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Importance of Trichoderma in agriculture हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं)  पहॅचाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक  (मित्र फफूदीं) भी हैं जैसे कि द्राइकोडरमा । ट्राइकोडर्मा पौधों के जड़ विन्यास क्षेत्र (राइजोस्फियर)  में खामोशी से अनवरत कार्य करने वाला सूक्ष्म कार्यकर्ता है। यह एक अरोगकारक मृदोपजीवी कवक है जो प्रायः कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है। इसलिए मिट्टी में फफूदों के द्वारा उत्पन्न होने वाले कई प्रकार की फसल बिमारीयों के प्रबंधन के लिए यह एक महत्वपूर्ण फफूदीं है। यह मृदा में पनपता है एवं वृध्दि करता है तथा जड़ क्षेत्र के...

Correct and effective use of biofungicide Trichoderma हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है जो फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं) पहॅचाुते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक (मित्र फफूंदी) भी हैं। जैसे कि द्राइकोडरमा । प्रकृति ने स्वयं जीवों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है जिससे कि किसी भी जीव की संख्या में अकारण वृध्दि न होने पाये और वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी समस्या का कारण न बनें।  ट्राईकोडर्मा एक मित्र फफूदीं है जो विभिन्न प्रकार की दालें, तिलहनी फसलों , कपास , सब्जियों  तरबूज , फूल के कार्म आदि की फसलों...

Importance and use of trichoderma fungus in biological control of soil borne diseases ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक (फफूंद) है। यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा - जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है। हमारे देश में फसलों को बीमारियों से होने वाले कुल नुकसान का  50 प्रतिशत से भी अधिक मृदा- जनित पादप रोग कारकों से होता हैं, जिसका नियंत्रण अन्य विधियों द्वारा सफलतापूर्वक नहीं हो पा रहा है। इसलिए ट्राइकोडर्मा की विभिन्न प्रजातियों से रोंगों का नियंत्रण...