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मेंथा (पुदीना) की उन्नत खेती मेंथा का तेल व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान रखता है। इसका व्यापक रूप से प्रयोग दवा उद्योग में किया जाता है। प्राचीन काल से ही मेंथा (पुदीना) को किचन गार्डनिंग में प्रयोग किया जाता था। प्राथमिक रूप से मेंथा के तेल में मेंथाल पाया जाता है। मेंथा के तेल का प्रयोग ज्यादातर टूथपेस्ट के स्वाद के रूप में , नहाने के साबुन में, चबाने वाली चिंगम तथा अन्य बहुत से खाद्य पदार्थों में इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि मेंथा का जन्म स्थान भूमध्यसागरीय क्षेत्र के आसपास से हुआ है। और वहां से यहां विभिन्न देशों में समय-समय पर पहुंचाया जाता रहा है।...

धनिया की खेती  धनिया का वानस्पतिक नाम कोरिएन्ड्रम सेटाइवम है। यह अम्बेलीफेरी कुल का पौधा है । धनिया मसालों की एक प्रमुख फसल है। धनिये की पत्तियाँ व दाने दोनों का ही उपयोग किया जाता है। प्राचीन काल से ही विश्व में भारत देश को मसालों की भूमि के नाम से जाना जाता है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते है। भारत धनिया का प्रमुख निर्यातक देश है। इसकी खेती पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कनार्टक तथा उत्तरप्रदेश में अधिक की जाती है। मारवाडी भाषा में इसे धोणा कहा जाता है धनिया का उपयोग एवं महत्व धनिया एक बहुमूल्य बहुउपयोगी मसाले वाली आर्थिक...

तुलसी की वैज्ञानिक खेती और उसका महत्व  तुलसी का बैज्ञानिक नाम ओसिमुम तेनुइफ़्लोरुम (ऑसीमम सैक्टम) है| तुलसी लेमिएसी कुल का पौधा है|एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और 1-3 फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनीएबम हरी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ 1-2 इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं 5-7  इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल...

पि‍पली: तेल खजूर के बडे बागानों के लि‍ए आर्दश अंत:फसल   Java long pepper (Piper chaba Hunter syn. Piper retrofractum Vahl.) is one among Panchakola group of spices. Its fruits and roots are used in preparation of ayurvedic medicines for treating indigestion, abdominal colic, poisoning, haemorrhoids, anorexia etc. It is native of South and South East Asia and commonly seen in Assam, Tripura and West Bengal in India. Because of medicinal and aromatic properties, its commercial production is picking up as an inter crop in coconut, areca nut and oil palm gardens in South India. It is perennial with climbing growth habit and performing satisfactorily even under dense shade (75%) of oil palm....

Sowing time & seed rate of Medicinal and Aromatic Plants    फसल बुआई का सही समय रोपाई का सही समय बीज की मात्रा खस - जुलाई से अगस्‍त और फरवरी से मार्च - रोशा घास Rocha grass - मई 2.5 kg/ha नींबू घास Lemon Grass - मई 4-5 kg/ha ईसबगोल Isabgol (Plantago ovata Forsk.)  November 20 to December 20    4 kg/ha in 0.25-0.50 cm depth अफीम पोस्ता Opium poppy (Papaver somniferum Linn.)  first fortnight of November    6-7 kg /ha   सनाय Senna (Cassia angustifolia Vahl)  June-July    70-75 thousand plants / ha सफेद मूसली Safed musli (Chlorophytum spp Ker.)   middle of June 2.5 - 3.0 q roots /ha शर्पगंघा Sarpagandha (Rauvolfia serpentina Beth. ex Kurz)  end of April      अश्‍वगंधा Aswagandha (Withania somnifera Danunal)  2nd or 3rd week of August    20-35 kg/ha पुदीना Mints (Mentha spp) 1st week of Feb. - 2nd week of March   450-500 kg suckers /ha ...