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उन्नत शस्य क्रियाओ द्वारा चने की खेती चना एक दलहनी व औषधीय गुण वाली फसल हैं। इसका उपयोग खून प्यूरिफिकेशन में होता हैं। चने में 21.1% प्रोटीन 61.1% कार्बोहाइड्रेट 4.5% वसा एवं प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, लोहा एवं नियासिन पाये जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बाद चना उत्पादन करने में राजस्थान का नाम आता हैं। इसके प्रमुख जिले गंगानगर, अलवर, कोटा, जयपुर व सवाईमाधोपुर हैं। सबसे ज्यादा चने का उत्पादन गंगानगर जिले में होता हैं। राज्य का आधे से ज्यादा चना इन्ही जिलों में उत्पन्न किया जाता हैं। चना दलहनी फसल होने के कारण यह भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाती हैं। इसके अलावा चने के पोधों की जड़ों में पायी...

Disease management in Blackgram (Urdbean) for quality seed production.   Healthy crop and seed of blackgram भारत में उड़द दलहन की एक महत्वपूर्ण फसल है। यह शाकाहारी जनसंख्या के लिये प्रोटीन, खनिजो एवं विटामिनों का एक प्रमुख श्रोत है। इसमें फॉस्फोरिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। गुणवत्ता वालें बीज के उत्पादन के लिये स्वस्थ फसल का महत्व निर्विवादित है। इस फसल में कवक, जीवाणु एवं विषाणु इत्यादि कारकजीवों द्वारा अनेक रोग उत्पन्न होते है।  उड़द के अच्छे उत्पादन के लिये फसल में निम्नांकित रोगों का उचित प्रबन्धन करना चाहिये- उड़द दलहन में एन्थ्रेक्नोज रोग (Anthracnose Disease)  यह रोग कोलेटोट्राइकम लिण्ड़ेमुथियानम (Colletotrichum lindemuthianum) कवक की वजह से होता है। इस रोग में कवक पौधें के...