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Okra: A comprehensive overview of cultivation, global export and post-harvest management भिंडी (Abelmoschus esculentus (L.) Moench), जिसे आमतौर पर लेडीज फिंगर के नाम से जाना जाता है, एक लोकप्रिय सब्जी फसल है जिसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। अपने नाजुक, चिपचिपे हरे फलों के लिए जानी जाने वाली भिंडी न केवल पाक उपयोगों के लिए, बल्कि पोषण संबंधी लाभों के लिए भी अत्यधिक प्रशंसित है। भिंडी फाइबर, विटामिन ए और सी, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो एशिया, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों के आहारों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा भिंडी उत्पादक और निर्यातक देश है, जो वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण...

Integrated management of Major diseases of Okra and Chilli 1. भिण्डी में पाऊडरी मिल्डयू अथवा चूर्ण फंफूदी रोग रोग के लक्षण - यह भिण्डी का एक प्रमुख रोग है जो देरी से बोई गई फसल पर अत्यधिक संक्रमण करता है। रोग के लक्षण की शुरूआत पुरानी पत्तियों पर सफेद चकते के रूप में दिखाई देते है। ये चकते कुछ ही दिनो में ऊपर की और अन्य पत्तियों पर फैल जाते है। संक्रमित पौधों की पत्तियों पर सफेद पाऊडर जैसा रोगजनक देखा जा सकता है जो पत्तियों के दानो तरफ तथा पौधे के सभी भाग पर (जड़ के अतिरिक्त) पर देखा जा सकता है बाद में पौधे का ऊपरी भाग पीला पड़कर सूखने लगता है। पौधे...

How to grow Okra in scientific method  भिण्डी एक महत्वपूर्ण फल वाली उष्ण भागों और शीतोष्ण प्रदेश्‍ो के गर्म स्‍थानों पर उगाया जाने वाली सब्जि है। इसकी फसल उन स्‍थानों पर प्रमुखता से उगाई जा सकती है जहां दिन का तापमान 25-40 ड़िग्री सेग़्रे क़े बीच मे रहता है तथा रात्रि का तापमान 22 ड़िग्री सेग़्रे से नीचे नहीं आता है। भिण्डी को इसके हरे, मुलायम स्वादिष्ट फलों के लिए उगाया जाता है। भारत में मुख्य रूप से भिण्डी की दो फसलें ली जाती है, एक गर्मी में व दूसरी बरसात के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी एक ही फसल ली जाती है। जिसकी बुवाई मार्च-अप्रेल में की जाती है। ग्रीष्मकालीन भिण्डी...

How to: Scientific cultivation of Okra भिण्डी एक ग्राीष्मकालीन और वर्षाकालीन फसल है। भिण्डी के उत्पादन में भारत का स्थान सम्पूर्ण विश्व में प्रथम है। भारत में लगभग सभी राज्यों में भिंडी की खेती की जाती है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और असम प्रमुख राज्य है। भिण्डी हरियाणा की बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक है। भारत में भिण्डी की खेती लगभग 498 हजार हैक्टेयर क्षेत्र पर की जाती है। जिसमें कुल 5784 हजार टन उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। पोषक मान (प्रति 100 ग्राम) और उपयोग  हरी सब्जियों में भिण्ड़ी का महत्वपूर्ण स्थान है, यह स्वास्थय के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें कई प्रकार के...

Safe and secure pest management in Okra (Bhindi) भिण्डी वर्षा एवं गर्म मौसम की मुख्य सब्जी की फसल है, जो भारतवर्ष के लगभग सभी भागो में उगाई जाती है। इसकी फली में प्रोटीन, कैल्शियम, रेशा तथा अन्य खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भिण्डी के फली को सब्जी बनाने में, जबकि जड़ एवं तनों का उपयोग गुड तथा चीनी को साफ करने में किया जाता है। इसके निर्यात द्वारा विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है, क्योंकि विश्व के कुछ देशों में इसके वीज का पाऊडर बना कर काफी के स्थान पर उपयोग किया जाता हैं। सम्पुर्ण बिहार में वर्षा एवं गर्म मौसम में भिण्डी फसल की खेती की जा...

Seed Production Technology of Okra (Bhindi) crop फलदार सब्जियों में भिण्डी का एक प्रमुख स्थान है। भिण्डी में प्रचुर मात्रा में विटामिन्स, प्रोटीन, फास्फोरस व अन्य खनिज लवण उपलब्ध रहते है। इसके बीज में 13-22 प्रतिशत तक खाने योग्य तेल तथा 20-22 प्रतिशत तक प्रोटीन पाई जाती है। भिण्डी गर्म मौसम की फसल है तथा इसके पौधे पाले को सहन करने में असमर्थ होते है। 30-320 सै. तापमान भि‍ंडी के बीज अंकुरण के लिए उत्तम होता है। बीज के पकने के समय अपेक्षाकत सुखे व गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। भिण्डी का उत्तम गुणवत्ता वाला बीज बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। भि‍ण्‍डी की उन्नत किस्में: पूसा ए-4, पूसा सावनी, अर्का...

भिण्‍डी की उन्‍नत किस्‍में  Varieties Developed By Average yield   (q/ha) Characters  काशी सातधारी (आई. आई. वी. आर. – १०) Kashi Saatdhari  IIVR Varansi  130-140 यह प्रभेद विषाणु जनित व्याधि (पित्त शीरा मोजैक एवं प्रारम्भिक पर्ण कुंचन) से मुक्त  है। पुष्पन की क्रिया बुवाई से ४०-४२ दिनों पश्चात् प्रारम्भ हो जाती है, जबकि इस प्रभेद से कुल १३०-१४० कुन्तल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। काशी क्रांति Kashi Kranti  IIVR Varnasi  125-140 यह प्रभेद विषाणु जनित व्याधि (पित्त शीरा मोजैक एवं प्रारम्भिक पर्ण कुंचन) के प्रति प्रतिरोधी है। पुष्पन की क्रिया बुवाई से ४५-४६ दिनों पश्चात् प्रारम्भ हो जाती है, जबकि इस प्रभेद कुल उपज क्षमता १२५-१४० कुन्तल प्रति हेक्टेयर तक मापी गयी है।  काशी विभूति (वी. आर. ओ. - ५) Kashi Vibhuti   IIVR Varnasi  120-150 यह...