ण्‍डी, सेम, लोबि‍या, चौलाई तथा कद्दू वर्गीय सब्‍जि‍यों की...

Agricultural work to be carried out in the month of August धान फसल: गैर बासमती धान की अधि‍क उपज वाली कि‍स्‍मों में रोपाई के 25 से 30 दि‍न बाद 30 कि‍लो नाइट्रोजन यानि‍ 65 कि‍लो यूरि‍या प्रति‍ हैक्‍टेअर तथा बासमती कि‍स्‍मों मे 15 कि‍लोग्राम नाइट्रोजन (33 कि‍ग्रा यूरि‍या) प्रति‍ हैक्‍टेयर की टापॅ ड्रेसि‍ंग कर दें। इतनी ही मात्रा से दूसरी व अन्‍ति‍म टॉप ड्रेसि‍ंग रोपाई के 50-55 दि‍न बादे करें  ध्‍यान रखे की टॉप ड्रेसि‍ंग करते समय खेत मे पानी 2-3 सेमी से अधि‍क ना हो। धान के तना छेदक कीट की रोकथाम के लि‍ए, जब खेत में 4.5 सेंमी पानी हो, प्रति‍ हैक्‍टेयर 20 कि‍ग्रा कार्बोफयूरान दवा का प्रयोग करें अथवा क्‍लोरोपायरीफास 20...

Agricultural work to be carried out in the month of March सब्‍जि‍यॉं : कद्दू, चप्‍पन कद्दू, लौकी , करेला, तोरर्इ , खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि‍ बेल वाली सब्‍जि‍यों की बुआई करें। पूसा की नि‍म्‍न प्रजाति‍यों का चयन करें। कद्दू:  पूसा वि‍श्‍वास, पूसा हाईब्रि‍ड 1 खीरा: पूसा उदय खरबूजा: पूसा मधुरस तरबूज: शुगर बेबी चप्‍पन कद्दू:  ऑस्‍ट्रेलि‍यन ग्रीन एवं पूसा अलंकार कद्दू वर्गीय फसलों में 100-50-50 कि‍ग्रा/ हैक्‍टेयर की दर से नाईट्रोजन-फॉस्‍फोरस-पोटेशि‍यम की मात्रा डालें। तथा 5-6 दि‍न के अंतराल पर सि‍चांई करते रहे। भि‍ण्‍डी में फली व तना भेदक कीट के नि‍यंत्रण के लि‍ए 2 मि‍ली इमि‍डाक्‍लोप्रि‍ड दवा को 10 लि‍टर पानी में घोलकर छि‍डकाव करें। भि‍ण्‍डी रस चुसने वाले कीडों के नि‍यंत्रण के लि‍ए ट्राइजोफॉस और डेल्‍टामेथ्रि‍न 1 मि‍ली दवा /...