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अजोला की खेती- हरे चारे की कमी को कम करने के लिए वैकल्पिक समाधान About 50–75 percent of the overall cost of producing milk, meat, and other livestock products goes toward feed and fodder, making them the most significant inputs. Grazing cattle in India are typically not supplemented with anything to satisfy their requirement for protein and minerals. Grazing lands are continuously degrading as a result of exploitative strain and are contracting as a result of conflicting demands for food and forage brought on by the pressure of an expanding population, urbanization, and industrialization. Due to the rising need for food and commercial crops, it is difficult to expand the area used...

अज़ोला: पशुधन के लिए एक वैकल्पिक और स्थायी चारा एजोला पानी की सतह पर एक नि: शुल्क चल, तेजी से बढ़ती जलीय फ़र्न है। अज़ोला की खेती किसान को पशुधन आहार पूरक की लागत को कम करने में मदद करती है और यह पशुधन, मुर्गी पालन और मछली के लिए पूरक आहार खिलाने के लिए उपयोगी है। यह एक छोटे, सपाट, सघन हरे द्रव्यमान की तरह तैरता है। आदर्श परिस्थितियों में, एजोला संयंत्र तेजी से बढ़ता है, हर तीन दिन में इसका बायोमास दोगुना हो जाता है। भारत में एजोला की सामान्य प्रजाति अज़ोला पिन्नता है। यह ल्यूसर्न और संकर नैपियर की तुलना में उत्कृष्ट गुणवत्ता के प्रोटीन का 4 से 5...

अजौला: दुधारु पशुओ के लिए एक पौष्टिक आहार  भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि‍ व्यवसाय के सहायक उद्यम के रूप में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रायः मानसून के अलावा पशुओं को फसल अवशेषों, सूखे चारें आदि खिलाया जाते है। पौष्टिक चारें के अभाव में पशुओं के विकास, उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता में कमी आती है जिससे पशुपालक की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए पशुपालको द्वारा अजौला उगाकर पशुओं को पौष्टिक चारा खिलाया जा सकता है। क्या है अजौला : अजौला एक जलीय फर्न है जो छोटे-छोटे समूह के रूप में सघन हरित गुच्छे की तरह जल की सतह पर मुक्त रूप से तैरती रहती हैं। भारत...

अजोला की खेती और इसका देशी दुधाारु जानवरो के चारे के रुप मे ऊपयोग  अब तक अजोला का इस्तेमाल मुख्यत: धान में हरी खाद के रूप में किया जाता था, लेकिन अब इसमें छोटे किसानों हेतु पशुपालन के लिए चारे हेतु बढती मांग को पुरा करने की जबरदस्त क्षमता हैं।  अजोला खेती की प्रक्रिया किसी छायादार स्थान पर पशुओं की संख्या के अनुसार किसान 1.5 मीटर चौडी, लम्बाई आवश्यकतानुसार (3 मीटर) और 0.30 मीटर गहरी क्यारी बनाये। क्यारी को खोदकर या ईंट लगाकर भी बनाया जा सकता हैं। क्यारी में आवश्यकतानुसार सिलपुटिन शीट को बीछाकर ऊपर के किनारों पर मिट्टी का लेप कर व्यवस्थित कर दें। सिलपुटिन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण कर...

Azolla production techniques and benefits of Azolla कृषि उत्पादों की कीमत में अनिश्चितता और कृषि आदानों की तेजी से बढ़ती लागत, भूजल स्तर में गिरावट के कारण कृषि लागत बढ़ गई है, यही कारण है पिछले कुछ वर्षो में पेशे के रूप में खेती के प्रति किसानों का आकर्षण कम हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लि‍ए अजोला की खेती बहुत ही लाभकारी हो सकती है। अजोला एक महत्वपूर्ण  बहुगुणी फर्न  है जिसका उपयोग पशुओं, मछली एवं कुक्कुट के चारे के रूप में उपयोग किया जाता है और इसकी कास्त लागत भी बहुत कम (एक रुपय प्रति कि.ग्रा.)  होती है। अजोला  तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है,  जो पानी की सतह पर छोटे - छोटे समूह में...

Green fodder production with guinea grass  बहुवर्षीय हरे चारे के लिए गिनी घास का महत्वपूर्ण योगदान है| गिनी घास (Panicum maximum Jacq.) का जन्म स्थान गिनी, अफ्रीका को  बताया जाता है| ये बहुत ही तेजी से बढने वाली और पशुओ के लिए  एक स्वादिस्ट घास है|   इससे वर्ष मैं 6-8 कटाई तक कर सकते है| भारत में यह घास 1793 में आई| इसमें 10-12 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन, रेशा 28-36 प्रतिशत, NDF 74-75 प्रतिशत , पत्तो की पाचन क्षमता  55-58 %, लिगनिन  3.2-3.6 प्रतिशत होती है| गिनी घास के लि‍ए जलवायु गिनी घास  गर्म मौसम की फसल है घास के लिए उपयुक्त तापमान, 31 डिग्री सेंटीग्रेड  चाहिए और 15 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे इसकी...

Azolla is a boon for livestock राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पश्‍ाुपालन की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पशुपालन व्यवसाय लघू और सीमान्त किसानों, ग्रामीण महिलाओं और भूमिहीन कृषि श्रमिकों को रोजगार के पर्याप्त व सुनिश्‍चित अवसर देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठोस आधार प्रदान करता है। प्राय: मानसून के अलावा पशुओं को फसल अवशेषों एवं भूसे आदि पर पालना पड़ता है जिससे पशुओं की बढोतरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए पशुपालकों को अजोला फर्न की खेती आश्‍वयक रूप से की जनीत चाहिए। अजोला के गुण:- अजोला जल सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है। यह छोटे छोटे समूह में सद्यन हरित...

Azolla: An awesome and amazing Plant अजोला  तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है, जो  पानी की सतह पर तैरती रहती है। धान की फसल में नील हरित काई की तरह अजोला को भी हरी खाद के रूप में उगाया जाता है और कई बार यह खेत में प्राकर्तिक रूप से भी उग जाता है। इस हरी खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और उत्पादन में भी आशातीत बढ़ोत्तरी होती है।   एजोला की सतह पर नील हरित शैवाल सहजैविक के  रूप में विध्यमान होता है। इस नील हरित शैवाल को  एनाबिना एजोली के  नाम से जाना जाता है जो  कि वातावरण से नत्रजन के  स्थायीकरण के  लिए...

शकरकंद - पशुधन चारे का एक उत्‍तम स्रोत Sweet potato (Ipomoea batatas) is an annual crop in tropical countries. its vines and roots are used as an excellent source of animal feed. It is high in starch, protein and vitamins. Different varieties of sweet potatoes are planted in the rainy season and harvested after 5 to 6 months. Yield varies from 30 to 35 t/ ha. The vines, foliage and roots can be used as forage for  cattle, sheep, goat, pig, poultry and rabbit production without any adverse effect on growth, milk and meat production. It also can be used as silage in lean period. Sweet potato (Ipomoea batatas) is a dicotyledonous plant...